
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था और वह धरती पर भ्रमण करती हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की वृद्धि होती है।
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी लक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। “को-जाग्रति” शब्द का अर्थ है — “कौन जाग रहा है?” ऐसा कहा जाता है कि इस रात देवी लक्ष्मी ब्रह्मांड में भ्रमण करती हैं और जो भक्त जागकर उनका ध्यान करते हैं, उनके घर में माता लक्ष्मी का वास होता है।
इस दिन धन, सुख और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति सच्चे मन से व्रत रखता है, उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और जीवन में सौभाग्य का वास होता है।
शरद पूर्णिमा व्रत की कथा (Sharad Purnima Vrat Katha)
एक समय की बात है, एक धनवान व्यापारी था जिसके घर में हर प्रकार की सुख-सुविधा थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति की इच्छा से उसकी पत्नी ने कई व्रत किए, परंतु कोई फल नहीं मिला। एक दिन किसी ज्ञानी साधु ने उन्हें शरद पूर्णिमा का व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस दिन श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की आराधना करें।
व्यापारी की पत्नी ने पूरी श्रद्धा और नियम के साथ शरद पूर्णिमा का व्रत किया। उसी रात देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं और उन्होंने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि अगले वर्ष उनके घर पुत्र का जन्म होगा। कुछ समय बाद उनके घर एक सुंदर और तेजस्वी पुत्र हुआ। तब से व्यापारी परिवार ने हर साल शरद पूर्णिमा का व्रत करना शुरू किया, और उनकी समृद्धि लगातार बढ़ती गई।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, सौभाग्य और धन की वृद्धि होती है।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)
1. प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
2. घर को साफ-सुथरा करके देवी लक्ष्मी और श्री विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
3. धूप, दीप, पुष्प, चंदन और मिठाई से पूजा करें।
4. रात में चांदनी में खीर बनाकर रखी जाती है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें उस खीर में अमृत तत्व का संचार करती हैं।
5. अगले दिन प्रातःकाल उस खीर का प्रसाद परिवार में बांटा जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शरद पूर्णिमा
वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो इस दिन चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर अधिक ऊर्जा लेकर आती हैं। इस रात दूध और चावल से बनी खीर को चांदनी में रखने से उसमें औषधीय गुण बढ़ जाते हैं, जो पाचन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।
शरद पूर्णिमा के लाभ (Benefits of Sharad Purnima Vrat)
आर्थिक उन्नति और धन की प्राप्ति होती है।
घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
सेहत में सुधार और मानसिक शांति मिलती है।
शरद पूर्णिमा का व्रत सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह श्रद्धा, भक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में हर तरह की सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसलिए इस पावन अवसर पर जागरण कर, व्रत रखकर और पूजा करके देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पारंपरिक कथाओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नहीं है। पाठक इसे अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार अपनाएं। किसी भी धार्मिक क्रिया से पहले स्थानीय परंपरा या विद्वान पंडित से परामर्श अवश्य लें।