
तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हादसे में 39 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50 से अधिक लोग घायल हैं। रैली में उम्मीद से कई गुना ज़्यादा भीड़ आने की वजह से यह दुर्घटना हुई। सरकार ने मामले में न्यायिक जांच आयोग बैठाने का फैसला किया है और मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
हादसा कैसे हुआ?
करूर जिले में आयोजित यह रैली अभिनेता और नेता थलपति विजय के राजनीतिक करियर की अहम कड़ी मानी जा रही थी। आयोजकों ने अनुमान लगाया था कि करीब 50 हजार लोग जुटेंगे, लेकिन भीड़ दोगुनी से भी अधिक पहुंच गई।
जैसे ही विजय मंच पर पहुंचे, भीड़ आगे बढ़ने लगी और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। कुछ ही मिनटों में भगदड़ मच गई। लोग गिरते गए और एक-दूसरे के ऊपर चढ़ते चले गए। इस अफरातफरी में कई महिलाएं और बुजुर्ग दबकर जान गंवा बैठे।
मरने वालों और घायलों का आंकड़ा
अब तक 39 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
50 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
स्थानीय अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में सभी घायलों का इलाज जारी है।
सरकार की ओर से उठाए गए कदम
1. मुआवजा राशि:
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा और घायलों को 2-5 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
2. न्यायिक जांच आयोग:
घटना की पूरी तरह से जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व जज की अगुवाई में एक न्यायिक आयोग गठित किया गया है।
3. आयोजकों पर कार्रवाई:
प्रारंभिक जांच में लापरवाही सामने आई है। पुलिस ने आयोजन समिति और सुरक्षा प्रबंधों की जिम्मेदारी तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
गृह मंत्रालय का हस्तक्षेप
हादसे के बाद गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय ने पूछा है कि रैली की अनुमति किन शर्तों पर दी गई थी और भीड़ नियंत्रण के लिए क्या उपाय किए गए थे। साथ ही, यह भी सवाल उठाया गया है कि इतनी बड़ी संख्या में भीड़ आने के बावजूद आपातकालीन प्लान क्यों सक्रिय नहीं किया गया।
विपक्ष के आरोप
तमिलनाडु के विपक्षी दलों ने इस हादसे को सरकार और प्रशासन की विफलता करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नाकाम रही। कई नेताओं ने इसे “राजनीतिक लालच की कीमत” बताते हुए सवाल उठाए हैं।
गुस्से में जनता और पीड़ित परिवार
हादसे के बाद करूर समेत पूरे तमिलनाडु में गुस्सा है। मृतकों के परिवारों का कहना है कि यदि प्रशासन सतर्क होता तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती। कई परिजनों ने बताया कि वे अपने बच्चों को सिर्फ विजय को देखने ले गए थे, लेकिन अब वे कभी घर नहीं लौटेंगे।
राजनीतिक असर
यह घटना सिर्फ मानवीय त्रासदी नहीं है बल्कि तमिलनाडु की राजनीति को भी हिला गई है। विजय, जो हाल ही में राजनीति में सक्रिय हुए हैं, उनकी छवि और करियर पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। विपक्षी पार्टियां अब इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही हैं।
विशेषज्ञों की राय
भीड़ प्रबंधन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे आयोजनों में भीड़ का अनुमान और सुरक्षा इंतजाम सबसे अहम होते हैं। यदि पर्याप्त एंट्री-एग्जिट गेट, बैरिकेडिंग और पुलिस फोर्स मौजूद होती, तो इस हादसे को टाला जा सकता था।
आगे क्या?
न्यायिक जांच आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना है।
प्रशासन ने भविष्य में बड़े आयोजनों के लिए नई गाइडलाइन जारी करने की बात कही है।
तमिलनाडु का यह हादसा केवल 39 परिवारों की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है। राजनीतिक रैलियों और बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की गंभीरता को समझना बेहद जरूरी है। यदि सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियां समय पर निभाई जाएं तो ऐसी जानलेवा घटनाओं से बचा जा सकता है।