झारखंड में कानून-व्यवस्था की पारदर्शिता और पुलिस कार्यप्रणाली की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि झारखंड के सभी 334 पुलिस थानों में 31 दिसंबर 2025 तक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि नागरिकों की सुरक्षा, शिकायत निवारण और पुलिस कार्रवाई की निगरानी को सुदृढ़ किया जा सके।

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए साफ कहा कि देशभर में पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं, और यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि समय पर इस प्रक्रिया को पूरा करे। अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि कई जिलों में अब तक सीसीटीवी लगाने का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है, जबकि इससे जुड़े बजट और तकनीकी संसाधन राज्य सरकार पहले ही मंजूर कर चुकी है।
सुनवाई में क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि कई जिलों में सीसीटीवी इंस्टालेशन का कार्य अंतिम चरण में है, जबकि कुछ थानों में फंड ट्रांसफर और तकनीकी मुद्दों के कारण देरी हुई है। कोर्ट ने सरकार की दलीलों को स्वीकारते हुए अंतिम समय सीमा 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की और कहा कि:
इस तारीख के बाद किसी भी थाने में सीसीटीवी न लगना कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
सभी कैमरे हाई-रिजॉल्यूशन और नाइट विजन फीचर से लैस होने चाहिए।
सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग कम से कम 90 दिन तक सुरक्षित रखी जाए।
स्टोरेज और सर्वर सिस्टम की जवाबदेही संबंधित जिला एसपी पर होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की याद दिलाई
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पूरे देश में पुलिस सुधारों को लेकर पारदर्शी व्यवस्था लागू की जा रही है। थानों में सीसीटीवी लगाने का मकसद:
गिरफ्तार व्यक्तियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकना
पुलिस पूछताछ को पारदर्शी बनाना
शिकायतों के सही समाधान में मदद करना
मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर रोक लगाना
पुलिस और नागरिकों के बीच भरोसा बढ़ाना है
कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति पुलिस कार्रवाई से संबंधित शिकायत दर्ज कराता है, तो सीसीटीवी फुटेज ही प्राथमिक साक्ष्य माना जाएगा। इसलिए हर थाने में कैमरों की गुणवत्तापूर्ण और सतत निगरानी सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।
कहाँ-कहाँ लगाए जाएंगे कैमरे?
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सीसीटीवी कैमरे सिर्फ थाने के बाहर ही नहीं, बल्कि थाने के भीतर भी कई अहम स्थानों पर लगाए जाएं। इनमें शामिल हैं:
मुख्य गेट
हवालात
पूछताछ कक्ष
थाना रिकॉर्ड रूम
अधिकारी कक्ष के बाहर
सामान्य जनता के बैठने का क्षेत्र
वाहनों के प्रवेश और निकास मार्ग
हालांकि महिलाओं से जुड़े संवेदनशील कमरों या गुप्त पूछताछ कक्षों में कैमरों की अनिवार्यता पर कुछ सीमाएं रहेंगी, लेकिन बाकी सभी जगहें सीसीटीवी कवरेज के दायरे में होंगी।
झारखंड में पुलिस सुधारों की दिशा में बड़ा कदम
झारखंड में पुलिस सुधारों की दिशा में यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई जिलों से पुलिस अभिरक्षा में मौत, गलत गिरफ्तारी और थानों में दुर्व्यवहार की शिकायतें सामने आई हैं। ऐसे में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधुनिक और तकनीकी निगरानी से इन मामलों में कमी आएगी और आम जनता का भरोसा बढ़ेगा।
राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया है कि:
सभी जिलों को बजट जारी किया जा चुका है।
कैमरों की खरीद, इंस्टालेशन और स्टोरेज सिस्टम पर तेजी से काम चल रहा है।
दिसंबर तक 100% इंस्टालेशन पूरा कर लिया जाएगा।
सरकार ने यह भी कहा कि नए थानों के निर्माण में सीसीटीवी सिस्टम को आधारभूत संरचना का हिस्सा बनाया जा रहा है।
जवाबदेही तय करने का निर्देश
कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी थाने में सीसीटीवी इंस्टॉल नहीं होता है या कैमरे काम नहीं करते हैं, तो संबंधित जिला एसपी और थाना प्रभारी (SHO) इसके लिए जिम्मेदार माने जाएंगे। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि:
यदि शिकायत के दौरान कैमरे बंद पाए जाते हैं,
स्टोरेज उपलब्ध न हो,
या फुटेज गायब हो,
तो यह न केवल पुलिस प्रशासन की विफलता होगी, बल्कि अवमानना कार्रवाई भी संभव होगी।
जनता के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
यह आदेश आम नागरिकों के लिए कई मायनों में सुरक्षा कवच साबित होगा:
पुलिस थानों में पारदर्शिता बढ़ेगी
उत्पीड़न या गलत आरोपों से बचाव होगा
शिकायत दर्ज करवाने में हिचक कम होगी
पुलिस का व्यवहार जिम्मेदारीपूर्ण होगा
जांच और गिरफ्तारी की प्रक्रिया का रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा
यह फैसला कानून व्यवस्था को अधिक संवेदनशील बनाने और नागरिक अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
आगे की कार्यवाही
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अगले महीने की सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में हर जिले की स्थिति, इंस्टालेशन की प्रगति और तकनीकी सुविधाओं के पूरा होने का विवरण शामिल होगा। कोर्ट की ओर से नियुक्त पैनल समय-समय पर निरीक्षण करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि आदेशों का पालन हो रहा है।
