
देवघर (झारखंड)।
देवघर जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र के नावाकुरा गांव में ढाई महीने पहले जन्मा एक मासूम बच्चा आज पूरे इलाके की आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है। इस बच्चे की पीठ पर पूंछ जैसी अद्भुत संरचना है, जिसे देखकर न सिर्फ गांव के लोग बल्कि दूर-दराज़ के श्रद्धालु भी इसे भगवान बजरंग बली का रूप मान रहे हैं।
गांव के लोगों का कहना है कि इस अद्भुत घटना ने पूरे इलाके का माहौल आध्यात्मिक बना दिया है। हर दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु बच्चे के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। बच्चे की एक झलक पाने के लिए लोग लंबी दूरी तय कर रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इस बच्चे के दर्शन करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
जन्म के समय डॉक्टर भी रह गए हैरान
बच्चे की मां बताती हैं कि जब उनका बेटा पैदा हुआ तो पीठ पर पूंछ जैसी आकृति देख डॉक्टर भी हैरान रह गए थे। अस्पताल के स्टाफ ने इसे बेहद दुर्लभ घटना बताया। हालांकि डॉक्टरों ने इसे चिकित्सीय दृष्टि से एक मेडिकल कंडीशन कहा, लेकिन ग्रामीणों ने इसे चमत्कार मानते हुए पूजा-अर्चना शुरू कर दी।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह कोई साधारण बच्चा नहीं है, बल्कि भगवान का आशीर्वाद है। उनका विश्वास है कि बजरंग बली ने स्वयं इस बच्चे के रूप में गांव में अवतार लिया है।
श्रद्धालुओं की बढ़ रही भीड़, गांव में हो रहा भजन-कीर्तन
धीरे-धीरे इस घटना की चर्चा आसपास के गांवों और पूरे देवघर जिले में फैल गई। अब हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु नावाकुरा गांव पहुंच रहे हैं। यहां सुबह से ही भजन-कीर्तन का माहौल बना रहता है। ग्रामीणों ने विशेष पूजा का आयोजन शुरू कर दिया है।
हर शाम हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है और प्रसाद चढ़ाया जाता है। श्रद्धालु इस चमत्कारी बच्चे के दर्शन करने के बाद अपने घरों में सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।
नावाकुरा गांव बन रहा धार्मिक केंद्र
नावाकुरा गांव, जो अब तक एक साधारण गांव था, अब धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। गांव में बाहर से आने वाले लोगों के लिए पूजा-पाठ की विशेष व्यवस्था की जा रही है। ग्रामीणों के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन भी सुरक्षा और व्यवस्था संभालने में सक्रिय हो गया है।
गांव के युवाओं ने श्रद्धालुओं के लिए पेयजल और बैठने की व्यवस्था की है। वहीं, स्थानीय दुकानदारों ने प्रसाद और पूजा सामग्री की दुकानें भी लगानी शुरू कर दी हैं।
चिकित्सक मानते हैं मेडिकल कंडीशन, पर आस्था अडिग
हालांकि डॉक्टर इस अद्भुत संरचना को एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति बता रहे हैं, लेकिन गांव वालों के लिए यह आस्था का प्रश्न है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना भगवान की शक्ति का प्रमाण है।
झारखंड के अन्य जिलों से भी लोग यहां दर्शन करने आ रहे हैं। कई श्रद्धालु तो यहां रातभर रुककर भजन-कीर्तन में हिस्सा ले रहे हैं।
बजरंग बली के रूप में श्रद्धा का प्रतीक
गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि हनुमान जी का जन्म भी एक चमत्कारी घटना थी और यह बच्चा उसी का प्रतीक है। उनका विश्वास है कि यह बालक आने वाले समय में पूरे क्षेत्र के लिए मंगल का संदेश लेकर आया है।
श्रद्धालु इस बच्चे को बजरंग बली का प्रत्यक्ष रूप मानकर माथा टेकते हैं और प्रसाद अर्पित करते हैं। उनका कहना है कि इस बालक के दर्शन मात्र से मन की हर इच्छा पूरी होती है।
आस्था और चमत्कार की अनूठी मिसाल
नावाकुरा का यह बच्चा आज पूरे झारखंड और आसपास के राज्यों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। गांव में दिन-रात भक्ति गीतों की गूंज सुनाई देती है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह चमत्कार आने वाले समय में नावाकुरा को धार्मिक मानचित्र पर एक अलग पहचान दिलाएगा।
प्रशासन ने सुरक्षा और चिकित्सा की निगरानी के लिए टीम नियुक्त की है, ताकि बढ़ती भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और बच्चे व उसके परिवार को कोई परेशानी न हो।
नावाकुरा का यह चमत्कारी बच्चा आज न सिर्फ देवघर बल्कि पूरे क्षेत्र में आस्था, चमत्कार और विश्वास का अद्भुत उदाहरण बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक भगवान बजरंग बली का आशीर्वाद इस गांव पर बना रहेगा, तब तक यह आस्था का केंद्र यूं ही फलता-फूलता रहेगा।