
नई दिल्ली। भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूती मिलने वाली है। केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 97 तेजस लड़ाकू विमान (Tejas Fighter Jets) खरीदने के लिए ₹62 हजार करोड़ की ऐतिहासिक डील को मंजूरी दे दी है। यह डील भारतीय वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देगी। इन स्वदेशी फाइटर जेट्स को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा, जहां वे धीरे-धीरे रिटायर हो रहे MIG-21 लड़ाकू विमानों की जगह लेंगे।
तेजस फाइटर जेट्स की इस बड़ी खरीद के साथ भारत ने एक बार फिर आत्मनिर्भर भारत अभियान (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील आने वाले दशकों तक भारत की हवाई सुरक्षा को और मजबूत करेगी।
MIG-21 का अंत, अब आ रहा है तेजस का युग
MIG-21 लड़ाकू विमान पिछले कई दशकों से भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहे हैं। लेकिन इन विमानों को अक्सर “फ्लाइंग कॉफिन” कहा जाता रहा है क्योंकि दुर्घटनाओं में कई पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं। अब जब MIG-21 कल आधिकारिक तौर पर रिटायर हो रहे हैं, तब तेजस का बेड़ा उनकी जगह लेने के लिए तैयार खड़ा है।
तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) है, जिसे HAL ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है। यह पूरी तरह मेक इन इंडिया परियोजना का हिस्सा है।
तेजस फाइटर जेट की खासियतें
तेजस एक 4.5 पीढ़ी का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है। इसकी कुछ मुख्य खूबियां इस प्रकार हैं –
यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों तरह के हमले करने में सक्षम है।
इसमें फ्लाई-बाय-वायर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो पायलट को बेहतर नियंत्रण देती है।
इसकी अधिकतम गति 1.8 मैक (लगभग 2200 किलोमीटर प्रति घंटा) है।
यह हवा में 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।
इसमें मॉडर्न एवियोनिक्स, राडार और हथियार प्रणाली शामिल हैं।
यह 4,000 किलोग्राम तक के हथियार ले जाने में सक्षम है।
इन विशेषताओं के कारण तेजस न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि भविष्य में निर्यात के लिहाज से भी बेहद अहम साबित हो सकता है।

97 तेजस का ऑर्डर – वायुसेना को नई ताकत

97 तेजस का ऑर्डर – वायुसेना को नई ताकत
भारत सरकार द्वारा साइन की गई इस डील के तहत HAL अगले कुछ वर्षों में भारतीय वायुसेना को 97 तेजस जेट उपलब्ध कराएगा। यह डील अब तक की सबसे बड़ी घरेलू रक्षा खरीद में से एक है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इससे देश में रक्षा उत्पादन, रोजगार और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा –
“MIG-21 की जगह तेजस का शामिल होना हमारी हवाई ताकत को नई धार देगा। यह विमान भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
स्वदेशी उत्पादन से आत्मनिर्भर भारत को मजबूती
तेजस परियोजना भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रतीक है। इस प्रोजेक्ट के जरिए देश ने दिखा दिया है कि अब वह विदेशी हथियारों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहेगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील भारत को रक्षा निर्यातक (Defence Exporter) बनने की दिशा में भी मदद करेगी। तेजस को पहले से ही कई देशों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।

वैश्विक स्तर पर भारत की ताकत

वैश्विक स्तर पर भारत की ताकत
तेजस के शामिल होने से भारत न केवल अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि यह पड़ोसी देशों को भी एक स्पष्ट संदेश देगा कि भारत की रक्षा तकनीक अब पूरी तरह आधुनिक और विश्वस्तरीय है।
भारत का यह कदम वैश्विक रक्षा बाजार में भी अहम साबित हो सकता है, जहां भारत भविष्य में तेजस को कई देशों को निर्यात कर सकता है।
पायलटों की पहली पसंद बन रहा तेजस
भारतीय वायुसेना के पायलटों ने तेजस को उड़ाने का अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह विमान बेहद स्मूद, सुरक्षित और आधुनिक तकनीक से लैस है। MIG-21 की तुलना में यह कहीं ज्यादा भरोसेमंद और एडवांस्ड है।
आर्थिक और रोजगार पर असर
इस डील से न केवल रक्षा क्षेत्र में मजबूती आएगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। अनुमान है कि तेजस के निर्माण और इससे जुड़ी सप्लाई चेन में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
HAL और DRDO के साथ-साथ कई निजी कंपनियां भी इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं, जिससे मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया दोनों को नई उड़ान मिलेगी।
97 तेजस फाइटर जेट्स का ऑर्डर भारत के लिए ऐतिहासिक रक्षा सौदा है। यह केवल एक डील नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और भविष्य की रक्षा तैयारी का प्रतीक है। MIG-21 का रिटायर होना एक युग का अंत है, वहीं तेजस का शामिल होना एक नए युग की शुरुआत है।
आने वाले वर्षों में जब यह 97 तेजस वायुसेना में शामिल होंगे, तब भारत की हवाई क्षमता दुनिया की सबसे मजबूत ताकतों में से एक होगी।