
पटना, 10 अक्टूबर 2025 – बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर महागठबंधन में डाईरेक्ट दबाव दिखने लगा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार देर शाम एक अहम फोन कॉल करते हुए राजद (RJD) के प्रमुख व प्रदेश विपक्षी नेता तेजस्वी यादव को चेतावनी दी कि वे जल्दी से जल्दी सीट-बंटवारा प्रस्ताव कांग्रेस के पास भेजें। यदि मंज़ूरी नहीं हुई तो कांग्रेस अकेले ही अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी — इस तरह का संदेश गांधी ने पार्टी नेतृत्व की ओर से दिया।
यह राजनीतिक बयान ऐसे समय आया है जब महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे को लेकर अनिश्चितता और विवाद पहले ही सतह पर हैं। कांग्रेस की इस सख्त मांग से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी इस बार अपनी स्थिति मज़बूत रखकर साझेदारी को अधीनस्थ नहीं बनने देना चाहती।
विवाद की पृष्ठभूमि
2025 का बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होना तय है, और 14 नवंबर को मतगणना होगी।
महागठबंधन में मुख्य साझेदार RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चर्चा महीनों से लागू है। RJD ने तेजस्वी यादव को अपना CM उम्मीदवार घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस इसे भारत (INDIA) गठबंधन के स्तर पर मान्यता नहीं दे रही।
पार्टी-केंद्रित सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने अबषण किया है कि वह “छोटा या गौण दल” बनने का दायित्व नहीं स्वीकारेगी। गांधी की यह कॉल उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें कांग्रेस को गठबंधन में बराबरी का दर्जा देना अनिवार्य है।
फोन कॉल की अहमियत और रणनीति
सूत्रों का कहना है कि गांधी ने यह फोन कॉल महागठबंधन के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर किया। उन्हें यह संदेश देना था कि कांग्रेस अब तक संयमित रुख अपना रही थी, लेकिन यदि अभी भी गठबंधन ने सीट बंटवारा प्रस्ताव नहीं पेश किया, तो कांग्रेस को मजबूरन कदम उठाना पड़ेगा।
इस संदर्भ में, कांग्रेस पहले ही 23 सीटों पर अपनी उम्मीदवार सूची को अंतिम रूप दे चुकी है, जबकि अन्य सीटों पर सहयोगियों के साथ साझा निर्णय की प्रतीक्षा है। यह कदम संकेत देता है कि कांग्रेस भीतर से तैयार है और अपनी ताकत दिखाना चाहती है।
गठबंधन में दरार के संभावना
राजद और कांग्रेस के इस टकराव से महागठबंधन में फूट की संभावना भी उजागर हो रही है। यदि कांग्रेस ने “अपने उम्मीदवार उतारने” की धमकी को अंजाम दिया, तो गठबंधन का संतुलन बिगड़ सकता है।
उधर, RJD की ओर से अभी तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया सीमित रही है। पार्टी का रुख यह है कि तेजस्वी यादव को अपना CM चेहरा बनाना अनिवार्य है और सीट बंटवारा जल्द तय होना चाहिए।
राजनीतिक मायने और भविष्य की संभावना
यदि कांग्रेस अपनी धमकी पर अमल करती है और खुद उम्मीदवार उतारती है, तो मत विभाजन हो सकता है जो NDA को फ़ायदा पहुंचा सकता है।
दूसरी ओर, यदि RJD समय रहते प्रस्ताव दे देती है, तो गठबंधन की मजबूती बना रह सकती है और कांग्रेस को भरोसा हो सकता है कि उसका दर्जा सुरक्षित रहेगा।
यह मामला यह भी रेखांकित करता है कि 2025 के बिहार चुनाव में कांग्रेस, RJD और अन्य सहयोगी दलों के बीच शक्ति-संतुलन किस तरह केंद्र में रहेगा।
अंततः, आम जनता के लिए यह देखने की बात होगी कि गठबंधन की प्रक्रियाएँ कितनी पारदर्शी और जवाबदेह होंगी, और कौन से दल अंतिम समय में स्थिरता बनाए रख पाएंगे।