
प्रस्तावना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, महागठबंधन (INDIA गठबंधन) के अंदर सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है। सबसे अहम सवाल यह है कि तेजस्वी यादव (RJD) कांग्रेस को कितनी सीटें देने के लिए तैयार हैं। इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता के बीच चर्चाओं का दौर गर्म है।
महागठबंधन में सीट बंटवारे की कवायद
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बिहार में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। स्वाभाविक है कि RJD सबसे अधिक सीटों पर दावा करेगी। वहीं, कांग्रेस का दावा है कि उसकी जमीनी पकड़ और संगठनात्मक ताकत को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। पिछले चुनावों में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, लेकिन इस बार पार्टी अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रही है।
तेजस्वी यादव की रणनीति
तेजस्वी यादव फिलहाल दोहरे दबाव में हैं। एक तरफ उन्हें गठबंधन की एकजुटता बनाए रखनी है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने संगठन और कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को भी संभालना है। सूत्रों के मुताबिक, RJD नेतृत्व कांग्रेस को पिछली बार से कम सीटें देने के मूड में है।
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, लेकिन पार्टी केवल 19 ही जीत पाई थी।
इस बार चर्चा है कि कांग्रेस को 30 से 40 सीटें ही ऑफर की जा सकती हैं।
कांग्रेस की उम्मीदें
कांग्रेस बिहार में खुद को “किंगमेकर” की भूमिका में देखना चाहती है। पार्टी के नेता मानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन में उनकी भूमिका अहम है, इसलिए बिहार में भी उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए। कांग्रेस का तर्क है कि अगर उसे कम सीटें दी गईं तो उसका जनाधार कमजोर होगा और गठबंधन की ताकत भी प्रभावित होगी।
महागठबंधन में अंदरूनी खींचतान
सीट बंटवारे को लेकर केवल RJD और कांग्रेस ही नहीं, बल्कि अन्य सहयोगी दल जैसे वाम दल भी सक्रिय हैं। सीपीआई, सीपीएम और भाकपा (माले) भी अपने-अपने जनाधार के आधार पर सीटों की मांग कर रहे हैं।
भाकपा (माले) का कहना है कि उसने पिछले चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था और उसे बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए।
ऐसे में RJD के लिए सभी सहयोगियों को संतुष्ट करना एक बड़ी चुनौती है।
भाजपा पर नजर
भाजपा इस पूरी स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है। एनडीए (NDA) की रणनीति साफ है कि वह महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बढ़ रही खींचतान का फायदा उठाए। बीजेपी का मानना है कि महागठबंधन अगर समय रहते सीटों का समाधान नहीं निकाल पाया, तो इसका सीधा लाभ NDA को मिलेगा।
जनता की प्रतिक्रिया
बिहार की जनता इस राजनीतिक रस्साकशी को बारीकी से देख रही है। आम लोग मानते हैं कि अगर महागठबंधन सीटों को लेकर उलझा रह गया, तो चुनावी मैदान में उसका प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। वहीं युवा मतदाता उम्मीद कर रहे हैं कि तेजस्वी यादव और अन्य नेता आपसी सहमति बनाकर विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर फोकस करेंगे।
तेजस्वी यादव और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे की यह खींचतान केवल राजनीतिक समीकरण का खेल नहीं है, बल्कि बिहार की सियासत का भविष्य भी तय करेगी। अगर तेजस्वी यादव कांग्रेस को संतोषजनक सीटें देने में सफल होते हैं, तो महागठबंधन मज़बूती के साथ NDA को चुनौती दे सकेगा। लेकिन अगर खींचतान बढ़ी तो महागठबंधन की एकजुटता पर बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है।