
पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर सीट बंटवारे का गणित सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। 2025 विधानसभा चुनाव को देखते हुए महागठबंधन (Mahagathbandhan) ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने की कवायद तेज कर दी है। इसी कड़ी में शनिवार देर शाम पटना स्थित पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के आवास पर महागठबंधन के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करने पर गहन मंथन हुआ और संभव है कि कुछ ही दिनों में इसका औपचारिक ऐलान कर दिया जाए।
बैठक में राजद (RJD), कांग्रेस (Congress), वाम दलों (Left Parties) और अन्य सहयोगी दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सूत्रों का कहना है कि करीब तीन घंटे चली इस बैठक में 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों, जातीय समीकरण और गठबंधन धर्म को ध्यान में रखते हुए सीटों की संख्या को लेकर सहमति बनने की कोशिश की गई।
महागठबंधन में सीट बंटवारे की कवायद क्यों अहम?
बिहार में महागठबंधन की राजनीति हमेशा से सीट बंटवारे के फार्मूले पर टिकती रही है। 2020 के चुनाव में जहां राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, वहीं कांग्रेस और वाम दलों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया था। लेकिन इस बार 2025 चुनाव को लेकर महागठबंधन का लक्ष्य सिर्फ सत्ता में वापसी नहीं, बल्कि मजबूत बहुमत के साथ सरकार बनाना है।
तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं का मानना है कि अगर सीटों का बंटवारा संतुलित रहा तो महागठबंधन राज्य में NDA को कड़ी चुनौती देगा। इसीलिए सीटों का तालमेल इस चुनावी लड़ाई का सबसे बड़ा फैक्टर माना जा रहा है।
बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
तेजस्वी यादव के आवास पर हुई बैठक में कई अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई। इनमें मुख्य रूप से –
1. 2020 चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा – किस पार्टी ने कितनी सीटें जीती और किन सीटों पर मुकाबला कड़ा रहा।
2. जातीय समीकरण – किन-किन क्षेत्रों में किस पार्टी का प्रभाव है और वहां से जीत की संभावना किसके ज्यादा है।
3. NDA की रणनीति का मुकाबला – भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) के संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट पर नजर रखते हुए प्रत्याशियों के चयन पर विचार।
4. छोटी पार्टियों की भूमिका – वीआईपी, हम, और अन्य क्षेत्रीय दलों को शामिल करने या उनके लिए सीटें छोड़ने पर मंथन।
सीट बंटवारे का संभावित फॉर्मूला
हालांकि आधिकारिक तौर पर सीटों का बंटवारा घोषित नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक –
राजद (RJD) – सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते लगभग 140 से 150 सीटों पर दावेदारी कर सकती है।
कांग्रेस (Congress) – पिछली बार से थोड़ी कम सीटों के साथ 50 से 55 सीटों पर समझौता हो सकता है।
वाम दल (Left Parties) – उनके लिए 25 से 30 सीटें छोड़ी जा सकती हैं।
अन्य सहयोगी – क्षेत्रीय आधार पर 10 से 15 सीटों पर दावेदारी तय हो सकती है।
इस फॉर्मूले को लेकर सभी दलों में सहमति बनाने की कोशिश जारी है।

तेजस्वी यादव की भूमिका

तेजस्वी यादव की भूमिका
तेजस्वी यादव इस समय महागठबंधन की राजनीति के सबसे मजबूत स्तंभ माने जा रहे हैं। युवा नेतृत्व होने के साथ-साथ उनके पास 2020 चुनाव के अनुभव भी हैं। इस बैठक में उन्होंने सभी दलों के नेताओं को भरोसा दिलाया कि सीट बंटवारे में पारदर्शिता रखी जाएगी और किसी भी सहयोगी दल के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन का असली लक्ष्य सत्ता पाना नहीं बल्कि बिहार की जनता को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार देना है।
NDA पर हमलावर रणनीति
महागठबंधन के नेताओं ने NDA सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। नेताओं का कहना था कि वर्तमान सरकार बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और महंगाई जैसे मुद्दों पर पूरी तरह विफल रही है। महागठबंधन इस बार जनता के बीच इन मुद्दों को लेकर जाएगा और उन्हें भरोसा दिलाएगा कि सत्ता में आने के बाद प्राथमिकता जनहित की होगी।
आगे की रणनीति
बैठक के बाद आधिकारिक बयान भले ही नहीं आया हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं कि अगले सप्ताह सीट बंटवारे का फाइनल फॉर्मूला जनता के सामने लाया जाएगा। कांग्रेस और वाम दलों ने भी सकारात्मक संकेत दिए हैं।
महागठबंधन की कोशिश है कि सितंबर अंत तक सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया जाए ताकि उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार शुरू कर सकें।
बिहार की राजनीति में सीट बंटवारे का यह फॉर्मूला आने वाले चुनाव का बड़ा निर्धारक साबित होगा। महागठबंधन अगर एकजुट रहकर चुनाव मैदान में उतरता है तो NDA के लिए मुकाबला आसान नहीं होगा। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी खेमे ने जिस तरह से तैयारी शुरू की है, उससे साफ है कि बिहार की सियासत आने वाले दिनों में और ज्यादा गरमाने वाली है।