Flood in Chatra: चतरा में बाढ़ का कहर,पांच प्रखंड डूबे पानी में, गांव जलमग्न और जीवन अस्त-व्यस्त।

चतरा जिले में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। पिछले कई दिनों से जारी तेज बारिश ने नदियों और नालों को उफान पर ला दिया है। निचले इलाकों में पानी भरने से हालात भयावह होते जा रहे हैं। इटखोरी, पत्थलगड्डा, मयूरहंड, कान्हाचट्टी और गिद्धौर प्रखंड में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। कई गांव पानी में डूब चुके हैं, जिससे लोगों का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

गांवों और घरों में घुसा पानी

कान्हाचट्टी प्रखंड की स्थिति सबसे अधिक गंभीर बताई जा रही है। यहां मुख्य सड़कें पानी में डूब चुकी हैं। पुल और पुलियों के ऊपर से पानी बह रहा है, जिसके कारण आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। ग्रामीणों को अपने ही गांव से बाहर निकलने में भारी दिक्कतें हो रही हैं। कई घरों में घुटनों तक पानी भर चुका है। राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय पेलतील खुर्द भी पूरी तरह जलमग्न हो गया है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

परिवारों का सुरक्षित स्थानों पर पलायन

इटखोरी प्रखंड के पीतीज गांव में बसाने नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस कारण यहां का नुकसान सबसे ज्यादा हुआ है। सेना में कार्यरत जवान मुन्ना यादव के घर में पानी घुस जाने से कूलर, फ्रिज, इनवर्टर, बैटरी सहित घर का सारा सामान बर्बाद हो गया। खाने-पीने की वस्तुएं, कपड़े और बिस्तर भी पानी में बह गए। मजबूरन परिवार ने सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। यह स्थिति कई अन्य परिवारों की भी है, जो अपने घर छोड़ने को विवश हो गए हैं।

प्रशासन ने दिए निर्देश

प्रखंड विकास पदाधिकारी सोमनाथ बंकिरा और अंचल अधिकारी सविता सिंह ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी। साथ ही प्रशासन ने पुल पर भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

कच्चे मकानों को भारी नुकसान

लगातार हो रही बारिश से कच्चे मकानों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। कई घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। गरीब परिवारों के सामने रहने की समस्या खड़ी हो गई है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल और पीने के पानी की व्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

सरकारी कामकाज पर भी असर

गिद्धौर प्रखंड का अंचल कार्यालय भी पानी में डूब चुका है। इससे सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है। कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पानी में भीगकर खराब हो गए हैं। प्रशासन के सामने राहत कार्यों के साथ-साथ सरकारी कामकाज को सुचारू रखने की चुनौती भी खड़ी हो गई है।

आगे और बिगड़ सकते हैं हालात

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि बारिश का यही सिलसिला जारी रहा तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। कई गांवों में लोग पहले ही घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं। स्थिति को देखते हुए प्रशासन अलर्ट पर है, लेकिन लोगों में भय और चिंता का माहौल है।

यह खबर ग्रामीणों की परेशानी और प्रशासनिक चुनौतियों को उजागर करती है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि मौसम कब तक राहत देगा और प्रशासन कितनी तेजी से राहत कार्य चला पाएगा।

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