
देवघर : नवरात्रि के पावन अवसर पर पूरा देवघर शहर मां दुर्गा की भक्ति में डूबा हुआ है। शहर के विभिन्न इलाकों में भव्य पंडालों का निर्माण हुआ है, जहां देवी दुर्गा की प्रतिमाएं आकर्षक सजावट के साथ विराजमान हैं। श्रद्धालु अपनी-अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए मां की आराधना कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ बाबा बैद्यनाथ धाम में भी मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना हो रही है। देशभर से आए भक्तगण शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
लेकिन इस धार्मिक उल्लास के बीच किन्नर समाज की भक्ति सबसे अलग और अनूठी छवि प्रस्तुत कर रही है। देवघर के किन्नर समाज की आस्था और पूजा का तरीका इस बार चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां की किन्नर मंडली अपनी अनोखी भक्ति और निस्वार्थ प्रार्थना के लिए जानी जाती है।
नवरात्रि की शुरुआत विधि-विधान से
देवघर के किन्नर समाज ने घर पर पूरे वैदिक विधि-विधान के साथ नवरात्रि की शुरुआत की है। समाज की मुखिया रोज मौसी के नेतृत्व में मंडली ने कलश स्थापना कर देवी दुर्गा की पूजा आरंभ की। कलश स्थापना के समय पूरे घर में शुद्ध वातावरण और पारंपरिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा की गई। हर सदस्य ने उपवास रखने का संकल्प लिया और मां दुर्गा से विश्व कल्याण की प्रार्थना की।
निस्वार्थ भक्ति : खुद के लिए कुछ नहीं मांगते
किन्नर समाज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे अपनी आराधना में कभी व्यक्तिगत इच्छाएं या अपनी निजी समस्याओं का समाधान नहीं मांगते। रोज मौसी कहती हैं कि उनकी प्रार्थना केवल विश्व कल्याण, समाज में भाईचारा और उनके यजमानों की खुशहाली के लिए होती है। उनका मानना है कि मां दुर्गा शक्ति, शांति और समृद्धि की प्रतीक हैं, और उनकी कृपा से ही पूरी सृष्टि में संतुलन बना रहता है।
पूरे नवरात्रि उपवास और भजन-कीर्तन
पूरी नवरात्रि के दौरान रोज मौसी और उनकी पूरी मंडली उपवास में रहती है। प्रतिदिन मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने घंटों तक भजन-कीर्तन और देवी गीत गाए जाते हैं। ढोलक और मंजीरा की मधुर ध्वनि से वातावरण गूंज उठता है। यह दृश्य भक्तों के लिए बेहद मनमोहक और आध्यात्मिक अनुभव से भर देने वाला होता है।
भजन-कीर्तन के दौरान मां की महिमा का गुणगान किया जाता है और भक्तिभाव से ओतप्रोत किन्नर मंडली अपने भावपूर्ण गीतों से माहौल को दिव्य बना देती है। यहां उपस्थित लोग बताते हैं कि रोज मौसी के स्वर और उनकी मंडली का भक्ति भाव हर किसी को भावविभोर कर देता है।
नौवें दिन कुमारी कन्या का पूजन
नवरात्रि के समापन पर नौवें दिन किन्नर समाज द्वारा कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है। विधि-विधान से कन्याओं के पैर धोए जाते हैं, उन्हें विशेष व्यंजन का भोजन कराया जाता है और उनके आशीर्वाद को मां दुर्गा का आशीर्वाद माना जाता है। यह अनोखी परंपरा हर साल यहां निभाई जाती है और समाज में धार्मिक सद्भाव और आस्था का संदेश देती है।
बाबा मंदिर में भी विशेष अनुष्ठान
दूसरी ओर देवघर के विश्व प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भी मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना जारी है। यहां देशभर से आए श्रद्धालु अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए मां की आराधना कर रहे हैं। पूरा मंदिर परिसर देवी भक्ति के रंग में रंगा हुआ है।
समाज को सकारात्मक संदेश
किन्नर समाज का यह अनूठा आयोजन समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। आमतौर पर किन्नर समाज को हाशिये पर देखा जाता है, लेकिन नवरात्रि के इस पावन पर्व पर उनका निस्वार्थ भाव पूरे समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देता है – कि सच्ची भक्ति वह है जिसमें दूसरों की भलाई की प्रार्थना हो।
रोज मौसी बताती हैं कि मां दुर्गा की कृपा से ही जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा आती है। उनका कहना है कि नवरात्रि आत्मशुद्धि और आस्था का पर्व है और इसी के माध्यम से वे पूरे विश्व में शांति और समृद्धि की कामना करती हैं।
देवघर बना भक्ति का केंद्र
नवरात्रि के दौरान देवघर पूरी तरह भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंगा हुआ है। शहर के बड़े-बड़े पंडालों में मां दुर्गा की अद्भुत प्रतिमाएं स्थापित हैं। शाम होते ही पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। बिजली की रंगीन रोशनी और मां के भजनों से पूरा शहर गूंज रहा है। इस बीच किन्नर समाज की अनूठी पूजा पूरे देवघर के लिए आस्था और प्रेरणा का प्रतीक बन गई है।