देवघर: ऐतिहासिक मानसरोवर तालाब उपेक्षा का शिकार, अतिक्रमण और लिपापोती पर सवाल

 

देवघर का ऐतिहासिक महत्व केवल बाबा बैद्यनाथ धाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहां कई प्राचीन तालाब, सरोवर और धार्मिक स्थल भी हैं। इन्हीं में से एक है मानसरोवर तालाब, जिसे राजा मानसिंह ने बनवाया था। आज यह तालाब उपेक्षा, अतिक्रमण और लापरवाही का शिकार बन चुका है। जलस्तर घट रहा है, चारों ओर खरपतवार फैले हुए हैं और स्थानीय लोगों की नाराजगी लगातार बढ़ रही है।

ऐतिहासिक महत्व

मानसरोवर तालाब देवघर का एक प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर है। इतिहासकार बताते हैं कि यह तालाब राजा मानसिंह द्वारा बनवाया गया था। इसके पानी से न केवल क्षेत्र का जल संतुलन बना रहता था, बल्कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर के आस-पास जल की कमी भी काफी हद तक कम होती थी। मानसरोवर तालाब का पानी धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

मौजूदा स्थिति

वर्तमान समय में मानसरोवर तालाब बदहाल स्थिति में है। तालाब का जलस्तर लगातार घट रहा है और पूरा तालाब खरपतवार से ढका हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम वर्षों से तालाब की सफाई और संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

पीआईएल दाखिल

देवघर के स्थानीय पुरोहित मृत्युंजय पंडित ने इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि मानसरोवर तालाब के जल क्षेत्र को बंद कर उस पर अतिक्रमण किया जा रहा है और भवन निर्माण कार्य हो रहा है, जो पूरी तरह अवैध है।

नगर निगम की कार्रवाई पर सवाल

हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद आनन-फानन में नगर निगम ने तालाब से खरपतवार हटाने का काम शुरू कर दिया। हालांकि, मृत्युंजय पंडित का आरोप है कि यह महज़ लीपापोती है। उनका कहना है कि असली मुद्दा तालाब क्षेत्र पर हो रहे अतिक्रमण और भवन निर्माण का है, जिस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

अतिक्रमण का संकट

मानसरोवर तालाब के चारों ओर कई जगहों पर अवैध निर्माण कार्य दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोगों और समाजसेवियों का आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोग धीरे-धीरे तालाब की जमीन पर कब्जा कर भवन खड़ा कर रहे हैं। इससे न केवल तालाब का क्षेत्रफल घट रहा है, बल्कि भविष्य में जल संकट और गहरा सकता है।

धार्मिक और सामाजिक महत्व

मानसरोवर तालाब का पानी प्राचीन समय से धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होता आया है। बाबा बैद्यनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी यह जलस्रोत उपयोगी रहा है। स्थानीय पुरोहितों का कहना है कि मानसरोवर तालाब का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से आवश्यक है बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए भी अनिवार्य है।

जनभावनाएं और आक्रोश

देवघर के लोगों में मानसरोवर तालाब की बदहाली को लेकर गहरा आक्रोश है। कई नागरिक संगठनों ने नगर निगम और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यदि समय रहते तालाब को बचाने के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाली पीढ़ियां इस ऐतिहासिक धरोहर से वंचित हो जाएंगी।

विशेषज्ञों की राय

पर्यावरणविदों का मानना है कि मानसरोवर तालाब का संरक्षण केवल सफाई अभियान तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसके लिए अतिक्रमण हटाने, जलस्तर बनाए रखने, वर्षा जल संरक्षण और नियमित रखरखाव की योजना बनानी होगी।

देवघर का मानसरोवर तालाब केवल एक जलस्रोत नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। आज यह तालाब अतिक्रमण और उपेक्षा की वजह से खतरे में है। यदि प्रशासन ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया तो यह ऐतिहासिक धरोहर आने वाले वर्षों में पूरी तरह से खत्म हो सकती है।

 

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