
रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बच्चा चोरी के शक में एक युवक को ग्रामीणों ने पकड़कर जमकर पिटाई कर दी। घटना के बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। यह मामला उस समय सामने आया जब एक ग्रामीण इलाके में अफवाह फैल गई कि एक अज्ञात युवक बच्चों को बहला-फुसलाकर ले जाने की कोशिश कर रहा है। देखते ही देखते मौके पर भीड़ जमा हो गई और लोग आक्रोशित हो उठे।
घटना कैसे हुई?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह घटना बुधवार शाम को रांची जिले के एक गांव में हुई। गांव के कुछ लोगों ने युवक को बच्चों के पास संदिग्ध तरीके से घूमते हुए देखा। इसके बाद अफवाह फैली कि वह बच्चा चोर है। ग्रामीणों ने बिना सच्चाई की पुष्टि किए उसे पकड़ लिया और उसकी पिटाई शुरू कर दी। कुछ लोगों ने इस घटना का वीडियो भी बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
पुलिस की भूमिका
सूचना मिलते ही स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को ग्रामीणों से छुड़ाकर अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस ने बताया कि युवक की पहचान की जा रही है और उससे पूछताछ चल रही है। पुलिस ने ग्रामीणों से अफवाहों पर ध्यान न देने और कानून को हाथ में न लेने की अपील की है।
बच्चा चोरी की अफवाहें और उनका असर
पिछले कुछ समय से झारखंड और आसपास के राज्यों में बच्चा चोरी की अफवाहें तेजी से फैल रही हैं। इन अफवाहों के चलते कई बार निर्दोष लोगों को भीड़ का शिकार होना पड़ा है। पुलिस और प्रशासन लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि किसी भी संदिग्ध घटना की तुरंत सूचना दें लेकिन अफवाहों पर भरोसा कर किसी के साथ हिंसक व्यवहार न करें।
ग्रामीणों का बयान
ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से बच्चों के गुम होने की चर्चाएं चल रही थीं। इसी वजह से लोगों में डर और गुस्सा था। हालांकि, अभी तक पुलिस को ऐसी कोई पुख्ता शिकायत नहीं मिली है जो यह साबित करे कि युवक वास्तव में बच्चा चोर था।
पुलिस की अपील और चेतावनी
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि अगर किसी ने निर्दोष व्यक्ति के साथ मारपीट की है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, सोशल मीडिया पर झूठी खबर फैलाने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा।
बच्चा चोरी की घटनाओं पर नजर
झारखंड के कई जिलों में पिछले वर्षों में बच्चा चोरी की अफवाहों के चलते हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। कुछ मामलों में भीड़ ने संदिग्ध लोगों की हत्या तक कर दी थी। राज्य सरकार ने ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए विशेष निगरानी टीम भी गठित की है।
प्रशासन के प्रयास
प्रशासन ने कहा है कि गांव-गांव में जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा। स्कूलों और पंचायतों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा कि अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को पुलिस को ही सौंपें।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि इस तरह की हिंसा से समाज में डर और अविश्वास का माहौल बनता है। उन्होंने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
घटना के बाद गांव का माहौल
फिलहाल गांव में स्थिति नियंत्रण में है। पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है और लोगों को शांत रहने की अपील की गई है।
यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि अफवाहें कितनी खतरनाक हो सकती हैं। बिना पुष्टि के किसी को दोषी ठहराकर हिंसा करना न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाता है।