
रांची। झारखंड की राजधानी रांची में सोमवार को ठेला-खोमचा दुकानदारों ने नगर निगम कार्यालय का घेराव कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया और निगम प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। दुकानदारों का आरोप है कि नगर निगम बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए उनकी रोजी-रोटी पर हमला कर रहा है।
क्यों किया गया विरोध प्रदर्शन?
दुकानदारों का कहना है कि नगर निगम शहर को अतिक्रमण मुक्त करने के नाम पर बिना पूर्व सूचना और बिना वैकल्पिक जगह दिए उनके ठेले व खोमचे हटवा रहा है। इस कार्रवाई से हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे वर्षों से यहां व्यापार कर रहे हैं और निगम ने न तो कोई स्थायी मार्केट उपलब्ध कराया और न ही वैधता प्रदान की।
प्रमुख मांगे
1. वैकल्पिक जगह की व्यवस्था: दुकानदारों ने मांग की कि उन्हें व्यापार के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराया जाए।
2. नियमित लाइसेंस प्रदान करना: निगम द्वारा पंजीकरण और लाइसेंस की स्पष्ट नीति लागू की जाए।
3. अचानक कार्रवाई पर रोक: बिना सूचना के कार्रवाई बंद हो।
4. स्थायी पुनर्वास योजना: छोटे व्यापारियों के लिए स्थायी पुनर्वास नीति बने।
निगम प्रशासन का रुख
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि शहर में ट्रैफिक जाम और अतिक्रमण की समस्या बढ़ रही है। इस वजह से जगह-जगह अभियान चलाकर सड़क किनारे लगने वाले अस्थायी ठेले-खोमचे हटाए जा रहे हैं। निगम का तर्क है कि यह कार्रवाई जनहित में है और शहर को सुव्यवस्थित बनाने के लिए आवश्यक है।
प्रदर्शन स्थल पर क्या हुआ?
सोमवार सुबह करीब 11 बजे से ही ठेला-खोमचा दुकानदार निगम कार्यालय के बाहर जमा होने लगे। भीड़ बढ़ते-बढ़ते 300 से अधिक हो गई। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और निगम प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया। पुलिस बल को मौके पर तैनात किया गया ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे। दोपहर बाद दुकानदारों ने निगम अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
आर्थिक संकट की आशंका
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नगर निगम की इस कार्रवाई से छोटे व्यापारी बेरोजगार हो रहे हैं। रांची शहर में हजारों परिवार ठेला-खोमचा और फुटपाथ पर व्यापार कर अपना जीवन यापन करते हैं। यदि इन्हें हटाया गया तो बड़ी संख्या में लोग बेरोजगारी की मार झेलेंगे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शहर में अवैध अतिक्रमण हटना जरूरी है, लेकिन साथ ही गरीब दुकानदारों की रोजी-रोटी भी बचनी चाहिए। अगर निगम प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था करता है तो आम लोगों को भी सुविधा होगी और व्यापारियों को भी नुकसान नहीं होगा।
आगे की राह
नगर निगम ने दुकानदारों को आश्वासन दिया है कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द निकाला जाएगा। निगम आयुक्त ने कहा कि ठेला-खोमचा नीति के तहत उन्हें वैध जगह देने पर विचार किया जाएगा।