चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ (Cyclone Montha) ने बुधवार सुबह आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में दस्तक दी। 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से चल रही हवाओं ने समुद्र तटों पर भारी तबाही मचा दी। विशाखापट्टनम, काकीनाड़ा, और श्रीकाकुलम जिले में कई जगहों पर पेड़ और बिजली के खंभे गिरने की खबरें आई हैं। समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं और मछुआरों को सख्त चेतावनी दी गई है कि वे अगले 48 घंटे तक समुद्र में न जाएं।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, कई तटीय गांवों को खाली कराया गया है। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है। सरकार ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।
आंध्र से लेकर ओडिशा तक असर — बारिश और तेज़ हवाओं का तांडव
‘मोंथा’ का असर अब सिर्फ आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, तूफान अब ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहा है। इन राज्यों में अगले 24 घंटे तक भारी बारिश और तेज हवाओं की संभावना जताई गई है।
ओडिशा के गंजाम, पुरी, और बालासोर में भारी बारिश दर्ज की गई है। कई जगहों पर पानी भरने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। रेलवे और हवाई सेवाओं पर भी असर पड़ा है — कई ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट किया गया है, वहीं विशाखापट्टनम एयरपोर्ट से उड़ानें अस्थायी रूप से रोकी गई हैं।
IMD की चेतावनी — अगले 48 घंटे रहेंगे बेहद अहम
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कहा है कि चक्रवात ‘मोंथा’ का असर अगले दो दिनों तक रहेगा। विभाग ने कहा कि यह तूफान पूर्वी भारत के साथ-साथ उत्तर भारत के कुछ हिस्सों तक पहुंच सकता है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया,
“तूफान की तीव्रता धीरे-धीरे कम होगी, लेकिन अगले 48 घंटे तक भारी वर्षा और तेज हवाएं चलने की संभावना बनी हुई है। तटीय इलाकों में लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।”
कृषि पर असर और बिजली बाधित — जनजीवन ठप
कई जिलों में लगातार बारिश से फसलें जलमग्न हो गई हैं। किसानों को भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। खासकर धान की फसल जो कटाई के करीब थी, वह बर्बाद हो सकती है।राज्य सरकार ने कृषि विभाग को नुकसान का आकलन करने का निर्देश दिया है।
बिजली व्यवस्था भी चरमरा गई है — कई जगह ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हुए हैं और सैकड़ों गांवों में बिजली गुल है।
राहत कार्य तेज़ — सरकार ने खोले कंट्रोल रूम
मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने अधिकारियों को राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया है।
राज्यभर में कंट्रोल रूम सक्रिय किए गए हैं।
एनडीआरएफ और नौसेना के जवानों को तटीय इलाकों में तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।
उत्तर भारत में भी बारिश का असर — बिहार-यूपी तक पहुंचेगा तूफान
आईएमडी ने बताया कि ‘मोंथा’ का असर उत्तर भारत के राज्यों तक दिखेगा।
बिहार के पूर्वी और उत्तरी जिलों जैसे पूर्णिया, कटिहार, सीतामढ़ी, दरभंगा और मुजफ्फरपुर में अगले 24 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
वहीं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ और वाराणसी में भी तेज़ हवाएं और गरज के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।बिहार सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को सतर्क रहने और बाढ़ प्रभावित इलाकों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
रेल और सड़क यातायात प्रभावित
चक्रवात के चलते रेलवे ने विशाखापट्टनम से भुवनेश्वर और कोलकाता के बीच चलने वाली कई ट्रेनों को रद्द किया है। कई सड़कों पर पेड़ गिरने से ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है।
सिविल एविएशन अथॉरिटी ने भी सभी एयरलाइंस को चेतावनी जारी की है कि वे केवल मौसम में सुधार के बाद ही उड़ानें संचालित करें।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी — बढ़ते चक्रवातों पर ध्यान देना जरूरी
पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है।
‘मोंथा’ इसका ताजा उदाहरण है — अक्टूबर-नवंबर के दौरान इतने शक्तिशाली तूफान पहले कम देखने को मिलते थे।
विशेषज्ञों ने सरकारों से कहा है कि तटीय प्रबंधन और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली को और मजबूत किया जाए ताकि जनहानि कम से कम हो।
अगले कुछ दिनों में मौसम में सुधार की उम्मीद
मौसम विभाग का अनुमान है कि शुक्रवार से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में मौसम धीरे-धीरे सामान्य होने लगेगा। हालांकि, कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश बनी रहेगी।
मौसम के सामान्य होते ही राहत कार्य और तेज़ी से आगे बढ़ाए जाएंगे।
चक्रवात ‘मोंथा’ ने एक बार फिर दिखा दिया कि प्राकृतिक आपदाओं के आगे मानवता कितनी असहाय हो सकती है। प्रशासन की चौकसी और समय पर सतर्कता से कई लोगों की जान बचाई जा सकी, लेकिन यह भी सच है कि ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए देश को और अधिक तैयार रहने की जरूरत है।
