
बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही चुनाव आयोग की तैयारियां भी अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। आज यानी 30 सितंबर 2025 को चुनाव आयोग बिहार (Election Commission of Bihar) नई मतदाता सूची (Voter List) जारी कर सकता है। इस सूची के जारी होने से पहले ही राजनीतिक दलों में उत्सुकता बढ़ गई है क्योंकि यह साफ हो जाएगा कि इस बार कितने नए मतदाता जुड़े हैं और किन इलाकों में वोटरों का जनाधार बढ़ा है।
बिहार में क्यों अहम है नई मतदाता सूची?
बिहार जैसे बड़े राज्य में हर चुनाव में मतदाता सूची का विशेष महत्व होता है। यहां की राजनीति जातीय समीकरणों, युवा मतदाताओं और महिला वोटरों के रुझान पर काफी हद तक निर्भर करती है।
नई मतदाता सूची के जरिए यह पता चलेगा कि इस बार कितने नए वोटर शामिल हुए हैं।
पहली बार वोट डालने वाले युवा मतदाता चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या भी इस बार का बड़ा फैक्टर होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में 2 से 3 फीसदी नए मतदाता सत्ता का खेल पलट सकते हैं।
चुनाव आयोग की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने इस बार तकनीक का अधिक इस्तेमाल किया है।
मतदाता पहचान पत्र (EPIC) में सुधार किया गया है।
डुप्लीकेट वोटरों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की गई है।
प्रवासी वोटरों को भी सूची में शामिल करने की कोशिश की गई है।
चुनाव आयोग का कहना है कि नई सूची पूरी तरह पारदर्शी और त्रुटिरहित होगी।
आंकड़ों की झलक (संभावित)
हालांकि आधिकारिक घोषणा आज होगी, लेकिन अनुमान है कि—
इस बार करीब 12-15 लाख नए मतदाता सूची में जोड़े गए हैं।
इनमें सबसे अधिक संख्या 18 से 25 वर्ष के युवाओं की है।
महिलाओं की संख्या में भी अच्छा खासा इजाफा हुआ है।
यह आंकड़े सीधे-सीधे राजनीतिक दलों की रणनीति को प्रभावित करेंगे।
राजनीतिक दलों की नजर
नई मतदाता सूची जारी होने से पहले ही सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों खेमों ने अपनी रणनीति तेज कर दी है।
1. जेडीयू और बीजेपी गठबंधन: युवा और महिला मतदाताओं पर खास फोकस कर रही है।
2. राजद (RJD): ग्रामीण क्षेत्रों और मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण को मजबूत करने में जुटी है।
3. कांग्रेस और वामदल: शहरी वोटरों और छात्रों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस पार्टी का युवा वर्ग पर ज्यादा पकड़ होगी, वही चुनावी दौड़ में आगे निकलेगी।
बिहार के मतदाता पैटर्न
बिहार में पिछली बार 2020 के विधानसभा चुनाव में करीब 57% मतदान हुआ था। इस बार चुनाव आयोग को उम्मीद है कि नई सूची और जागरूकता अभियान से मतदान प्रतिशत और बढ़ेगा।
ग्रामीण इलाकों में मतदान का उत्साह ज्यादा होता है।
शहरी इलाकों में मतदान प्रतिशत कम देखने को मिलता है।
प्रवासी मजदूरों की अनुपस्थिति भी बड़े पैमाने पर असर डालती है।
अगर प्रवासी वोटर शामिल होते हैं तो कई सीटों का गणित बदल सकता है।
वोटर लिस्ट जारी होने के बाद की प्रक्रिया
नई मतदाता सूची जारी होने के बाद मतदाताओं को अपने नाम और विवरण की जांच करनी होगी।
अगर किसी का नाम छूट गया है तो वह फॉर्म-6 भरकर अपना नाम जुड़वा सकता है।
गलत नाम, पते या अन्य त्रुटि के सुधार के लिए भी आवेदन की सुविधा होगी।
चुनाव आयोग इस बार ऑनलाइन माध्यम से भी सुधार की सुविधा दे रहा है।
चुनावी समीकरण पर असर
नई मतदाता सूची जारी होने के बाद चुनावी समीकरण पर सीधा असर पड़ेगा।
जिन क्षेत्रों में नए मतदाता ज्यादा हैं, वहां की सीटें हॉट सीट बन जाएंगी।
जातीय आधार पर बने समीकरणों में बदलाव संभव है।
युवा वोटरों का झुकाव किसी भी पार्टी को अप्रत्याशित बढ़त दिला सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रंग-ढंग नई मतदाता सूची से ही तय होगा। चुनाव आयोग की इस सूची से न केवल नए वोटरों का आंकड़ा सामने आएगा बल्कि राजनीतिक दलों की रणनीति भी इसी पर निर्भर करेगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर कितने नए वोटर बने हैं और वे किस ओर रुख करेंगे।