
ग्रेटर नोएडा में 21 अगस्त 2025 को हुई दहेज हत्या की भयावह घटना ने समाज को हिला कर रख दिया है। 26–28 वर्षीय निक्की भाटी को कथित रूप से पति विपिन भाटी और ससुराल वालों ने जिंदा जला दिया—न केवल उसके पति, बल्कि सास, ससुर और जेठ भी उसके क्रूर कातिल बन कर सामने आए हैं। अब तक चार लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि अन्य फरार हैं, और सोशल मीडिया पर वायरल हुए वायरल क्लिप्स के बाद इस मामले ने देशभर में उग्र प्रतिक्रिया को जन्म दिया है।
1. दहेज की निर्मम मांगें:
निक्की और उसकी बहन कंचन, दोनों की शादी दिसंबर 2016 में एक ही परिवार में हुई थी। शुरुआती दहेज में स्कॉर्पियो SUV, Royal Enfield बाइक, सोना और नकद प्रदान किए गए, लेकिन ससुराल वालों की मांगें रुकी नहीं। आरोप है कि बाद में ₹36 लाख की अतिरिक्त दहेज राशि की मांग शुरू हो गई थी ।
2. स्वतंत्रता की ललक और उसका घातक परिणाम:
निक्की और कंचन ने पार्लर एवं बुटीक व्यवसाय चलाकर आत्मनिर्भरता हासिल करने का प्रयास किया था। लेकिन इसके विरोध में, विशेषकर सोशल मीडिया पर reels डालने को लेकर, ससुराल से हिंसा बढ़ गई। पुलिस ने बताया कि 21 अगस्त को जब निक्की ने पार्लर खोलने की बात की, तो उसकी बहस हिंसात्मक हो गई—और अंत में पति ने उस पर ज्वलनशील पदार्थ डाल कर आग लगा दी ।
3. घटनाक्रम और वीडियो सबूत:
सोशल मीडिया पर कुछ विस्मयकारी वीडियो वायरल हुए—जिसमें निक्की को बाल पकड़ कर घसीटते हुए, जलते हुए सीढ़ियों से चलते हुए और गंभीर रूप से झुलसी हालत में दिखाया गया है। भागने की कोशिश में सिस्टर कंचन द्वारा घर पर फिल्माए गए क्लिप्स ही पुलिस के लिए अहम सबूत बने ।
4. गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई:
पति विपिन भाटी को सोमवार (23 अगस्त) को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के दौरान उसने पुलिस की पिस्टल छीनने की कोशिश की और भागने के प्रयास में पैर में गोली लग गई; अब 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है ।
माता-भूता सास दया (दयावती) को भी गिरफ्तार किया गया, जो आरोपितों में थी ।
तीसरी गिरफ्तारी में जेठ रोहित भाटी (कंचन के पति) को हरियाणा से पकड़ा गया ।
चौथी गिरफ्तारी ससुर सत्यवीर (सतवीर) की हुई—अब मामले में चारों: पति, सास, ससुर, और जेठ गिरफ्तार हो चुके हैं ।
5. पिता की प्रतिक्रिया और न्याय की मांग:
पीड़िता के पिता भिखारी सिंह/भिखारी सिंह पाया ने आरोपियों को “कसाई” कहा और उनसे सख्त कार्रवाई की मांग की: उन्हें फांसी, घरों पर बुलडोजर, और यदि कार्रवाई नहीं हुई तो भूख हड़ताल की चेतावनी भी दी ।
6. वैधानिक पहलू और सामाजिक संदेश:
मामले में FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1)—हत्या, 115(2)—वोलेंटरी हर्ट, और 61(2)—साजिश में दर्ज हुई है ।
इस घटना ने भारत में दहेज विरोधी कानूनों की क्रियान्वयन में कमी और महिलाओं की सुरक्षा की चिंताओं को उजागर कर दिया है—विशेषकर जब वे आत्मनिर्भर बनने का साहस करती हैं ।
ग्रेटर नोएडा की यह दर्दनाक घटना एक यथार्थ साबित करती है कि दहेज-उन्मूलन कानून न सिर्फ बनाए जाने चाहिए, बल्कि उनका प्रभावी, त्वरित और समावेशी प्रवर्तन आवश्यक है। महिलाओं के आत्म-निर्भर बनने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की बजाय उन्हें प्रताड़ित करना, समाज और न्याय व्यवस्था—दोनों की विफलता दर्शाता है। निक्की केस न्याय व कानून व्यवस्था की परीक्षा है: क्या दोषियों को शीघ्र और सख्त सजा मिल सकेगी, या यह दर्दनाक कहानी सबक बन कर रह जाएगी? पीड़ित परिवार की उम्मीद है कि इस मामले से कांस्यानी समाज में परिवर्तन आए।
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