
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा की है। बिहार में सफल प्रयोग के बाद अब आयोग देशभर में SIR (Systematic Identification and Review) लागू करने जा रहा है। यह प्रणाली मतदाता सूची को अद्यतन और सटीक बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
बिहार में SIR को पहली बार प्रयोग के तौर पर लागू किया गया था, जहाँ इस प्रणाली के तहत फर्जी मतदाताओं की पहचान, दोहरी एंट्री की जांच और नए पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने का काम किया गया। अब आयोग इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने जा रहा है।
पहले चरण में शामिल राज्य
आयोग ने बताया कि पहले फेज में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में SIR लागू किया जाएगा। इन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव आयोग का मानना है कि इस प्रणाली के जरिए मतदाता सूची को पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी और विश्वसनीय बनाया जा सकेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “SIR का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक व्यक्ति का नाम केवल एक ही विधानसभा क्षेत्र में दर्ज हो। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएं।”
क्या है SIR प्रणाली?
SIR यानी Systematic Identification and Review एक डिजिटल और मैदानी सत्यापन आधारित प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत बूथ स्तर पर नियुक्त BLO (Booth Level Officer) मोबाइल ऐप और GIS आधारित तकनीक के माध्यम से हर मतदाता की जानकारी को अपडेट करेंगे।
इस प्रक्रिया में —
फर्जी या दोहराए गए नामों की पहचान
नए पात्र मतदाताओं का पंजीकरण
मृत मतदाताओं की एंट्री को हटाना
स्थानांतरित मतदाताओं का रिकॉर्ड अपडेट करना शामिल है।
चुनाव आयोग के अनुसार, SIR के जरिए पहली बार देशभर में मतदाता डेटा का एकीकृत डिजिटल ऑडिट संभव होगा।
Bihar मॉडल बना राष्ट्रीय उदाहरण
बिहार में SIR का पहला पायलट प्रोजेक्ट 2025 की शुरुआत में किया गया था। इसमें लगभग 3.5 करोड़ मतदाताओं का डेटा पुनः सत्यापित किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, करीब 2.7 लाख डुप्लीकेट एंट्री हटाई गईं, जबकि 6 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए। इस पहल से चुनाव आयोग को काफी सकारात्मक परिणाम मिले, जिसके बाद इसे पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया गया।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा था कि “SIR के कारण मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ी है और यह प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता के लिए क्रांतिकारी साबित होगी।”
आयोग की तैयारी और रोडमैप
आयोग ने सभी राज्यों को इस दिशा में तैयारी के निर्देश दिए हैं। SIR के संचालन के लिए राज्यवार प्रशिक्षण कार्यक्रम, तकनीकी कार्यशालाएं और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार किए जा रहे हैं।
राज्यों में जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) और ब्लॉक स्तर पर विशेष निगरानी टीमें बनाई जाएंगी जो यह सुनिश्चित करेंगी कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और त्रुटिरहित हो।
डिजिटल वेरिफिकेशन से बढ़ेगी पारदर्शिता
SIR प्रणाली में डिजिटल वेरिफिकेशन एक महत्वपूर्ण घटक होगा। मतदाताओं के पते, पहचान और फोटो को सरकारी डेटाबेस से क्रॉस-चेक किया जाएगा। इसके लिए आधार और जनसंख्या रजिस्टर जैसी प्रणालियों से डेटा मिलान करने पर भी विचार चल रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रणाली से भविष्य में फर्जी मतदान, दोहरे पंजीकरण और राजनीतिक विवादों में कमी आएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों ही दलों ने इस कदम का स्वागत किया है, हालांकि कुछ दलों ने डेटा प्राइवेसी को लेकर सावधानी बरतने की मांग की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि “अगर SIR निष्पक्ष तरीके से लागू किया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए सकारात्मक कदम होगा।”
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि “इससे राज्य में मतदाता सूची की गड़बड़ियों पर रोक लगेगी।”
जनता के लिए क्या करना होगा
आम मतदाताओं को BLO द्वारा जारी नोटिस या ऐप लिंक के जरिए अपने विवरण की पुष्टि करनी होगी। कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से अपना नाम, पता और आयु विवरण अपडेट कर सकेगा।
SIR की यह पहल भारत में चुनावी प्रक्रिया को आधुनिक, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। चुनाव आयोग का कहना है कि आने वाले वर्षों में इसे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पूरी तरह लागू किया जाएगा।