
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हो गई। जांच में पता चला है कि इस सिरप में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) नाम का जहरीला केमिकल इस्तेमाल किया गया था। यह रासायनिक पदार्थ शरीर के लिए बेहद घातक माना जाता है, खासकर बच्चों के लिए। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और दवा सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol)?
डाईएथिलीन ग्लाइकॉल एक औद्योगिक रासायनिक पदार्थ है जिसका उपयोग आमतौर पर एंटीफ्रीज, पेंट, ब्रेक फ्लुइड और इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट्स में किया जाता है। यह मानव उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं है, लेकिन कभी-कभी सस्ती ग्लिसरीन के विकल्प के रूप में इसका गलत इस्तेमाल कुछ फार्मास्यूटिकल उत्पादों में किया जाता है।
यह रसायन पारदर्शी, गंधहीन और मीठे स्वाद वाला होता है, जिसकी वजह से इसे सिरप या अन्य तरल दवाओं में मिलाने पर तुरंत पहचानना मुश्किल होता है।
शरीर पर डाईएथिलीन ग्लाइकॉल का असर
जब यह पदार्थ शरीर में प्रवेश करता है, तो यह गुर्दे (किडनी), यकृत (लिवर) और तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी शरीर में जाकर मेटाबोलिक एसिडोसिस (रक्त में एसिड की मात्रा बढ़ जाना) का कारण बनती है, जिससे शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं।
इसके मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
उल्टी और जी मचलाना
सांस लेने में कठिनाई
पेट में दर्द और सुस्ती
पेशाब का कम होना
बेहोशी और कोमा
अगर तुरंत इलाज न मिले, तो यह किडनी फेलियर और मृत्यु तक का कारण बन सकता है।

बच्चों के लिए क्यों ज्यादा खतरनाक है?

बच्चों के लिए क्यों ज्यादा खतरनाक है?
बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में बेहद संवेदनशील होता है। उनकी किडनी और लिवर की कार्यक्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती, जिससे वे जहरीले रसायनों को निकाल नहीं पाते। यही वजह है कि डाईएथिलीन ग्लाइकॉल की थोड़ी भी मात्रा बच्चों के शरीर में जाकर जहरीले प्रभाव डाल सकती है।
भारत में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब डाईएथिलीन ग्लाइकॉल ने जानें ली हों। इससे पहले भी भारत के कई राज्यों और विदेशों में इस केमिकल से बनी दवाओं के सेवन से सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है। 1990 के दशक में दिल्ली, गुरुग्राम और तमिलनाडु में ऐसी घटनाएं दर्ज की गई थीं।
दवा निर्माण में कैसे घुस जाता है यह जहर?
कई बार छोटे या गैर-लाइसेंसधारी दवा निर्माता कंपनियां सस्ती ग्लिसरीन या सॉल्वेंट्स खरीदती हैं जिनमें डाईएथिलीन ग्लाइकॉल की मिलावट होती है।
सही परीक्षण और गुणवत्ता जांच न होने के कारण यह रासायनिक पदार्थ सिरप में मिलकर उपभोक्ताओं तक पहुंच जाता है।
क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग?
छिंदवाड़ा में हुई घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत सभी बैचों की जांच शुरू कर दी है और संबंधित कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि दवाओं के उत्पादन और बिक्री पर कड़ी निगरानी की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
कैसे बचें ऐसी दवाओं से
हमेशा मान्यता प्राप्त फार्मेसी से ही दवा खरीदें
किसी भी अज्ञात कंपनी या सस्ती दवा से बचें
बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें
पैकेट पर निर्माता कंपनी, बैच नंबर और एक्सपायरी डेट जांचें
डाईएथिलीन ग्लाइकॉल जैसी रासायनिक मिलावटें बच्चों के जीवन के लिए घातक साबित हो सकती हैं। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि दवाओं की गुणवत्ता जांच और निगरानी प्रणाली को और मजबूत करने की आवश्यकता है। सरकार, स्वास्थ्य विभाग और आम जनता — सभी को इस दिशा में सजग रहना होगा ताकि किसी और मासूम की जान इस तरह की लापरवाही की भेंट न चढ़े।
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी दवा के उपयोग से पहले योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।