कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है यह पावन तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए दान, स्नान और दीपदान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 14 नवंबर 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है क्योंकि इस दिन देव दीपावली, त्रिपुरारी पूर्णिमा और कार्तिक स्नान का योग एक साथ बनता है।
क्यों होता है कार्तिक पूर्णिमा का इतना महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।
इसके अलावा, भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, जिससे देवताओं को मुक्ति मिली। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
वाराणसी में इसी दिन देव दीपावली मनाई जाती है, जब गंगा घाटों पर लाखों दीप जलाकर देवताओं का स्वागत किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर उतरकर गंगा स्नान करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर कौन से देवता की होती है पूजा
1. भगवान विष्णु – कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. भगवान शिव (त्रिपुरारी) – इस दिन भगवान शिव के त्रिपुर दैत्य संहार की याद में शिवलिंग पर जलाभिषेक और दीपदान का महत्व है।
3. भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) – दक्षिण भारत में इस दिन भगवान कार्तिकेय की आराधना की जाती है।
4. गंगा मैया – कार्तिक मास में गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि (Puja Vidhi)
1. प्रातःकाल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी, सरोवर या घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
2. दीपदान करें: स्नान के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंदिर में दीपक जलाएं।
3. व्रत रखें: पूरे दिन व्रत रखने से मानसिक शुद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
4. भगवान विष्णु की आराधना: तुलसी पत्र, पीला वस्त्र, धूप-दीप और पंचामृत से भगवान विष्णु का पूजन करें।
5. शिव पूजा: शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और भस्म अर्पित करें।
6. दान-पुण्य करें: जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन, तिल, गुड़ और दीपदान करने से अक्षय फल मिलता है।
7. संध्या दीपदान: सूर्यास्त के समय घर और मंदिर में दीप जलाकर देवताओं को समर्पित करें।
क्या मिलता है इस दिन पूजा और व्रत का फल
पापों से मुक्ति: शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।
सुख-समृद्धि: भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
मोक्ष की प्राप्ति: इस दिन व्रत और पूजा करने से आत्मा को मुक्ति का मार्ग मिलता है।
शुभ विवाह और संतान प्राप्ति: जिन दंपतियों को संतान या वैवाहिक जीवन में कठिनाई है, उनके लिए यह व्रत शुभ फल देता है।
आरोग्य लाभ: शिव पूजा से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है।
देव दीपावली का उत्सव
वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन जैसे तीर्थों में इस दिन देव दीपावली मनाई जाती है। गंगा घाटों पर लाखों दीप जलाकर भगवान शंकर और गंगा मैया की आरती होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरकर गंगा में स्नान करते हैं और मानवों की भांति दीप जलाते हैं।
पौराणिक कथा
त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने तीन लोकों में अत्याचार मचाया था। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया। इसीलिए यह दिन त्रिपुरारी पूर्णिमा कहलाता है। भगवान शिव के इस रूप की पूजा से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता और संकट समाप्त हो जाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और पवित्रता आती है।
अगर श्रद्धा और आस्था से इस दिन व्रत, स्नान, दान और दीपदान किया जाए तो यह व्यक्ति के जीवन में धन, धर्म और मोक्ष – तीनों का वरदान प्रदान करता है।
