
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सुगबुगाहट अब तेज हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार की अगुआई में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) की टीम शुक्रवार शाम पटना पहुंची। माना जा रहा है कि आयोग अगले कुछ दिनों में चुनाव तिथियों का ऐलान कर सकता है। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।
चुनाव आयोग की यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि यह दौरा राजनीतिक दलों, प्रशासनिक अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ विस्तृत बैठक के लिए तय किया गया है। आयोग राज्य की तैयारियों की समीक्षा करने के बाद ही अंतिम चरण में चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगा।
CEC ज्ञानेश कुमार की अगुआई में उच्चस्तरीय बैठकें होंगी
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे और राजीव कुमार भी मौजूद हैं। टीम आज पटना पहुंचने के बाद सबसे पहले राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के साथ बैठक करेगी। इसके बाद कल राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, इन बैठकों में मतदाता सूची, मतदान केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था, वीवीपैट और ईवीएम की उपलब्धता, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। आयोग राज्य के हर जिले से फीडबैक लेने की योजना बना रहा है ताकि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित किया जा सके।
सभी राजनीतिक दलों ने कसी कमर
चुनाव आयोग की टीम के आगमन के साथ ही बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है।
जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) गठबंधन सरकार अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने रख रही है।
वहीं राजद (RJD) और कांग्रेस महागठबंधन सरकार की नीतियों की आलोचना कर रही है।
एलजेपी (LJP) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) जैसे दल भी अपने-अपने समीकरण मजबूत करने में जुट गए हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग हो सकता है क्योंकि युवा मतदाता और नई सामाजिक समीकरण चुनावी परिणामों पर गहरा असर डाल सकते हैं।
संवेदनशील जिलों पर रहेगा खास फोकस
बिहार के कई जिलों को संवेदनशील और अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, जहां परंपरागत रूप से मतदान के दौरान तनाव की स्थिति बनती रही है।
चुनाव आयोग ने इन क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ाने का संकेत दिया है। साथ ही CCTV कैमरे, ड्रोन सर्विलांस और लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है।
राज्य के गृह विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, आयोग ने पुलिस प्रशासन से शांति व्यवस्था, हथियारों के लाइसेंस की समीक्षा, और अवैध शराब की रोकथाम के उपायों पर रिपोर्ट मांगी है।
मतदाता सूची और बूथ पुनरीक्षण कार्य पर जोर
चुनाव आयोग की प्राथमिकता में सबसे ऊपर मतदाता सूची का शुद्धिकरण है। आयोग ने जिलों को निर्देश दिया है कि मृत, डुप्लीकेट या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम तुरंत हटाए जाएं। इसके साथ ही महिला और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष सुविधाएं सुनिश्चित करने पर भी बल दिया गया है।
इस बार आयोग ने ‘सुविधा ऐप’ और ‘cVIGIL ऐप’ को भी अपग्रेड किया है, ताकि जनता सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत दर्ज करा सके।
जल्द घोषित हो सकती है चुनाव तिथि
सूत्रों के मुताबिक, आयोग की यह बिहार यात्रा चुनाव की अंतिम समीक्षा है। दौरे के बाद अगले 7 से 10 दिनों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है।
बिहार में पिछला विधानसभा चुनाव 2020 में अक्टूबर-नवंबर के महीने में तीन चरणों में संपन्न हुआ था। इस बार भी अक्टूबर-नवंबर 2025 में चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है।
वोटरों के बीच बढ़ रही उत्सुकता
जैसे-जैसे चुनाव आयोग की टीम राज्य का दौरा कर रही है, वैसे-वैसे आम जनता में भी उत्सुकता बढ़ रही है। पहली बार वोट डालने वाले युवा, महिला मतदाता और ग्रामीण इलाकों के किसान इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भी बिहार चुनाव 2025 को लेकर बहस तेज है। ट्विटर (X) से लेकर फेसबुक तक, हर प्लेटफॉर्म पर #BiharChunav2025 ट्रेंड कर रहा है।
राजनीतिक पंडितों की नजर बिहार पर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार का यह चुनाव सिर्फ राज्य की राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी तय करेगा। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों ही अपने-अपने पक्ष को मजबूत करने में जुटे हैं।
नीतीश कुमार जहां ‘विकास और स्थिरता’ के एजेंडे पर जनता से समर्थन मांगेंगे, वहीं तेजस्वी यादव बेरोजगारी, शिक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे।
चुनाव आयोग की टीम का बिहार दौरा स्पष्ट संकेत देता है कि राज्य में चुनावी बिगुल किसी भी वक्त बज सकता है। अब सबकी निगाहें आयोग की आगामी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हैं, जहां बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का औपचारिक ऐलान हो सकता है।