
देवघर। शहर के जाने-माने समाजसेवी, जिला ओलंपिक संघ के अध्यक्ष और शिक्षा व खेल के प्रबल समर्थक डॉ. सुनील खवाड़े ने सोमवार को देवघर के महेशमारा हाई स्कूल के करीब 400 बच्चों को एक ऐसा तोहफ़ा दिया, जिसकी यादें वे जीवनभर संजो कर रखेंगे। बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में चमक उस पल को और भी खास बना रही थी, जब वे सब मिलकर देवघर के शंकर टॉकीज में चल रहे जादूगर सिकंदर के शो का आनंद ले रहे थे।
डॉ. खवाड़े ने बच्चों के लिए पूरा शो बुक कर दिया था। दोपहर 12:30 बजे जब बच्चे अपने शिक्षकों और शिक्षिकाओं के साथ सिनेमा हॉल पहुंचे, तो वहां का माहौल उत्साह से भर गया। करीब दो घंटे तक चले इस शो में बच्चों ने विज्ञान और कला के संगम से बने हैरतअंगेज जादुई करतबों का आनंद उठाया।
बच्चों की खुशी ही मेरी असली खुशी : डॉ. सुनील खवाड़े
शो के बाद बच्चों को संबोधित करते हुए डॉ. खवाड़े ने कहा –
“बच्चों की मुस्कान में ही मेरी खुशी छिपी है। जादू देखकर बच्चे जितने आनंदित नहीं होते, जादू दिखा कर मैं उनसे ज्यादा खुश होता हूं। यह मेरे लिए निजी संतोष का विषय है, किसी भी राजनीतिक उद्देश्य से इसका संबंध नहीं है। मुझे कोई चुनाव नहीं लड़ना है, बस बच्चों के जीवन में कुछ पल की हंसी और आनंद जोड़ना ही मेरा लक्ष्य है।”
उन्होंने कहा कि महेशमारा हाई स्कूल के बच्चे उनके अपने बच्चों जैसे हैं। जब उन्होंने बच्चों को शो में हंसते – खिलखिलाते देखा, तो उन्हें लगा मानो उनके खुद के बच्चों ने यह जादू देखा हो।
अल्पाहार और झूले की भी विशेष व्यवस्था
जादू शो के दौरान डॉ. सुनील खवाड़े ने न सिर्फ टिकट की व्यवस्था की बल्कि बच्चों और शिक्षकों के लिए जूस और अल्पाहार का भी इंतजाम किया। शो खत्म होने के बाद बच्चों को शंकर टॉकीज परिसर में लगे झूले और राइड्स का भी मुफ्त आनंद मिला। बच्चों ने विशेष रूप से जंपिंग झूले का खूब मजा लिया।
इस दौरान जिला खेल प्राधिकरण के सचिव आशीष झा, नवीन शर्मा और कई स्थानीय लोग भी मौजूद रहे।
शिक्षा और खेल के संतुलन पर जोर
डॉ. खवाड़े ने कहा कि आज की पीढ़ी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में उलझकर खेल और शारीरिक विकास से दूर हो रही है। शहर में ठीक-ठाक खेल मैदान तक नहीं है। बच्चों का विकास सिर्फ पढ़ाई से नहीं, बल्कि खेल और मनोरंजन से भी होता है।
“इसलिए मेरा हमेशा प्रयास रहता है कि स्कूली बच्चों को खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ा जाए, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।”
विलुप्त होती जादू की कला को बचाने का प्रयास
उन्होंने कहा कि जादू सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि विज्ञान और कला का संगम है। आज यह कला विलुप्त होने के कगार पर है। लेकिन जादूगर सिकंदर जैसे लोग इसे बचाए हुए हैं।
“जब हमारे शहर में ऐसे कलाकार आते हैं, तो हमें उनका सहयोग करना चाहिए। इसलिए मैं देवघरवासियों से अपील करता हूं कि टिकट लेकर जादू का शो जरूर देखें। ऐसा करने से न सिर्फ बच्चों का मनोरंजन होगा, बल्कि इस कला को जिंदा रखने में भी योगदान मिलेगा।”
खेल संघ और अन्य स्कूलों के बच्चों को भी मिलेगा मौका
डॉ. खवाड़े ने बताया कि अब तक वे महेशमारा हाई स्कूल और मलहारा हाई स्कूल के करीब एक हजार बच्चों को जादू का शो दिखा चुके हैं। आने वाले दिनों में वे विभिन्न खेल संघों से जुड़े बच्चों, आर. मित्रा हाई स्कूल, और एक ग्रामीण स्कूल के बच्चों को भी जादू का शो दिखाएंगे। उन्होंने कहा – “आर. मित्रा हाई स्कूल मेरी अपनी पढ़ाई का स्थान है, वहां के बच्चों को जादू दिखाना मेरा कर्तव्य बनता है।”
समाजसेवा को जीवन का उद्देश्य बनाया
डॉ. खवाड़े लंबे समय से देवघर में शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय हैं। वे न सिर्फ बच्चों को खेलों से जोड़ते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर उनकी मदद भी करते हैं। इस बार का उनका यह प्रयास बच्चों के चेहरे पर अनगिनत मुस्कानें छोड़ गया।
देवघर जैसे छोटे शहर में जब समाजसेवी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों के लिए आगे आते हैं, तो न केवल बच्चे बल्कि पूरा समाज प्रेरित होता है। डॉ. सुनील खवाड़े का यह कदम न सिर्फ बच्चों को आनंदित करने वाला था, बल्कि इसमें शिक्षा, विज्ञान, कला और सामाजिक जिम्मेदारी का भी गहरा संदेश छिपा हुआ है।
उनका यह कहना कि “मुझे कोई चुनाव नहीं लड़ना है, बच्चों की खुशी ही मेरी खुशी है” यह साबित करता है कि समाजसेवा का असली उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ नहीं बल्कि सामूहिक विकास और संतोष है।