
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी अब चरम पर पहुंच गई है। इस बार के चुनाव में सबसे बड़ा सरप्राइज लेकर आई है जन सुराज पार्टी, जिसने घोषणा की है कि वह राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी टिकट लिस्ट जारी करते हुए कहा कि अब बिहार को “परंपरागत राजनीति” नहीं बल्कि “जन भागीदारी से चलने वाली राजनीति” की जरूरत है।
जन सुराज की पूरी तैयारी
प्रशांत किशोर ने बताया कि जन सुराज ने पिछले तीन वर्षों में राज्य के प्रत्येक जिले और पंचायत स्तर तक जाकर जनता से सीधा संवाद किया है। इस दौरान पार्टी ने करीब 30 हजार से अधिक सक्रिय कार्यकर्ता और 10 लाख से ज्यादा समर्थक तैयार किए हैं। पीके ने कहा, “हम सिर्फ चुनाव नहीं लड़ रहे, बल्कि बिहार की राजनीति में वैकल्पिक सोच की शुरुआत कर रहे हैं।”
243 सीटों की टिकट लिस्ट जारी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी ने 243 प्रत्याशियों की सूची भी सार्वजनिक की। इसमें युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसानों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। करीब 38 प्रतिशत टिकट पहली बार चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को दिया गया है।
प्रशांत किशोर ने कहा, “हमने जाति या पैसे की ताकत नहीं, बल्कि क्षमता और निष्ठा को प्राथमिकता दी है। जन सुराज के उम्मीदवार जनता की सेवा के भाव से चुनाव मैदान में उतरेंगे।”
कुछ प्रमुख उम्मीदवारों की लिस्ट:
राघोपुर सीट: अनिल कुमार यादव (युवा समाजसेवी, वैकल्पिक उम्मीदवार)
हाजीपुर सीट: डॉ. कुमुदिनी देवी (शिक्षिका और महिला अधिकार कार्यकर्ता)
छपरा सीट: मनोज सिंह (पूर्व आईटी प्रोफेशनल)
बेतिया सीट: सुमन झा (किसान नेता)
मधुबनी सीट: प्रो. संतोष मिश्रा (शिक्षाविद)
गया टाउन सीट: शेख सलमान (व्यापारी संघ के पूर्व अध्यक्ष)
जन सुराज की यह लिस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है। कई लोग इसे बिहार की राजनीति में एक बड़ा “मोड़” बता रहे हैं।
पीके का बड़ा बयान
प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “बिहार में अब जनता के नेतृत्व में राजनीति होगी। हमने वादा किया है कि आने वाले 10 सालों में बिहार को देश के शीर्ष 10 राज्यों में लाने का रोडमैप हमारे पास है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जन सुराज पार्टी किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होगी। “हमारा मुकाबला किसी दल से नहीं, बल्कि उस सोच से है जिसने बिहार को पीछे रखा।”
राजनीतिक समीकरण पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि जन सुराज पार्टी का हर सीट पर उतरना NDA और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन सकता है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर पीके की रणनीति ग्राउंड लेवल पर असर दिखाती है, तो यह चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला बन सकता है।
जन सुराज की रणनीति ‘गांव-गांव संवाद’ और ‘जनप्रतिनिधि जवाबदेही अभियान’ पर आधारित है, जिसके तहत हर प्रत्याशी से जनता सीधे सवाल कर सकेगी।
ग्रामीण इलाकों में पकड़ मजबूत
पार्टी ने अपने संगठन को गांवों में मजबूत करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया है। जन सुराज के कार्यकर्ता पिछले दो साल से घर-घर जाकर “बदलाव यात्रा” के माध्यम से जनता से जुड़ाव बना रहे हैं।
इस अभियान में पीके ने बिहार के 4000 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलकर 200 से अधिक प्रखंडों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, शराबबंदी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लोगों से राय ली।
महिलाओं और युवाओं पर फोकस
जन सुराज पार्टी ने टिकट वितरण में महिलाओं को 30 प्रतिशत और युवाओं को 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया है। पीके ने कहा, “जब तक युवा राजनीति में नहीं आएंगे, तब तक बदलाव संभव नहीं है।”
पार्टी ने घोषणा की है कि अगर सरकार बनी तो राज्य में शिक्षा सुधार, स्थानीय रोजगार और पंचायत स्तर पर पारदर्शी प्रशासन उनकी प्राथमिकता होगी।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घोषणा को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोग इसे “नई शुरुआत” कह रहे हैं, जबकि विपक्षी दलों के समर्थक इसे “राजनीतिक प्रयोग” बता रहे हैं।
हालांकि, यह तय है कि बिहार का यह चुनाव अब सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि राजनीतिक सोच के परिवर्तन का भी प्रतीक बनने जा रहा है।
जन सुराज पार्टी का 243 सीटों पर उतरने का फैसला बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर चुका है। प्रशांत किशोर की यह रणनीति कामयाब होगी या नहीं, इसका फैसला 2025 के चुनाव परिणाम देंगे। लेकिन इतना तो तय है कि इस बार का चुनाव पारंपरिक समीकरणों से आगे बढ़कर विचार आधारित राजनीति की ओर बढ़ रहा है।