
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित मैनेजमेंट कॉलेज से बड़ा खुलासा हुआ है। यहां की 17 छात्राओं ने आश्रम से जुड़े स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। एफआईआर में दर्ज बयान के अनुसार आरोपी छात्राओं को देर रात बुलाता और अश्लील मैसेज भेजता था। पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपी की अंतिम लोकेशन मुंबई में ट्रेस हुई है। अब समाज और छात्र समुदाय में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या प्रशासन ऐसे आरोपियों पर सख्त कार्रवाई कर युवतियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा?
छात्राओं के अनुसार, आरोपी स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती अपनी धार्मिक पहचान और प्रभावशाली छवि का गलत इस्तेमाल कर रहा था। वह मैनेजमेंट कॉलेज की छात्राओं को भरोसे में लेकर उन्हें अकेले बुलाता और अनुचित हरकतें करता। एफआईआर में छात्राओं ने यह भी दर्ज कराया है कि स्वामी देर रात “बेबी, आई लव यू” जैसे मैसेज भेजता था।
इस गंभीर मामले के सामने आने के बाद कॉलेज प्रशासन और समाज में आक्रोश फैल गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
छात्राओं की गवाही
छात्राओं ने आरोप लगाया कि स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पहले मानसिक दबाव बनाता था और फिर झूठे वादों से फंसाने की कोशिश करता था। कई बार छात्राओं ने विरोध किया लेकिन वह धमकी देकर चुप कराने की कोशिश करता रहा।
छात्राओं का कहना है कि उन्होंने साहस जुटाकर सामूहिक रूप से शिकायत दर्ज कराई ताकि अन्य युवतियां भी सुरक्षित रह सकें।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी की लोकेशन मुंबई में ट्रेस हुई है और उसके खिलाफ साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। जांच अधिकारी का कहना है कि यह मामला बेहद गंभीर है और इसमें दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रशासन और न्यायपालिका तेजी से कदम उठाए, तो यह न केवल पीड़िताओं को न्याय देगा बल्कि समाज को भी एक कड़ा संदेश जाएगा।
समाज में आक्रोश
यह घटना केवल कॉलेज परिसर तक सीमित नहीं है। समाज के विभिन्न वर्गों में इसे लेकर गहरी नाराज़गी है। अभिभावक कह रहे हैं कि बच्चियों को सुरक्षित माहौल देना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
महिला संगठनों और छात्र संगठनों ने मांग की है कि आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर कठोरतम सजा दी जाए।
धार्मिक और सामाजिक नेताओं की प्रतिक्रिया
कई धार्मिक नेताओं ने इस मामले को शर्मनाक करार दिया है। उनका कहना है कि धर्म और अध्यात्म की आड़ में इस तरह के कृत्य पूरे समाज की छवि को धूमिल करते हैं। ऐसे लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए।
कानूनी पहलू
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354, 376, 506 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत इस तरह के अपराधों के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। यदि आरोपी दोषी साबित होता है, तो उसे लंबी कैद और जुर्माना दोनों भुगतना पड़ सकता है।
छात्राओं की सुरक्षा: बड़ी चुनौती
यह मामला एक बार फिर सामने लाया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कितनी बड़ी कमी है। CCTV, महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ, और आंतरिक शिकायत समिति जैसे प्रावधान होने के बावजूद कई बार ऐसे मामले दबाए जाते हैं।
यह जरूरी है कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें और हर शिकायत को गंभीरता से लें।
सवाल समाज और प्रशासन से
क्या आरोपी स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को सख्त सजा मिलेगी?
क्या कॉलेज प्रशासन भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा?
क्या सरकार छात्राओं की सुरक्षा के लिए नए नियम बनाएगी?
इन सवालों का जवाब आने वाला समय देगा, लेकिन इतना तय है कि यदि कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो छात्राओं का विश्वास शिक्षा व्यवस्था से उठ सकता है।
दिल्ली मैनेजमेंट कॉलेज की 17 छात्राओं का यह मामला समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी है। यह केवल एक आपराधिक घटना नहीं बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र की कमजोरियों को उजागर करने वाला मामला है।
आरोपी को सख्त सजा देना ही न्याय नहीं होगा, बल्कि भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए प्रशासनिक और कानूनी सुधार भी आवश्यक होंगे।