
गिरिडीह जिले के चर्चित उसरी फॉल में बड़ा हादसा टला, रेस्क्यू टीम और स्थानीय युवाओं की सतर्कता से बची जानें
गिरिडीह (झारखंड) के मशहूर पर्यटन स्थल उसरी जलप्रपात (Usri Waterfall) पर रविवार को बड़ा हादसा होते-होते टल गया। यहाँ पिकनिक मनाने आए चार युवक पानी की तेज धार में बह गए, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों और रेस्क्यू टीम की सतर्कता से सभी को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया गया। घटना के बाद जलप्रपात क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई और मौके पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए।
हादसे की पूरी कहानी
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, चारों युवक रांची से पिकनिक मनाने गिरिडीह के उसरी फॉल पहुंचे थे। फोटो खिंचवाने और नहाने के दौरान वे पानी के तेज बहाव में फंस गए। देखते ही देखते चारों गहरे पानी की ओर खिंचने लगे।
स्थानीय लोगों ने जब युवकों को संघर्ष करते देखा, तो तुरंत शोर मचाया। कुछ साहसी ग्रामीणों ने अपनी जान की परवाह किए बिना पानी में छलांग लगाई और युवकों को बाहर निकालने में मदद की। थोड़ी देर बाद प्रशासन की रेस्क्यू टीम भी मौके पर पहुंची और सभी चारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
मौत के मुंह से बचने का अनुभव
हादसे से बाल-बाल बचे युवकों ने बताया कि उन्हें कुछ सेकंड के लिए लगा जैसे अब वे कभी जिंदा बाहर नहीं निकल पाएंगे। पानी का बहाव इतना तेज था कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया था।
एक युवक ने कहा—
“हम तो यह सोच चुके थे कि अब सब खत्म हो गया है। लेकिन जब अचानक किसी ने हमारा हाथ पकड़कर खींचा, तब लगा कि भगवान ने हमें दूसरी जिंदगी दी है।”
हादसे के बाद फैली दहशत
घटना के बाद जलप्रपात के किनारों पर चीख-पुकार मच गई। परिवार के लोग रोने लगे और सैकड़ों की भीड़ मौके पर जमा हो गई। हालांकि युवकों को सकुशल बचा लेने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
प्रशासन की चेतावनी
हादसे के बाद गिरिडीह जिला प्रशासन ने पर्यटकों से सावधानी बरतने की अपील की है। प्रशासन का कहना है कि मानसून के मौसम में उसरी फॉल का पानी काफी तेज और खतरनाक हो जाता है। इसलिए पर्यटक सिर्फ सुरक्षित ज़ोन तक ही जाएं और नहाने की कोशिश न करें।
उसरी जलप्रपात: पर्यटन स्थल और खतरे
झारखंड का उसरी जलप्रपात गिरिडीह जिले का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है। यहाँ हर साल हजारों पर्यटक पिकनिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने पहुंचते हैं।
यह जलप्रपात 40 फीट से भी अधिक ऊंचाई से गिरता है।
बारिश के मौसम में इसका पानी बेहद तेज हो जाता है।
कई बार पर्यटकों की लापरवाही जानलेवा साबित हो चुकी है।
पिछले कुछ वर्षों में भी यहां कई हादसे हो चुके हैं। बावजूद इसके लोग चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा नियमों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
हादसों का इतिहास
2022 में एक कॉलेज छात्र पानी में बह गया था।
2023 में पिकनिक मनाने आए दो युवकों की डूबकर मौत हो गई थी।
हर साल मानसून के दौरान 2-3 घटनाएं दर्ज की जाती हैं।
इन हादसों के बाद भी सुरक्षा इंतज़ाम पूरी तरह पुख्ता नहीं दिखते।
स्थानीय लोगों की भूमिका
इस बार सबसे बड़ी बात यह रही कि हादसा स्थानीय युवाओं की बहादुरी से टल गया। उन्होंने बिना देर किए पानी में छलांग लगाई और फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि प्रशासन को सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाने से ज्यादा ठोस कदम उठाने चाहिए।
हादसे के बाद सवाल
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या प्रशासन को पर्यटकों की सुरक्षा के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने चाहिए?
क्यों बार-बार हादसों के बावजूद यहां लाइफगार्ड और सुरक्षा गार्ड की संख्या पर्याप्त नहीं रहती?
क्या पर्यटकों की लापरवाही को रोकने के लिए जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए?
पर्यटकों के लिए सुरक्षा टिप्स
1. कभी भी चेतावनी बोर्ड को नज़रअंदाज़ न करें।
2. तेज बहाव या गहरे पानी में न जाएं।
3. छोटे बच्चों और बुजुर्गों को किनारे से दूर रखें।
4. पिकनिक का आनंद लें लेकिन जान जोखिम में न डालें।
5. यदि कोई हादसा दिखे तो तुरंत प्रशासन को सूचना दें।
उसरी जलप्रपात हादसा एक चेतावनी है कि लापरवाही हमें मौत के करीब ले जा सकती है। चार युवकों की जान बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं था। लेकिन यह भी सच है कि ऐसे हादसे हर बार टलेंगे, इसकी गारंटी नहीं है।
प्रशासन को सुरक्षा इंतज़ाम और सख्त करने होंगे, वहीं पर्यटकों को भी समझना होगा कि रोमांच और एडवेंचर जान से बढ़कर नहीं है।