हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और आराधना के दौरान अगरबत्ती जलाना एक आम परंपरा बन चुकी है। हर घर में सुबह और शाम आरती या पूजा के समय अगरबत्ती की सुगंध से वातावरण पवित्र किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु और धर्मशास्त्रों के अनुसार अगरबत्ती जलाने के कुछ विशेष नियम और मान्यताएं हैं? कई बार लोग अनजाने में गलत दिशा या गलत समय पर अगरबत्ती जलाकर नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर लेते हैं। इसलिए जानिए पूजा में अगरबत्ती जलाने के शुभ-अशुभ प्रभाव और इसके सही नियम।
अगरबत्ती जलाने का धार्मिक महत्व
अगरबत्ती जलाने का मुख्य उद्देश्य वातावरण को सुगंधित और सकारात्मक बनाना होता है। जब अगरबत्ती से सुगंध फैलती है, तो मन एकाग्र होता है और ध्यान की शक्ति बढ़ती है। यह माना जाता है कि सुगंध देवताओं को प्रिय होती है और इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। हालांकि, शास्त्रों में अगरबत्ती की तुलना में धूप और कपूर को अधिक शुद्ध और धार्मिक रूप से प्रभावी माना गया है।

शास्त्रों में क्या कहा गया है
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पूजा में धूप और कपूर का प्रयोग अधिक शुभ माना गया है। अगरबत्ती एक आधुनिक विकल्प है जो सुगंध के माध्यम से मानसिक शांति देता है, लेकिन इसमें प्रयोग होने वाले रासायनिक तत्व कभी-कभी हवा को दूषित भी कर सकते हैं। इसलिए शुद्ध प्राकृतिक अगरबत्ती का उपयोग करना ही उचित है।
पूजा में अगरबत्ती जलाने के वास्तु नियम
1. दिशा का ध्यान रखें: अगरबत्ती हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में जलानी चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा घर में फैलती है।
2. स्थान का चयन: इसे पूजा स्थल या घर के मंदिर में ही जलाएं। शयनकक्ष या भोजनालय में जलाना वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है।
3. समय का नियम: अगरबत्ती केवल सुबह और शाम के समय जलाना शुभ माना गया है। रात में या आधी रात को अगरबत्ती जलाने से नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती हैं।
4. जलाने के बाद ध्यान दें: अगरबत्ती जलाने के बाद उसकी राख (भस्म) को पूजा स्थल पर लंबे समय तक न रखें। उसे तुरंत साफ करके घर के बाहर फेंक दें।
5. सुगंध का चयन करें: चंदन, गुलाब, लैवेंडर, या मोगरा जैसी सुगंध वाली अगरबत्तियां सकारात्मक प्रभाव देती हैं। तीव्र या रासायनिक गंध वाली अगरबत्तियों से बचें।
कब अगरबत्ती जलाना अशुभ माना गया है
जब घर में झगड़े या तनाव का माहौल हो, तो गुस्से में अगरबत्ती जलाना शुभ नहीं होता।
मृत्युभोज या किसी शोक के समय अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
जब मंदिर की मूर्ति या पूजा स्थल की सफाई न हुई हो, तो उस समय अगरबत्ती जलाना भी अशुभ माना गया है।
हवा या पंखे के नीचे अगरबत्ती जलाने से इसकी ऊर्जा असंतुलित हो जाती है।
वास्तु अनुसार लाभदायक प्रभाव
अगरबत्ती सही दिशा और समय पर जलाने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि घर का माहौल भी सकारात्मक बनता है। यह मन को शुद्ध करती है, वातावरण को सुगंधित बनाती है और नकारात्मकता को दूर करती है।
अगरबत्ती जलाना स्वयं में शुभ है, बशर्ते इसे सही दिशा, सही समय और शुद्ध भावना से जलाया जाए। वास्तु और धर्मशास्त्रों के अनुसार, इसका उद्देश्य केवल सुगंध नहीं बल्कि ऊर्जा संतुलन और मानसिक एकाग्रता बढ़ाना है
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, वास्तु शास्त्र और परंपरागत विचारों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक या वास्तु निर्णय से पहले अपने गुरु या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
