
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। चुनाव आयोग कभी भी तारीखों की घोषणा कर सकता है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में आज (शुक्रवार) कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई गई है। माना जा रहा है कि यह बैठक चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले की आखिरी और निर्णायक कैबिनेट मीटिंग हो सकती है। इस बैठक में कई ऐसे प्रस्तावों को मंजूरी मिल सकती है जो सीधे जनता से जुड़े हैं और चुनावी माहौल में बड़ा असर डाल सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक कल्याण से जुड़े कई फैसलों पर मुहर लग सकती है। खासकर छात्रवृत्ति, महिलाओं के लिए योजनाओं और किसानों के लिए राहत पैकेज जैसे प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जा सकती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश सरकार इस बैठक के जरिए जनता को चुनाव से पहले बड़ा संदेश देना चाहती है।
आचार संहिता लागू होने से पहले की तैयारी
आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार कोई नई योजना या वित्तीय घोषणा नहीं कर सकती। इसलिए यह बैठक खास महत्व रखती है। पिछले चुनावों में भी नीतीश कुमार की सरकार ने चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट की बैठक कर कई कल्याणकारी योजनाओं को हरी झंडी दी थी। इस बार भी उम्मीद है कि सरकार जनता के बीच लोकप्रियता बढ़ाने वाले निर्णयों को प्राथमिकता देगी।
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने सभी विभागों से उन प्रस्तावों की सूची मांगी है जो लंबित हैं और जिन्हें जल्द लागू किया जा सकता है। वित्त विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि सभी योजनाओं के लिए बजट आवंटन सुनिश्चित किया जाए ताकि चुनावी आचार संहिता के दौरान किसी तरह की अड़चन न आए।
किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?
1. शिक्षा क्षेत्र:
स्कॉलरशिप और छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार।
तकनीकी और मेडिकल कॉलेजों में नए कोर्स की मंजूरी।
विद्यालयों में डिजिटल एजुकेशन से जुड़ी पहल।
2. स्वास्थ्य क्षेत्र:
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करने का निर्णय।
महिलाओं और बच्चों के लिए नई स्वास्थ्य योजनाओं की घोषणा।
अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति।
3. रोजगार:
युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में नई भर्तियों की अधिसूचना।
कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार।
स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली नीतियां।
4. किसान और ग्रामीण विकास:
फसल क्षति मुआवजा और बीमा से जुड़ी योजनाएं।
ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क और बिजली परियोजनाओं को मंजूरी।
सिंचाई और जल संसाधन से जुड़ी नई योजनाएं।
5. महिला सशक्तिकरण:
स्वयं सहायता समूहों को विशेष पैकेज।
महिलाओं को स्वरोजगार के लिए ब्याज मुक्त ऋण।
पोषण और सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं।
राजनीतिक मायने
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार को लंबे समय से सुशासन बाबू की छवि के लिए जाना जाता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष लगातार सरकार पर वादे पूरे न करने का आरोप लगाता रहा है। इस कैबिनेट बैठक को सरकार अपनी उपलब्धियों को दोहराने और जनता के सामने नए वादों को पेश करने का अवसर मान रही है।
महागठबंधन और NDA दोनों ही पार्टियां चुनावी रणनीति में पूरी ताकत झोंक रही हैं। ऐसे में नीतीश सरकार की आज की कैबिनेट बैठक विपक्षी दलों की नजर में भी है। अगर सरकार बड़े फैसले लेती है तो इसका सीधा असर चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है।
विपक्ष का रुख
विपक्षी दल पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि नीतीश सरकार जनता को लुभाने के लिए आखिरी समय में फैसले कर रही है। राजद और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर सरकार जनता के प्रति इतनी ही गंभीर थी तो इन योजनाओं को पहले क्यों नहीं लागू किया गया? वहीं जदयू और भाजपा नेता इसे जनता के हित में उठाया गया कदम बता रहे हैं।
जनता की उम्मीदें
चुनाव से पहले जनता को भी इस बैठक से बड़ी उम्मीदें हैं। छात्रों को छात्रवृत्ति और रोजगार की घोषणाओं का इंतजार है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार फसल क्षति मुआवजा और सिंचाई की समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। वहीं महिलाएं चाहती हैं कि सरकार उनके लिए स्वरोजगार और सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लागू करे।
आज की नीतीश कैबिनेट की बैठक केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि बिहार की राजनीति और आगामी चुनाव के लिहाज से बेहद अहम है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कौन-कौन से फैसले लेती है और इन फैसलों का जनता पर कितना असर पड़ता है। लेकिन इतना तय है कि इस बैठक के बाद चुनावी माहौल और ज्यादा गर्मा जाएगा।