
Kartik Maas 2025 हिन्दू पंचांग का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना भगवान विष्णु की भक्ति, दान-पुण्य और व्रत-उपवास के लिए विशेष रूप से शुभ होता है। इस पूरे महीने में तुलसी पूजन (Tulsi Puja) का अत्यधिक महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है। माना जाता है कि कार्तिक महीने में जो व्यक्ति तुलसी की नियमित पूजा करता है, उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं कार्तिक मास में तुलसी पूजन की सही विधि, मंत्र, आरती और जरूरी नियम।
कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व (Importance of Tulsi Puja in Kartik Maas)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी देवी भगवान विष्णु की अति प्रिय हैं। कहा जाता है कि कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनके जीवन की हर कठिनाई से मुक्ति मिलती है। इस महीने में तुलसी को जल चढ़ाना, दीप जलाना और तुलसी के पास भजन-कीर्तन करना अत्यंत शुभ माना गया है।
तुलसी पूजन की विधि (Tulsi Puja Vidhi 2025)
1. सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. तुलसी के पौधे के पास शुद्ध जल या गंगाजल छिड़कें।
3. तुलसी के गमले या चौकी को साफ करें और उसके पास दीपक जलाएं।
4. तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।
5. चंदन, फूल, अक्षत (चावल) और धूप-दीप से पूजा करें।
6. तुलसी माता को प्रसाद के रूप में गुड़ या मिश्री चढ़ाएं।
7. अंत में तुलसी जी की आरती करें और भगवान विष्णु का नाम स्मरण करें।
तुलसी पूजन के नियम (Rules of Tulsi Puja)
कार्तिक मास में रोजाना तुलसी को जल अवश्य चढ़ाएं।
शाम को तुलसी के पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
रविवार और संक्रांति के दिन तुलसी को जल नहीं देना चाहिए।
तुलसी के पत्ते तोड़ते समय “ओं तुलस्य नमः” मंत्र बोलना चाहिए।
तुलसी के पौधे के नीचे गंदगी या जूठन नहीं गिरानी चाहिए।
तुलसी पूजन मंत्र (Tulsi Puja Mantra)
“तुलस्यै नमः नमः तुलस्यै नमः नमः।
नमो हरिप्रिये तुलसि नमो नमः॥”
यह मंत्र तुलसी पूजन के समय जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सौभाग्य बढ़ता है।
तुलसी आरती (Tulsi Aarti in Hindi)
जय जय तुलसी माता, जय जय तुलसी माता।
भगवान विष्णु की प्रिया, हरि की तू भगवती।
सुख संपत्ति प्रदान करे, हर ले सब दुखती॥
यह आरती तुलसी पूजन के अंत में करनी चाहिए। इससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
कार्तिक मास में तुलसी विवाह का महत्व (Tulsi Vivah in Kartik Maas)
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता के दिव्य मिलन का प्रतीक है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन करने से घर में वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और परिवार में सौहार्द बढ़ता है।
कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने से व्यक्ति को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य भी बढ़ाता है। जो लोग पहली बार इस महीने तुलसी पूजन शुरू कर रहे हैं, वे ऊपर बताई गई विधि और नियमों का पालन करके शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पारंपरिक मानकों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता बढ़ाना है। किसी भी धार्मिक क्रिया को करने से पहले स्थानीय परंपरा और विद्वानों की सलाह अवश्य लें।