
पटना: बिहार सरकार ने राज्यवासियों को शोर प्रदूषण से राहत देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब हर रविवार को पूरे राज्य में हार्न-फ्री डे मनाया जाएगा। इस दिन वाहन चालक बिना किसी जरूरी कारण के हार्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे। सरकार का दावा है कि इस पहल से न केवल शहरों में ध्वनि प्रदूषण कम होगा बल्कि लोगों को भी मानसिक शांति मिलेगी।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
बिहार के शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में लगातार बढ़ते शोर प्रदूषण ने लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, 55 डेसिबल से ऊपर की आवाज़ लंबे समय तक सुनने से तनाव, अनिद्रा, हृदय रोग और सुनने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे शहरों में हॉर्न के शोर को लेकर कई बार शिकायतें दर्ज की गई थीं। इसी को देखते हुए बिहार सरकार ने हर रविवार को हार्न-फ्री डे घोषित किया।

हार्न-फ्री डे पर क्या होंगे नियम?

हार्न-फ्री डे पर क्या होंगे नियम?
1. जरूरी सेवाओं को मिलेगी छूट – एंबुलेंस, दमकल, पुलिस और मेडिकल इमरजेंसी वाहनों को हॉर्न बजाने की अनुमति होगी।
2. बिना वजह हॉर्न बजाने वालों पर जुर्माना – ट्रैफिक पुलिस ऐसे चालकों पर ₹1000 तक का जुर्माना लगाएगी।
3. शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों के आसपास सख्ती – स्कूल, अस्पताल और वृद्धाश्रम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी जाएगी।
4. लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान – पोस्टर, डिजिटल बोर्ड और रेडियो संदेशों के जरिए लोगों को हार्न-फ्री ड्राइविंग के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इससे होने वाले फायदे
ध्वनि प्रदूषण में कमी – लगातार हार्न बजने से उत्पन्न होने वाले शोर से छुटकारा मिलेगा।
स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर – तनाव और नींद की समस्या में कमी आएगी।
सड़क सुरक्षा में सुधार – अनावश्यक हार्न के कारण होने वाले झगड़े और दुर्घटनाएं कम होंगी।
पर्यावरण संरक्षण में योगदान – कम शोर से पक्षियों और अन्य जीवों को भी राहत मिलेगी।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार का कहना है,
“बिहार का यह कदम सराहनीय है। शोर प्रदूषण भी वायु प्रदूषण जितना ही खतरनाक है। हार्न-फ्री डे से लोगों में धैर्य और जिम्मेदार ड्राइविंग की आदत बढ़ेगी।”
वहीं पटना मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सिन्हा ने कहा,
“लगातार हॉर्न के शोर से कान की नसें कमजोर होती हैं और सुनने की क्षमता कम हो सकती है। यह पहल विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों के लिए फायदेमंद होगी।”
आम लोगों की प्रतिक्रिया
पटना के निवासी राकेश मिश्रा ने कहा,
“रविवार को अक्सर परिवार के साथ आराम का दिन होता है। अगर उस दिन शोर कम होगा तो बहुत राहत मिलेगी।”
भागलपुर की छात्रा श्वेता कुमारी ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“बिहार सरकार का हार्न-फ्री डे कदम वाकई सराहनीय है। बाकी दिनों में भी लोग कम से कम हॉर्न का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा।”
अन्य राज्यों के लिए उदाहरण
हार्न-फ्री डे को सफल बनाने के बाद बिहार सरकार इस अभियान को अन्य राज्यों के साथ साझा करने की योजना बना रही है। महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों ने पहले भी इस तरह की मुहिम चलाई थी, लेकिन उसे नियमित तौर पर लागू नहीं किया गया। बिहार पहला राज्य होगा जिसने इसे हर रविवार अनिवार्य किया है।
क्या चुनौतियां रहेंगी?
नियमों का पालन करवाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
ग्रामीण इलाकों में जागरूकता कम होने के कारण इसे लागू करना कठिन हो सकता है।
ट्रैफिक पुलिस पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
आगे की योजना
बिहार परिवहन विभाग ने कहा है कि शुरुआती तीन महीने जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उसके बाद नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। साथ ही, जिन इलाकों में ध्वनि प्रदूषण ज्यादा है, वहां नो-हॉर्न जोन बढ़ाए जाएंगे।
बिहार में हर रविवार को हार्न-फ्री डे लागू करने का फैसला शहरी जीवन को शांत और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे जहां पर्यावरण को लाभ होगा, वहीं लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।