
अक्सर देखा जाता है कि कई लोगों के शरीर पर अचानक नील या नीले-काले निशान पड़ जाते हैं, जबकि उन्हें किसी तरह की चोट या चोटिल होने की घटना याद नहीं होती। यह स्थिति देखने में सामान्य लग सकती है, लेकिन यह शरीर के अंदर छिपे हुए किसी पोषण संबंधी अभाव या स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकती है। ऐसे में इसे नज़रअंदाज़ करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर कौन-कौन से कारण और पोषक तत्वों की कमी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
बिना चोट लगे नील पड़ने के संभावित कारण
जब त्वचा के नीचे मौजूद रक्त वाहिकाएं (ब्लड वेसल्स) कमजोर हो जाती हैं या उनमें हल्की सी भी क्षति होती है, तो खून का रिसाव त्वचा पर नील के रूप में दिखने लगता है। अगर यह समस्या बार-बार हो रही है, तो यह आपके शरीर में कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी का संकेत हो सकती है।
1. विटामिन C की कमी
विटामिन C कोलेजन बनाने में मदद करता है, जो रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाए रखता है। अगर शरीर में विटामिन C की कमी हो जाए, तो त्वचा कमजोर हो जाती है और छोटी सी दबाव या खिंचाव से भी नील पड़ने लगते हैं।
2. विटामिन K की कमी
विटामिन K खून को जमाने (Blood Clotting) की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से खून का जमना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण शरीर में आसानी से नील पड़ने लगते हैं।
3. आयरन की कमी
आयरन की कमी यानी एनीमिया भी बार-बार नील पड़ने की एक बड़ी वजह हो सकती है। आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं और शरीर में ऑक्सीजन का संचार प्रभावित होता है, जिससे नील के निशान आसानी से बन सकते हैं।
4. विटामिन B12 और फोलेट की कमी
विटामिन B12 और फोलेट लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं। इनकी कमी से खून की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे शरीर पर छोटे-छोटे नील दिखने लगते हैं।
5. प्रोटीन और जिंक की कमी
शरीर को चोट या आंतरिक क्षति से जल्दी ठीक करने के लिए प्रोटीन और जिंक बहुत जरूरी हैं। इनकी कमी से त्वचा की मरम्मत की क्षमता कम हो जाती है, जिससे नील अधिक देर तक बने रहते हैं।
कैसे करें बचाव?
आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, खट्टे फल, अनार, सेब, दालें और दूध से बने पदार्थ शामिल करें।
विटामिन C से भरपूर फल जैसे संतरा, नींबू, अमरूद और आंवला का सेवन करें।
विटामिन K के लिए पालक, ब्रोकोली और हरी सब्जियां लाभकारी हैं।
प्रोटीन और जिंक के लिए अंडा, दालें, नट्स और बीज का सेवन करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं और अगर समस्या ज्यादा बढ़ रही हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य शिक्षाप्रद उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या लक्षण के मामले में विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।