
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अब काउंटडाउन शुरू हो चुका है। चुनाव आयोग की गतिविधियां तेज हो गई हैं और इसी कड़ी में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार आज पटना पहुंच रहे हैं। कल वे राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे और चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि आचार संहिता लागू होने से पहले आयोग की यह पहली बड़ी कवायद होगी। माना जा रहा है कि इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था, चुनावी लॉजिस्टिक्स, मतदाता सूची और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के मुद्दों पर चर्चा होगी।
बिहार चुनावी सरगर्मी तेज
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही राज्य की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। राजनीतिक दल चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। सत्तारूढ़ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन जहां अपनी उपलब्धियों के सहारे जनता को साधने की कोशिश में है, वहीं विपक्षी महागठबंधन नीतीश सरकार की नाकामियों को मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है।
CEC ज्ञानेश कुमार का यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि आयोग अब तक कई दौर की आंतरिक बैठकें कर चुका है और अब राज्य स्तर पर जमीनी हकीकत को समझने के लिए फील्ड विजिट शुरू कर रहा है।
बैठक में किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
कल होने वाली बैठक में चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इनमें शामिल हैं –
1. आचार संहिता पालन – चुनाव के दौरान आचार संहिता का सख्ती से पालन कैसे हो।
2. सुरक्षा व्यवस्था – नक्सल प्रभावित और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती।
3. चुनावी हिंसा पर रोक – चुनाव के दौरान हिंसा और अवैध गतिविधियों पर रोकथाम।
4. ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता – पर्याप्त संख्या में मशीनों की उपलब्धता और उनका सही इस्तेमाल।
5. मतदाता सूची की समीक्षा – डुप्लीकेट और फर्जी नाम हटाने की प्रक्रिया।
6. बूथ स्तर की तैयारी – ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मतदान केंद्रों की व्यवस्था।
क्या जल्द घोषित होंगी चुनाव तारीखें?
CEC के पटना दौरे और राजनीतिक दलों के साथ होने वाली इस बैठक से यह अटकलें तेज हो गई हैं कि आयोग जल्द ही बिहार चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, अक्टूबर के मध्य या नवंबर की शुरुआत में चुनावी कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है।
बिहार की सियासत में बढ़ी हलचल
मुख्य निर्वाचन आयुक्त के दौरे से बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। सभी दलों ने अपने-अपने स्तर पर बैठकें तेज कर दी हैं।
जेडीयू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि और विकास योजनाओं को सामने रखकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
बीजेपी केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं और राष्ट्रीय मुद्दों को चुनावी एजेंडा बनाएगी।
आरजेडी बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा मुद्दा बनाकर जनता को साधने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस और वाम दल भी महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव में अपनी भूमिका मजबूत करना चाह रहे हैं।
बिहार चुनाव 2020 बनाम 2025
अगर पिछले विधानसभा चुनाव यानी बिहार चुनाव 2020 से तुलना करें तो इस बार की स्थिति काफी अलग है। 2020 में कोरोना महामारी के कारण चुनावी माहौल प्रभावित हुआ था। लेकिन 2025 में हालात सामान्य हैं और राजनीतिक दलों को जनता तक पहुंचने का पूरा मौका मिलेगा।
इसके अलावा इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है क्योंकि राज्य में सत्ता परिवर्तन की संभावना पर भी चर्चा तेज है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाने में लगी है जबकि विपक्ष बदलाव का नारा दे रहा है।
निष्पक्ष चुनाव की चुनौती
बिहार चुनाव हमेशा से ही संवेदनशील माने जाते रहे हैं। कई जिलों में नक्सल प्रभाव और जातीय समीकरण चुनावी माहौल को प्रभावित करते हैं। ऐसे में आयोग के लिए निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना बड़ी चुनौती होगी।
CEC ज्ञानेश कुमार ने पहले भी कहा है कि आयोग का प्राथमिक लक्ष्य मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है। पटना दौरे से इस दिशा में ठोस रणनीति तैयार करने की संभावना है।
नतीजों पर सबकी निगाह
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 केवल राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है। बिहार का राजनीतिक रुझान आने वाले लोकसभा चुनाव 2029 की दिशा तय करने में भी भूमिका निभा सकता है। यही कारण है कि सभी दल इस बार चुनाव को लेकर ज्यादा गंभीर नजर आ रहे हैं।
बिहार चुनाव 2025 की तैयारियां अब अंतिम चरण में प्रवेश कर रही हैं। CEC ज्ञानेश कुमार का पटना दौरा इस बात का संकेत है कि जल्द ही चुनावी तारीखों का ऐलान हो सकता है। राजनीतिक दलों की हलचल से साफ है कि बिहार की सियासी जंग इस बार बेहद दिलचस्प होने वाली है।