Shibu Soren Biography: झारखंड के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी शिबू सोरेन की जीवनी,महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष और समाज सुधार अभियानों से रूबरू होंगे बच्चे।

झारखंड सरकार ने राज्य के विद्यार्थियों को उनके गौरवशाली इतिहास और समाज सुधार आंदोलनों से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के सभी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जीवन, संघर्ष और समाज सुधार की प्रेरक कहानियों को पढ़ेंगे। शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक की पाठ्यपुस्तकों में शिबू सोरेन की जीवनी और उनके कार्यों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए 31 अगस्त तक पाठ्य सामग्री का प्रारूप तैयार कर लिया जाएगा, जिसे अगले शैक्षणिक सत्र से किताबों में जोड़ा जाएगा।

महाजनी प्रथा और शिबू सोरेन का आंदोलन

नए सिलेबस में छात्रों को बताया जाएगा कि किस प्रकार महाजनी प्रथा के तहत आदिवासी समाज का शोषण किया जाता था और कैसे शिबू सोरेन ने जंगलों में छिपकर आंदोलन की नींव रखी। उन्होंने आदिवासी समुदाय को संगठित कर शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और समाज को न्याय एवं समानता की दिशा में प्रेरित किया। इन कहानियों के माध्यम से विद्यार्थियों को न केवल ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी मिलेगी, बल्कि समाज सुधार और संघर्ष की वास्तविक सीख भी मिलेगी।

कक्षा अनुसार सिलेबस की रूपरेखा

नई योजना के तहत अलग-अलग कक्षाओं में शिबू सोरेन के जीवन और कार्यों को छात्रों की समझ के अनुरूप प्रस्तुत किया जाएगा:

कक्षा 1 और 2: चित्रकथा और सरल भाषा में गुरुजी का जीवन परिचय।

कक्षा 4: कविता और कहानी के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण व समाज सुधार की पहल।

कक्षा 6: सामाजिक विज्ञान में नशा विरोधी अभियान और स्थानीय स्वशासन की अवधारणा।

कक्षा 7: अकिल अखाड़ा (रात्रि पाठशाला) की जानकारी।

कक्षा 8: आंदोलनों और जीवन के मानवीय पहलुओं पर चर्चा।

कक्षा 9: हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू की किताबों में विस्तृत जीवनी।

कक्षा 11: समाज सुधार और आदिवासी उत्थान से जुड़े 19 सूत्री कार्यक्रम का अध्ययन।

कक्षा 12: राजनीतिक जीवन, आंदोलन और योगदान का विस्तृत अध्ययन।

19 सूत्री अभियान होगा शामिल

शिबू सोरेन द्वारा समाज सुधार के लिए चलाए गए 19 सूत्री कार्यक्रम को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इनमें सामुदायिक खेती, महिला शिल्प केंद्र, पुस्तकालय की स्थापना, सामूहिक पशु पालन, पौधा संरक्षण, तालाबों में मत्स्य पालन, जंगल की रक्षा, दहेज प्रथा और बाल विवाह पर रोक, शराबबंदी तथा रात्रि पाठशाला जैसे महत्वपूर्ण प्रयास शामिल हैं। कक्षा 11 की भाषा संबंधी पुस्तकों में इन योजनाओं को हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में पढ़ाया जाएगा।

विद्यार्थियों को मिलेगा समाज सुधार और नेतृत्व का पाठ

सीनियर कक्षाओं में शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा, आदिवासी समाज की उन्नति के लिए किए गए प्रयास और संघर्षों का गहराई से अध्ययन कराया जाएगा। कक्षा 12 तक उनकी जीवनी को अलग-अलग विषयों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि छात्र समाज सुधार, आंदोलन और नेतृत्व की वास्तविक तस्वीर से परिचित हो सकें।

यह निर्णय विद्यार्थियों को न केवल झारखंड के आंदोलन और आदिवासी समाज की प्रगति के बारे में जानकारी देगा, बल्कि उन्हें नेतृत्व, संघर्ष और सामाजिक न्याय के प्रेरक उदाहरण भी प्रदान करेगा।

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