
बहराइच, उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र बहराइच जिले में भेड़िए का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा घटना में एक भेड़िए ने गांव की एक महिला की गोद से उसकी मासूम बच्ची को छीन लिया और मौके पर ही उसे नोच-नोचकर खा गया। यह घटना पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर चुकी है। ग्रामीणों को बच्ची का सिर मात्र हड्डी के रूप में मिला। यह जिले में 48 घंटे के भीतर भेड़िए का दूसरा शिकार है।
घटना का पूरा विवरण
यह दिल दहला देने वाली घटना कैसरगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव की है। जानकारी के मुताबिक, देर शाम महिला अपनी छह माह की बच्ची को गोद में लेकर घर के बाहर बैठी थी। अचानक झाड़ियों से निकला एक भेड़िया पलभर में बच्ची को महिला की गोद से छीनकर भाग गया। महिला ने चीखते हुए ग्रामीणों को आवाज दी, लेकिन तब तक भेड़िया मासूम को लेकर जंगल की ओर निकल चुका था।
कुछ देर बाद ग्रामीणों ने तलाश शुरू की और खेतों में बच्ची का क्षत-विक्षत शव मिला। सिर पर सिर्फ हड्डी ही बची थी, जबकि शरीर के अन्य हिस्से पूरी तरह से नोचे जा चुके थे। इस दर्दनाक दृश्य को देखकर गांव वालों की आंखों से आंसू झर पड़े और गुस्से के साथ डर का माहौल छा गया।
48 घंटे में दूसरा शिकार
यह घटना और भी गंभीर इसलिए है क्योंकि 48 घंटे पहले भी इसी इलाके में एक भेड़िए ने एक 5 साल के बच्चे को मार डाला था। उस मामले में भी बच्चा खेल रहा था, तभी भेड़िया झपट्टा मारकर ले गया। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने पहली घटना के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके चलते यह दूसरी वारदात हो गई।
ग्रामीणों में भय और गुस्सा
गांव के लोगों का कहना है कि वे अब घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। महिलाएं और बच्चे शाम के बाद बाहर नहीं निकल रहे। रात होते ही गांव में सन्नाटा पसर जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की लापरवाही के कारण भेड़ियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है।
वन विभाग और प्रशासन की कार्यवाही
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि भेड़िए को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए जाएंगे और गश्त भी बढ़ाई जाएगी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह इलाका दुधवा नेशनल पार्क और तराई के जंगलों से सटा हुआ है, जहां जंगली जानवर अक्सर गांवों की तरफ भटक आते हैं।
हालांकि ग्रामीणों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उनका कहना है कि जब तक भेड़िए को पकड़ा नहीं जाएगा, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। कुछ ग्रामीणों ने तो रात में पहरा देने का भी निर्णय लिया है।
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, जंगलों में भोजन की कमी और मानव बस्तियों के बढ़ते दखल की वजह से भेड़िए और अन्य जंगली जानवर गांवों की तरफ आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ बहराइच का ही नहीं, बल्कि तराई और सीमावर्ती जिलों में आम होती जा रही समस्या है।
प्रशासन के सामने चुनौती
स्थानीय प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती बन चुकी है। एक ओर ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, वहीं दूसरी ओर वन्यजीव संरक्षण कानूनों का पालन भी करना है। यदि भेड़िए को मारा जाता है, तो यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन होगा। ऐसे में अधिकारियों को उसे जीवित पकड़ने के प्रयास करने होंगे।
दहशत में जी रहे ग्रामीण
गांव की महिलाओं का कहना है कि अब वे बच्चों को घर के बाहर खेलने भी नहीं भेज पा रही हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों को भी अभिभावक अकेले भेजने से कतरा रहे हैं। खेतों में काम करने वाले किसान भी अब समूह में ही निकल रहे हैं।
मांगें और सवाल
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तुरंत भेड़िए को पकड़ने की कार्रवाई करे और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। लोगों का सवाल है कि पहली घटना के बाद ही क्यों जरूरी कदम नहीं उठाए गए?
बहराइच में भेड़िए का आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि लोग घर से निकलने से डर रहे हैं। दो मासूम बच्चों की मौत ने प्रशासन की लापरवाही और वन विभाग की सुस्ती को उजागर कर दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी कार्रवाई करता है, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।