
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सियासी माहौल अब गरमाता जा रहा है। इसी बीच राज्य की सियासत में नई हलचल मचा दी है राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने। एक बड़े ऐलान में उन्होंने कहा है कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो “हर परिवार को एक सरकारी नौकरी” दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि यह कोई चुनावी वादा नहीं बल्कि उनका “प्रण” है, जिसे सरकार बनने के पहले 20 दिनों में कानून बनाकर लागू किया जाएगा।
तेजस्वी यादव का रोजगार संकल्प
तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी भाषण में कहा —
“अगर हमारी सरकार बनती है, तो हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। सरकार गठन के पहले 20 दिन में हम रोजगार अधिनियम लाकर इसे लागू करेंगे। यह सिर्फ घोषणा नहीं, मेरा प्रण है।”
तेजस्वी का यह बयान आते ही बिहार की राजनीति में चर्चा तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे “असंभव और अव्यवहारिक” बताया है, जबकि समर्थकों का कहना है कि तेजस्वी युवाओं की उम्मीदों की आवाज़ उठा रहे हैं।
कैसे संभव होगा हर परिवार को सरकारी नौकरी?
राज्य के आर्थिक और प्रशासनिक ढांचे को देखते हुए, हर परिवार को सरकारी नौकरी देने का दावा अपने आप में चुनौतीपूर्ण है। बिहार में वर्तमान में लगभग 1.25 करोड़ परिवार हैं। यदि हर परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए, तो इतनी बड़ी संख्या में पदों का सृजन करना सरकार के लिए कठिन होगा।
हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर “सरकारी नौकरी” की परिभाषा को विस्तृत किया जाए — यानी राज्य सरकार, निगम, पंचायत, शिक्षा, स्वास्थ्य मिशन और सरकारी परियोजनाओं में संविदा या स्थायी रूप में अवसर प्रदान किए जाएं, तो यह आंशिक रूप से संभव हो सकता है।
तेजस्वी का पिछला रिकॉर्ड और युवाओं से वादा
यह पहली बार नहीं है जब तेजस्वी यादव ने रोजगार को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है। बिहार चुनाव 2020 में भी उन्होंने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था। उस समय भी उनका यह बयान सुर्खियों में रहा था।
तेजस्वी ने बताया कि पिछले कार्यकाल में उन्होंने विभिन्न विभागों में लाखों पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कराई थी और युवाओं के लिए “रोजगार मिशन” तैयार किया था।
उन्होंने कहा —
“हमारे शासनकाल में हमने यह दिखाया कि नीयत हो तो रोजगार दिया जा सकता है। अबकी बार हमारा लक्ष्य है कि कोई भी परिवार बेरोजगारी से त्रस्त न रहे।”
विपक्ष का पलटवार
तेजस्वी के इस वादे पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि “तेजस्वी यादव झूठे वादों की राजनीति कर रहे हैं। हर परिवार को सरकारी नौकरी देना व्यावहारिक नहीं है।”
जदयू नेताओं ने भी कहा कि बिहार की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि हर परिवार के लिए सरकारी नौकरी संभव हो सके।
इसके जवाब में राजद नेताओं का कहना है कि “अगर नीयत साफ हो तो रोजगार के रास्ते बन सकते हैं।” उनका तर्क है कि राज्य में लाखों खाली सरकारी पद हैं और नए विभागों के माध्यम से बड़ी संख्या में युवाओं को जोड़ा जा सकता है।
बिहार के युवाओं में उम्मीद की लहर
तेजस्वी यादव का यह वादा युवाओं के बीच तेजी से वायरल हो गया है। सोशल मीडिया पर #हरघरसरकारीनौकरी और #TejashwiPromise जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
कई युवाओं ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “अगर कोई नेता युवाओं के लिए ईमानदारी से काम करने की बात करता है, तो वह तेजस्वी यादव हैं।” वहीं, कुछ लोगों ने इसे “सपनों का वादा” करार दिया।
चुनावी रणनीति और राजद की चुनौती
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी यादव का यह ऐलान बेरोजगारी से जूझ रहे बिहार के लाखों युवाओं को सीधे संबोधित करता है। बिहार में रोजगार मुद्दा हमेशा से निर्णायक रहा है, खासकर युवाओं और प्रवासी मजदूरों के बीच।
राजद की रणनीति स्पष्ट है — युवाओं, महिलाओं और बेरोजगार परिवारों को साथ लाना। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतना बड़ा वादा चुनावी हकीकत में बदलेगा या यह भी एक राजनीतिक नारा बनकर रह जाएगा?
जनता की उम्मीदें और असली परीक्षा
बिहार की जनता अब यह देखना चाहती है कि तेजस्वी यादव अपने वादे को ठोस रूप में कैसे लागू करेंगे। नौकरी, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर जनता का मूड इस बार निर्णायक साबित हो सकता है।
अगर राजद अपने “हर परिवार को नौकरी” वाले एजेंडे को व्यवहारिक योजना के रूप में पेश करने में सफल होती है, तो यह बिहार चुनाव 2025 की दिशा बदल सकता है।