शी जिनपिंग का पावर शो: चीन में श्री मोदी–पुतिन की महाआगमन

शी जिनपिंग का पावर शो: चीन में श्री मोदी–पुतिन की महाआगमन

चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इस आयोजन का अर्थ केवल एक कूटनीतिक मंच नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर पावर शो के रूप में इसे देखा जा रहा है—जहाँ चीन, भारत और रूस जैसे बड़े खेलाड़ी मिलकर अमेरिका की टैरिफ और प्रभाववादी नीतियों का करारा जवाब देने की तैयारी में हैं।

मुख्य नेता और वैश्विक शक्ति प्रदर्शन: सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश की अध्यक्षता में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस समेत 20 से अधिक वैश्विक नेता भाग लेंगे।

यह SCO शिखर सम्मेलन अपने इतिहास का सबसे बड़ा सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें SCO सदस्य देशों के अलावा अनेक संवाददाता और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति इसे और भी प्रभावी बनाती है।

वैश्विक दक्षिण का एकजुट प्रदर्शन: समकालीन जियो-राजनीतिक स्थर पर अमेरिकी टैरिफ नीतियों और दबावों को देखते हुए, यह सम्मेलन Global South—जिसमें चीन, भारत और रूस प्रमुख हैं—की संयुक्त ताक़त और एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है। इसकी आकर्षक “optics” या दृश्यात्मक शक्ति, विशेष रूप से पश्चिमी प्रभाव को चुनौती देने के लिए डिज़ाइन की गई है।

परिप्रेक्ष्य और सीमाएँ: हालाँकि इसका समायोजनात्मक और प्रतीकात्मक महत्व अत्यधिक है, अमेरिकी विश्लेषक मानते हैं कि SCO की व्यावहारिक कार्यान्वयन क्षमता—जैसे सुरक्षा, आतंकवाद निवारण, और नीति समन्वय—अब भी अस्पष्ट (fuzzy) बनी हुई है।

भारत–चीन संबंधों में नरमी: पिछले कुछ वर्षों की सीमा बैठकें और तनावपूर्ण दौर के बाद, यह प्रधानमंत्री मोदी का चीन में सात वर्षों में पहला दौरा होगा, जो भारत-चीन के संबंधों में मुलायम मोड़ की ओर संकेत करता है।

संभावित समझौते और अपेक्षाएँ: सम्मेलन के दौरान सीमा प्रबंधन, व्यापार, पर्यावरण, जलवायु, और जलवायु जैसे क्षेत्रों में कुछ प्रारंभिक समझौतों की संभावना जताई जा रही है। हालाँकि, इस तरह के ठोस परिणामों की ज्यादा उम्मीद नहीं है, फिर भी दृश्य प्रभाव (optics) का भारी महत्व है।

द्विपक्षीय मुलाकातें और रणनीतिक समन्वय: प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा के पहले, भारत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने उनसे मुलाकात की थी और सीमा मामलों सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की थी। यह चीन–भारत संबंधों के नए अध्याय की तैयारी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संकेत है।

31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन में आयोजित SCO सम्मेलन की पृष्ठभूमि न केवल कूटनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक शक्ति संतुलन की दिशा में एक शक्तिशाली संदेश भी है—जहाँ संयुक्त Global South अमेरिका-प्रवर्तित वैश्विक व्यवस्था को चुनौती दे रहा है और एक नया अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण पेश करने का प्रयास कर रहा है।

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