
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Chunav 2025) अब अपने निर्णायक चरण की ओर बढ़ रहा है। पहले चरण के नामांकन और प्रत्याशियों की लिस्ट तय होने के बाद अब दूसरे चरण की सरगर्मी पूरे राज्य में देखने को मिल रही है। चुनाव आयोग ने दूसरे चरण की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके तहत आज से 122 विधानसभा सीटों पर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है।
राज्य के सभी राजनीतिक दल — एनडीए (NDA), महागठबंधन (Mahagathbandhan), एआईएमआईएम (AIMIM), लोजपा (LJP), और वीआईपी पार्टी (VIP) — अब पूरी ताकत झोंकने में जुट गए हैं। इस चरण में बिहार की कई अहम सीटें शामिल हैं, जो चुनावी समीकरणों को बदलने की क्षमता रखती हैं।
नामांकन प्रक्रिया शुरू, राजनीतिक गतिविधियां तेज
राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक दूसरे चरण में कुल 122 सीटों पर चुनाव होने हैं। इन सीटों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि अगले हफ्ते तय की गई है। उम्मीदवारों को अपने नामांकन पत्र के साथ जरूरी दस्तावेज और शपथ पत्र जमा करने होंगे।
पटना, गया, भागलपुर, दरभंगा, सीवान, मुजफ्फरपुर, और सासाराम जैसे बड़े जिलों में राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है। चुनाव कार्यालयों के बाहर प्रत्याशियों और समर्थकों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है।
एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे पर नजर
पहले चरण में सीट शेयरिंग को लेकर जो खींचतान देखने को मिली थी, वह दूसरे चरण में और तेज हो सकती है। बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के बीच कई सीटों पर तालमेल की बातचीत अभी भी जारी है। दूसरी ओर, महागठबंधन में राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है।
सूत्रों के अनुसार, इस बार एनडीए 70 से अधिक सीटों पर और महागठबंधन करीब 50 सीटों पर दावा ठोक सकता है। एआईएमआईएम और लोजपा (रामविलास) जैसे दल भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं।
मुख्य मुकाबले और हॉट सीटें
इस चरण में कई हाई-प्रोफाइल सीटें भी हैं — जैसे राजद का राघोपुर, बिजेपी का बक्सर, जेडीयू का नालंदा, और कांग्रेस का किशनगंज। इन सीटों पर दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी होगी।
विशेष रूप से राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव और उनके विरोधियों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय जायसवाल और जेडीयू के ललन सिंह भी अपनी-अपनी सीटों से सक्रिय हो गए हैं।
जनता के मुद्दे: रोजगार, बिजली और सड़कें
बिहार चुनाव 2025 में जनता के प्रमुख मुद्दे अब स्पष्ट हो चुके हैं। बेरोजगारी, महंगाई, बिजली और सड़कों की स्थिति फिर से चुनावी एजेंडा में शामिल हैं।
युवाओं में रोजगार और शिक्षा को लेकर असंतोष है, जबकि किसानों का बड़ा वर्ग सिंचाई और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग उठा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में अब भी स्वास्थ्य सुविधाओं और पेयजल की कमी जैसी समस्याएं चर्चा में हैं।
सोशल मीडिया पर प्रचार का नया दौर
राजनीतिक पार्टियां इस बार सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रही हैं। फेसबुक, एक्स (Twitter), और व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर प्रचार सामग्री वायरल की जा रही है।
बीजेपी “फिर एक बार, डबल इंजन सरकार” के नारे के साथ मैदान में है, वहीं महागठबंधन “बदलाव का वक्त” और “नौजवान सरकार” जैसे नारे उठा रहा है।
तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार और केंद्रीय नेताओं के चुनावी दौरे की तिथियों का भी ऐलान जल्द होने की संभावना है।
महिला वोट बैंक और नए मतदाता निर्णायक भूमिका में
इस बार चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, करीब 95 लाख नए मतदाता जुड़ चुके हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा युवा और महिला वोटर्स का है।
राजनीतिक दल इस वर्ग को साधने के लिए महिला सशक्तिकरण और रोजगार योजनाओं की घोषणाएं करने की तैयारी में हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और चुनावी तैयारियां पूरी
राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती को लेकर योजना तैयार कर ली गई है। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त फोर्स भेजी जाएगी ताकि नामांकन प्रक्रिया शांति से पूरी हो सके।
चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि नामांकन स्थल के आसपास धारा 144 लागू रखी जाए और किसी भी तरह की अव्यवस्था को सख्ती से रोका जाए।
राजनीतिक भविष्य का दूसरा चरण
बिहार चुनाव का यह दूसरा चरण राज्य की सत्ता के समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।
पहले चरण के मतदान में जिन इलाकों में एनडीए और महागठबंधन के बीच करीबी मुकाबला रहा, वहां का असर अब दूसरे चरण पर भी दिखेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर किसी गठबंधन ने इस चरण में बढ़त बना ली तो सत्ता की राह उसके लिए आसान हो जाएगी।