
रांची: झारखंड की राजनीति में इस वक्त हलचल तेज हो गई है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के सात गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने नोटिस जारी किया है। आयोग ने इन दलों से पार्टी पंजीकरण, आय-व्यय और चुनावी नियमों के पालन से जुड़ी जानकारी मांगी है।
सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने जिन दलों को नोटिस भेजा है, उनमें कुछ पुराने क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं, जो बीते कुछ वर्षों से सक्रिय तो हैं, लेकिन इन्होंने अपनी गतिविधियों की सही रिपोर्ट आयोग को नहीं सौंपी है।
गैर मान्यता प्राप्त दलों पर आयोग की सख्ती
चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि अगर कोई दल निर्धारित समयसीमा में जवाब नहीं देता या आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराता, तो उसकी पंजीकरण स्थिति पर कार्रवाई की जा सकती है।
आयोग के इस कदम से झारखंड में सक्रिय छोटे और नए राजनीतिक संगठनों में हड़कंप मच गया है।
इन दलों में कुछ ने हाल ही में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी और राज्य में विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अभियान चला रहे थे। लेकिन आयोग ने इनके वित्तीय विवरण, सदस्यता रिकॉर्ड और चुनावी खर्च से जुड़ी पारदर्शिता पर सवाल उठाया है।
कौन-कौन से दल आए निशाने पर?
हालांकि आधिकारिक सूची अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि रांची, धनबाद, बोकारो, और दुमका जिलों से जुड़े सात गैर मान्यता प्राप्त दलों को नोटिस भेजा गया है।
इन दलों ने पिछले चुनावों में कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, परंतु इनकी रिपोर्ट और गतिविधियाँ आयोग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रही थीं।
आयोग का रुख सख्त, पारदर्शिता पर जोर
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने हाल ही में कहा था कि “चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी दल को नियमों से ऊपर नहीं माना जा सकता।”
आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वे अपने खातों, फंडिंग और चुनावी खर्च का पूरा ब्यौरा समय पर जमा करें। इसके अलावा पार्टी के संविधान, पदाधिकारियों की सूची और सदस्यता रिकॉर्ड को भी अपडेट करने को कहा गया है।
पंजीकरण रद्द होने का खतरा
अगर ये दल नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो चुनाव आयोग इनका पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इस स्थिति में ये दल न तो चुनाव चिन्ह का दावा कर सकेंगे और न ही आधिकारिक रूप से प्रत्याशी खड़ा कर पाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आयोग की यह कार्रवाई राज्य की चुनावी राजनीति में साफ-सुथरेपन की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल वही दल चुनाव में हिस्सा लें जो नियमों का पालन करते हैं और अपनी वित्तीय स्थिति स्पष्ट रखते हैं।
झारखंड चुनाव 2025 की तैयारियाँ तेज
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। चुनाव आयोग की टीमें पहले ही राज्य के विभिन्न जिलों में समीक्षा बैठकें कर चुकी हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त की टीम ने सुरक्षा व्यवस्था, मतदाता सूची अपडेट, और बूथ पुनर्संरचना की रिपोर्ट ली है।
राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी दलों दोनों ने चुनावी तैयारियाँ तेज कर दी हैं। इस बीच आयोग का यह नोटिस छोटे दलों के लिए चुनौती बन गया है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
नोटिस मिलने के बाद कुछ दलों ने कहा है कि वे सभी आवश्यक दस्तावेज समय पर आयोग को उपलब्ध कराएंगे। कुछ दलों ने आयोग के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और झारखंड की राजनीति में विश्वसनीयता लौटेगी।
वहीं, कुछ दलों का कहना है कि आयोग को पहले उन्हें औपचारिक रूप से स्पष्टीकरण का मौका देना चाहिए था। उनका दावा है कि “छोटे दलों को निशाना बनाना” लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि झारखंड जैसे राज्यों में कई छोटे दल जातीय, क्षेत्रीय या सामाजिक आधार पर काम करते हैं। इनका सक्रिय रहना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, लेकिन यदि वे वित्तीय या प्रशासनिक पारदर्शिता नहीं रखते तो उन पर कार्रवाई स्वाभाविक है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रमोद कुमार का कहना है, “चुनाव आयोग की यह सख्ती राजनीतिक व्यवस्था को स्वच्छ और जवाबदेह बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम है। यह संदेश सभी दलों को जाएगा कि नियमों का पालन करना अनिवार्य है, चाहे वे बड़े हों या छोटे।”
झारखंड में चुनाव आयोग की इस कार्रवाई से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में नियमों का पालन सर्वोच्च प्राथमिकता होगा। आयोग पारदर्शिता, निष्पक्षता और ईमानदारी पर कोई समझौता नहीं करेगा।
गैर मान्यता प्राप्त दलों के लिए यह नोटिस चेतावनी है कि वे जल्द से जल्द अपने दस्तावेज़ और वित्तीय रिकॉर्ड दुरुस्त करें, अन्यथा उनका चुनावी भविष्य खतरे में पड़ सकता है।