
नई दिल्ली। देशभर में दिवाली का त्यौहार रोशनी, खुशियों और उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार कुछ जिलों में दिवाली की रौनक पटाखों के शोर के बिना होगी। प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने 8 जिलों में पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगाने का निर्णय लिया है। इन जिलों में पटाखे बेचने, खरीदने और फोड़ने पर सख्त पाबंदी लागू रहेगी। अगर कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे जुर्माना और जेल दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
किन जिलों में लगेगा पटाखों पर बैन?
सरकार ने जिन 8 जिलों में पटाखों पर बैन लागू किया है, वे हैं:
1. दिल्ली
2. गुरुग्राम
3. नोएडा
4. गाजियाबाद
5. फरीदाबाद
6. सोनीपत
7. पानीपत
8. रोहतक
इन जिलों को “रेड जोन” घोषित किया गया है क्योंकि यहां वायु प्रदूषण का स्तर दिवाली के दौरान गंभीर रूप से बढ़ जाता है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार लाना और जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
प्रशासन का क्या कहना है?
पर्यावरण विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि दिवाली के दौरान बढ़ता वायु प्रदूषण दमा, एलर्जी, हृदय रोग और सांस की समस्याओं को बढ़ावा देता है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों के अनुरूप ही यह कदम उठाया गया है।
अवैध पटाखा बिक्री पर सख्त निगरानी: पुलिस और प्रशासन की टीमें दुकानों, गोदामों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर नज़र रखेंगी।
नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई: अगर कोई पटाखे बेचता, खरीदता या फोड़ता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
जुर्माना और जेल: उल्लंघन करने पर 1,000 रुपये से 10,000 रुपये तक का जुर्माना और 6 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। दिल्ली-एनसीआर में हर साल दिवाली के बाद AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।
इसके मुख्य कारण हैं:
पटाखों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक गैसें
फसलों की पराली जलाना
ठंड के मौसम में प्रदूषण का रुकना
घनी आबादी और बढ़ते वाहन
इन सभी कारणों से सांस लेने की समस्या, आंखों में जलन, बच्चों और बुजुर्गों में बीमारियां तेजी से बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि प्रशासन ने इस साल सख्ती से पटाखों पर बैन लगाया है।
क्या ग्रीन क्रैकर्स फोड़ सकते हैं?
कुछ जिलों में “ग्रीन क्रैकर्स” (कम प्रदूषण वाले पटाखे) की अनुमति होती है, लेकिन इन 8 जिलों में इस बार ग्रीन क्रैकर्स की भी अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि यहां किसी भी प्रकार का पटाखा फोड़ना अपराध माना जाएगा।
दिवाली का जश्न कैसे मनाएं?
बैन का मतलब यह नहीं कि त्यौहार की रौनक फीकी पड़ जाएगी। लोग निम्नलिखित तरीकों से दिवाली मना सकते हैं:
दीयों और मोमबत्तियों से घर सजाएं
रंगोली बनाएं और घर को रोशनी से जगमगाएं
परिवार और दोस्तों संग मिठाइयां बांटें
गरीब और जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन और मिठाइयां दान करें
ऑनलाइन या वर्चुअल दिवाली पार्टी आयोजित करें
व्यापारियों की क्या प्रतिक्रिया?
पटाखों के व्यापारियों ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे उनके कारोबार को भारी नुकसान होगा। पिछले दो वर्षों से पटाखा उद्योग कोरोना महामारी और बैन की वजह से पहले ही घाटे में चल रहा है।
पटाखा एसोसिएशन ने कहा: “हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें कम से कम ग्रीन क्रैकर्स बेचने की अनुमति दी जाए ताकि व्यवसाय पूरी तरह न ठप हो।”
स्थानीय व्यापारियों ने दी चेतावनी: “अगर सरकार ने मुआवजे की व्यवस्था नहीं की तो हमें मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।”
जनता की राय क्या है?
इस फैसले को लेकर आम जनता की राय बंटी हुई है।
समर्थन करने वाले कहते हैं:
“हमारे बच्चों और बुजुर्गों की सेहत सबसे महत्वपूर्ण है। पटाखों पर बैन से प्रदूषण कम होगा और दिवाली भी शांति से मनेगी।”
विरोध करने वाले कहते हैं: “दिवाली पटाखों के बिना अधूरी है। हमें ग्रीन क्रैकर्स की अनुमति मिलनी चाहिए थी।”
सोशल मीडिया पर कैसी प्रतिक्रिया?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #NoCrackersDiwali और #GreenDiwali जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
कुछ लोग इस फैसले का समर्थन करते हुए पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दे रहे हैं।
वहीं कुछ यूजर्स का मानना है कि यह परंपराओं पर हमला है।
प्रशासन ने जनता से क्या अपील की?
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे स्वेच्छा से पटाखों का प्रयोग न करें और दिवाली को शांति और सद्भाव से मनाएं।
हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं:
जहां लोग अवैध पटाखा बिक्री या फोड़ने की शिकायत कर सकते हैं।
जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है: स्कूलों, कॉलेजों और आवासीय सोसाइटियों में प्रदूषण के खतरों को समझाया जा रहा है।
यह दिवाली कई लोगों के लिए थोड़ी अलग होगी, लेकिन स्वच्छ हवा और स्वस्थ जीवन के लिए यह एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। सरकार का मानना है कि अगर इस पहल को लोग समर्थन देंगे, तो आने वाले वर्षों में प्रदूषण के स्तर में भारी कमी लाई जा सकती है।