
नई दिल्ली।भारत के बड़े उद्योगपति और रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार सुबह अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन (RCom) से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई करीब 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) मामले से जुड़ी हुई है।
डिजिटल डेस्क की रिपोर्ट के अनुसार, सुबह 7 बजे शुरू हुई छापेमारी के दौरान CBI की कई टीमें मुंबई और दिल्ली स्थित परिसरों पर पहुँचीं। बताया जा रहा है कि छापेमारी के वक्त अनिल अंबानी अपने परिवार के साथ घर पर मौजूद थे।
FIR दर्ज, बैंकों के कंसोर्टियम से लिया गया लोन
CBI ने अनिल अंबानी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। यह केस उन लोन पर आधारित है जो RCom और उसकी सहयोगी कंपनियों ने देश के कई बैंकों के कंसोर्टियम से लिए थे। आरोप है कि इन लोन की रकम का सही इस्तेमाल नहीं हुआ और कंपनियों ने बकाया राशि चुकाने में चूक की।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में 17,000 करोड़ रुपये का फ्रॉड सामने आया है। FIR में कहा गया है कि बैंकों को गुमराह कर फर्जी दस्तावेजों और हेरफेर के जरिए कर्ज लिया गया। बाद में यह पैसा डिफॉल्ट हो गया, जिससे बैंकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
किन बैंकों का पैसा फंसा?
मामले में शामिल बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), इंडियन ओवरसीज बैंक, और अन्य सरकारी बैंक शामिल हैं।
CBI के अनुसार, इन बैंकों ने मिलकर RCom और उसकी अन्य कंपनियों को कर्ज दिया था। लेकिन कंपनी समय पर भुगतान नहीं कर पाई और धीरे-धीरे यह कर्ज बढ़ता चला गया।
अनिल अंबानी और रिलायंस ग्रुप की मुश्किलें
अनिल अंबानी लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। रिलायंस कम्युनिकेशन पहले देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में गिनी जाती थी, लेकिन 2016 के बाद से कंपनी का प्रदर्शन लगातार खराब होता गया। रिलायंस जियो के आने के बाद RCom को बड़ा झटका लगा और धीरे-धीरे कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई।
2019 में अनिल अंबानी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उनकी नेटवर्थ ‘शून्य’ है और वे दिवालिया हो चुके हैं। इसके बाद भी रिलायंस ग्रुप पर कई बैंकों का कर्ज बकाया रहा। अब CBI की कार्रवाई से उनकी परेशानियाँ और बढ़ सकती हैं।
CBI की छापेमारी की रणनीति
CBI की टीम ने शनिवार सुबह अचानक छापेमारी की।
मुंबई स्थित सी वाइंड (Sea Wind) टॉवर में अनिल अंबानी के आवास पर दबिश दी गई।
दिल्ली और अन्य स्थानों पर भी एक साथ रेड की गई।
टीम ने घर और ऑफिस से कई अहम दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और कंप्यूटर हार्ड डिस्क जब्त किए हैं।
CBI का कहना है कि यह कार्रवाई शुरुआती जांच का हिस्सा है और आगे पूछताछ भी की जाएगी।
अनिल अंबानी की प्रतिक्रिया
अनिल अंबानी या रिलायंस ग्रुप की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सूत्रों का कहना है कि अंबानी परिवार पूरी तरह से CBI की जांच में सहयोग कर रहा है।
बैंकिंग सेक्टर पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ा झटका है। पहले से ही बैंकों पर NPA (Non-Performing Assets) का दबाव है और ऐसे मामलों से बैंकों का बोझ और बढ़ता है।
इसके अलावा, उद्योग जगत में भी इस छापेमारी की चर्चा है। कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि CBI ठोस सबूत पेश करती है, तो अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों के लिए यह बड़ा कानूनी संकट बन सकता है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
CBI लोन देने वाले बैंकों के अधिकारियों से भी पूछताछ करेगी।
जांच एजेंसियां पैसों के लेन-देन से जुड़ी ट्रांजैक्शन की फॉरेंसिक ऑडिट कर सकती हैं।
अगर अनियमितताओं की पुष्टि होती है, तो अनिल अंबानी और उनके सहयोगियों पर गिरफ्तारी की कार्रवाई भी हो सकती है।
पहले भी घिरे विवादों में
यह पहली बार नहीं है जब अनिल अंबानी किसी कानूनी विवाद में फंसे हों।
राफेल डील विवाद (2018) में उनका नाम उछला था, हालांकि बाद में मामला ठंडा पड़ गया।
2020 में चाइना बैंक इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल (ICBC) ने भी लोन न चुकाने को लेकर लंदन की अदालत में केस दायर किया था।
CBI की यह छापेमारी अनिल अंबानी और उनके ग्रुप के लिए गंभीर कानूनी और आर्थिक संकट की ओर इशारा करती है। 17,000 करोड़ रुपये जैसे बड़े बैंक फ्रॉड केस में FIR दर्ज होना अपने आप में चौंकाने वाला है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि जांच किस दिशा में बढ़ती है और उद्योग जगत पर इसका क्या असर पड़ता है।