मार्गशीर्ष मास में आने वाली अमावस्या को अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। शास्त्रों में इसे पितरों को तृप्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का श्रेष्ठ दिन बताया गया है। वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष अमावस्या का यह विशेष समय व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति लाने वाला माना जा रहा है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य, तर्पण, स्नान और दान अत्यधिक पुण्यदायी होते हैं। मान्यता है कि इस अमावस्या पर पितरों की कृपा प्राप्त करने से जीवन के कष्ट कम होते हैं, परिवार में सद्भाव बना रहता है और आर्थिक उन्नति के मार्ग खुलते हैं।

इस दिन पवित्र नदी में स्नान, विष्णु भगवान की उपासना, पितरों को जल अर्पित करना और जरूरतमंदों को दान देना विशेष फलदायी माना जाता है। आइए विस्तार से जानें मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व, पितरों को प्रसन्न करने के उपाय और इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य।
मार्गशीर्ष अमावस्या का धार्मिक महत्व
मार्गशीर्ष मास देवताओं का प्रिय माना जाता है। इस महीने की अमावस्या पर किए गए कर्म श्रेष्ठ फल देते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन पितृलोक के द्वार खुलते हैं और पितरों की आत्माएं अपने वंशजों के द्वारा किए गए तर्पण और दान को ग्रहण करने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। इसलिए, इस दिन पितरों की शांति और तृप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान करने की परंपरा है।
पवित्र नदी में स्नान का महत्व
अमावस्या के दिन नदी, तालाब या घर के मंदिर में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। माना जाता है कि पवित्र स्नान नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सौभाग्य बढ़ाता है।
पितरों के लिए तर्पण का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या पर तर्पण करना विशेष पुण्यकारी माना गया है। तर्पण में जल, तिल, फूल और काले तिल का उपयोग पितरों की तृप्ति के लिए किया जाता है। इससे पितृदोष में कमी आती है और जीवन में रुकावटें दूर होती हैं।
कौन-कौन से दान करें?
इस दिन पितरों की तृप्ति और आशीर्वाद के लिए दान को अत्यंत विशेष माना गया है।
अन्न दान: भूखे-प्यासों को भोजन कराना अत्यधिक पुण्यकारी कार्य है।
वस्त्र दान: जरूरतमंदों को कपड़े देना पितरों की प्रसन्नता बढ़ाता है।
तिल और उड़द दान: पौराणिक मान्यता के अनुसार तिल और उड़द का दान कष्टों को दूर करता है और पापों का नाश करता है।
दीपदान: शाम के समय पीपल या तुलसी के पास दीपक जलाकर पितरों की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
भगवान विष्णु की पूजा का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु की उपासना करने की परंपरा है। कहा जाता है कि विष्णु पूजा से पितरों को भी शांति मिलती है और परिवार पर कृपा बनी रहती है। शंख, तुलसी और गंगाजल से पूजा करने का विशेष महत्व है।
घर में करें ये शुभ उपाय
घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं और पितरों को याद करके प्रार्थना करें।
काले तिल को जल में मिलाकर स्नान करें।
शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
किसी बुजुर्ग या साधु-संत का आशीर्वाद लें।
घर के मंदिर में पीतल के पात्र में जल भरकर पितरों को स्मरण करें।
इस दिन क्या न करें?
अत्यधिक क्रोध, कलह और नकारात्मक बातें करने से बचें।
किसी जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं।
अपवित्र स्थान पर भोजन न करें।
यह लेख पारंपरिक मान्यताओं, ज्योतिषीय मानकों और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित सामान्य जानकारी प्रदान करता है। किसी भी अनुष्ठान, उपाय या धार्मिक कार्य को करने से पहले अपने पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। यहां दी गई जानकारी केवल जागरूकता के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है।
