
निकाय चुनाव :
झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में अवमानना मामले पर 14 अक्टूबर को सुनवाई तय की, लेकिन मुख्य सचिव अलका तिवारी रिटायरमेंट से पहले ही चार्ज फ्रेम से बाहर रहेंगी।
रांची। झारखंड में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव को लेकर चल रहे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 अक्टूबर 2025 को मुख्य सचिव अलका तिवारी, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार सहित अन्य अधिकारियों पर चार्ज फ्रेम करने की तारीख तय कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि मुख्य सचिव अलका तिवारी 30 सितंबर 2025 को सेवानिवृत्त हो रही हैं। ऐसे में वे चार्ज फ्रेम की तारीख से पहले ही रिटायर हो जाएंगी।
इस मामले में नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया में देरी को लेकर याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज्य सरकार ने समय पर चुनाव कराने के हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अनावश्यक देरी को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कोर्ट का रुख सख्त
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में देरी जनता के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब समय पर तैयारी का आदेश दिया गया था तो अब तक चुनाव क्यों नहीं कराए गए। इस पर राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि परिसीमन प्रक्रिया में कुछ तकनीकी अड़चनें आईं, जिस कारण चुनाव कार्यक्रम तय नहीं हो सका।
लेकिन अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए साफ किया कि लोकतांत्रिक ढांचे में समय पर चुनाव कराना अनिवार्य है। कोर्ट ने अवमानना याचिका को गंभीर मानते हुए कहा कि अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
अलका तिवारी 30 सितंबर को रिटायर
मुख्य सचिव अलका तिवारी 30 सितंबर 2025 को सेवानिवृत्त हो रही हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर उनका लंबा करियर रहा है। उन्होंने कई अहम विभागों में काम किया और कई बार संवेदनशील मामलों में निर्णायक भूमिका निभाई। हालांकि, इस अवमानना मामले में चार्ज फ्रेम की तारीख उनके रिटायरमेंट के करीब दो हफ्ते बाद यानी 14 अक्टूबर को तय की गई है।
इससे स्पष्ट है कि चार्ज फ्रेम की कार्यवाही में वे औपचारिक रूप से शामिल नहीं होंगी। हालांकि, कानूनी तौर पर कोर्ट चाहें तो रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें नोटिस भेज सकती है।
नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव भी घेरे में
इस मामले में नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार व अन्य अधिकारियों पर भी चार्ज फ्रेम होगा। नगर निकाय चुनावों को लेकर बार-बार तारीखें आगे बढ़ाने पर कोर्ट पहले ही नाराजगी जता चुका है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव में देरी लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है।
राजनीतिक हलकों में हलचल
हाईकोर्ट के इस कदम से राजनीतिक हलकों में हलचल है। विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर निकाय चुनाव टाल रही है ताकि सत्ता पक्ष को राजनीतिक फायदा मिले। विपक्षी नेताओं ने कहा कि हाईकोर्ट का यह कदम सरकार के लिए चेतावनी है।
वहीं सत्तारूढ़ दल के नेताओं का कहना है कि परिसीमन की प्रक्रिया के बिना चुनाव कराना संभव नहीं था। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए जल्द से जल्द चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।
निकाय चुनाव की पृष्ठभूमि
झारखंड में नगर निकाय चुनाव लंबे समय से टलते आ रहे हैं। पिछली बार 2018 में चुनाव हुए थे। इसके बाद 2023 में चुनाव कराने की योजना थी, लेकिन अलग-अलग वजहों से यह आगे बढ़ता रहा। इस बीच राज्य सरकार ने कई बार हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की।
हाईकोर्ट ने पहले ही कहा था कि बार-बार का टालना अस्वीकार्य है। चुनाव में देरी का असर सीधे तौर पर शहरी विकास योजनाओं पर पड़ रहा है, क्योंकि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में निर्णय लेने में अड़चनें आ रही हैं।
अवमानना मामले की अहमियत
कानूनी जानकारों के मुताबिक, कोर्ट की अवमानना का मामला गंभीर होता है। अगर कोर्ट पाता है कि सरकारी अधिकारी उसके आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो उन पर चार्ज फ्रेम होने के बाद आगे की सख्त कार्रवाई हो सकती है। इसमें जुर्माना या अन्य दंडात्मक कदम शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, अलका तिवारी के रिटायरमेंट से पहले चार्ज फ्रेम न होने से कानूनी प्रक्रिया पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि रिटायरमेंट के बाद भी कोर्ट चाहे तो कार्रवाई जारी रख सकता है।
आगे की सुनवाई
अब 14 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि कोर्ट अगला कदम क्या उठाता है। सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि हाईकोर्ट सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ किस तरह की कार्यवाही करता है।