
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर शनिवार को कुरमी समाज ने जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। समाज की मुख्य मांग है कि कुरमी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) की श्रेणी में शामिल किया जाए। देश के विभिन्न राज्यों—झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से हजारों की संख्या में कुरमी समाज के लोग दिल्ली पहुंचे और अपनी आवाज बुलंद की।
धरने में शामिल वक्ताओं का कहना था कि कुरमी समाज को लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर रखा गया है। जबकि ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से कुरमी समुदाय का जीवन आदिवासी समाज से काफी मेल खाता है। बावजूद इसके अब तक इन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किया गया।
कुरमी समाज की मुख्य मांगें
धरने में समाज के नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं—
1. कुरमी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए।
2. शिक्षा, नौकरी और सरकारी योजनाओं में आरक्षण का लाभ मिले।
3. कुरमी समाज की संस्कृति, परंपरा और इतिहास को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जाए।
4. सरकार तुरंत केंद्र और राज्य स्तर पर समिति गठित कर सर्वे कराए।
धरने में गूंजे नारे
धरना स्थल पर “कुरमी समाज को न्याय दो”, “ST में शामिल करो”, “समानता का अधिकार दो” जैसे नारे लगातार गूंजते रहे। बड़ी संख्या में युवा, महिलाएं और बुजुर्ग इसमें शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
इतिहास में कुरमी समाज की स्थिति
इतिहासकारों के अनुसार कुरमी समाज का संबंध कृषि और भूमि से जुड़ा है। समाज का पारंपरिक पेशा खेती रहा है। कहा जाता है कि यह समाज प्राचीन काल से ही आदिवासी जीवन शैली अपनाता आया है। चाहे खानपान हो, रहन-सहन हो या सामाजिक रीति-रिवाज, कुरमी समुदाय की परंपराएं जनजातीय समाज से मेल खाती हैं।
कुरमी नेताओं ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में भी इस समुदाय को आदिवासी माना जाता था, लेकिन बाद में लिस्टिंग में इन्हें अलग कर दिया गया। आजादी के बाद से ही यह समाज अपने अधिकारों और मान्यता के लिए संघर्षरत है।
राजनीतिक दलों की नजर
धरने को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों की भी इस पर नजर है। कई दलों के प्रतिनिधि और स्थानीय नेता जंतर मंतर पहुंचे और समाज की मांगों का समर्थन किया। चुनावी वर्ष को देखते हुए यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी अहम हो गया है। जानकार मानते हैं कि अगर कुरमी समाज को ST में शामिल करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो यह कई राज्यों की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है।
सरकार से क्या है उम्मीद
कुरमी समाज के नेताओं ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि केंद्र सरकार इस पर जल्द निर्णय ले। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो जनजातीय मंत्रालय के माध्यम से कुरमी समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार कर सकती है।
धरना स्थल पर समाज के युवाओं ने भी कहा कि जब तक ST में शामिल नहीं किया जाता, तब तक यह आंदोलन बड़े स्तर पर जारी रहेगा।
महिलाओं की सक्रिय भागीदारी
धरने में महिलाओं की बड़ी संख्या मौजूद रही। उनका कहना था कि समाज की महिलाएं शिक्षा और रोजगार में पिछड़ रही हैं। ST का दर्जा मिलने से समाज की बेटियों को भी सरकारी योजनाओं और छात्रवृत्तियों का लाभ मिलेगा।
भविष्य की रणनीति
कुरमी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांग पूरी नहीं की गई, तो आने वाले समय में वे पूरे देश में आंदोलन को तेज करेंगे। साथ ही, संसद और विधानसभा चुनावों में इसका राजनीतिक असर भी देखने को मिलेगा।
जंतर मंतर पर हुआ यह धरना इस बात का प्रतीक है कि कुरमी समाज अपनी पहचान और अधिकारों के लिए लगातार संघर्षरत है। सरकार और राजनीतिक दलों के लिए यह चुनौती है कि वे समाज की भावनाओं को समझें और ठोस कदम उठाएं। ST की सूची में शामिल होने की मांग सिर्फ आरक्षण का सवाल नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई है।