देवघर। बाबा बैद्यनाथ की पावन नगरी देवघर एक बार फिर भव्य और आध्यात्मिक आयोजन का साक्षी बनने जा रही है। दिनांक 26 नवंबर 2025, बुधवार से लेकर 04 दिसंबर 2025, गुरुवार तक ब्रह्मलीन गुरूदेव परमहंस श्री स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज की पावन स्मृति में भव्य 108 कुंडीय अतिरूद्र महायज्ञ तथा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन सर्राफ स्कूल के पीछे मैदान में होने जा रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन दैवी संपद् मंडल द्वारा परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर श्री स्वामी हरिहरानन्द जी महाराज के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।

यह आयोजन न केवल देवघर के आध्यात्मिक इतिहास को समृद्ध करेगा, बल्कि यहां बड़ी संख्या में देशभर के साधु-संत, विद्वान, भक्त और स्थानीय श्रद्धालु भी जुटेंगे। पूरे कार्यक्रम को लेकर देवघर में उल्लास और भक्ति का विशेष वातावरण बन गया है।
शोभायात्रा से होगी आयोजन की शुरुआत
कार्यक्रम के शुभारंभ से एक दिन पूर्व, 25 नवंबर 2025, मंगलवार को दोपहर 11:30 बजे देवघर गौशाला से एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें धार्मिक झांकियां, कलश, अखाड़े के साधु-संत, भजन मंडली और आकर्षक प्रस्तुतियां शामिल होंगी। विशेष रूप से छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध कर्मा नृत्य भी इस शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण रहेगा।
शोभायात्रा गौशाला से निकलकर मंदिर मोड़, शिक्षा सभा चौक, आजाद चौक, टावर चौक, राय एंड कंपनी मोड़, बजरंगी चौक होते हुए यज्ञ स्थल पर पहुंचेगी। इसके स्वागत के लिए मार्ग में विभिन्न स्थानों पर तोरण द्वार, पुष्प वर्षा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया गया है।
26 नवंबर को निकलेगी भव्य कलश यात्रा
26 नवंबर 2025, बुधवार सुबह 07 बजे गोपालकृष्ण मंदिर (गीता देवी डीएवी स्कूल) से कलश यात्रा निकलेगी। इस कलश यात्रा में करीब 500 महिलाएं सिर पर पवित्र जल से भरे कलश लेकर सम्मिलित होंगी। यात्रा राय एंड कंपनी मोड़, बजरंगी चौक होते हुए यज्ञ स्थल पहुंचेगी।
महिलाएं रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में, हाथों में ध्वज और जयकारों के साथ भक्ति भाव से चलते हुए बेहद मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करेंगी।
महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानन्द जी महाराज का आगमन
कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानन्द जी महाराज का दो दिन पूर्व ही देवघर नगर में आगमन हो चुका है। उनके आगमन के साथ ही शहर में धार्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का अद्भुत संचार देखा जा रहा है। यज्ञ स्थल पर लगातार वैदिक मंत्रों की गूंज और तैयारियों को अंतिम रूप देने का कार्य जारी है।

यज्ञ समिति ने की समीक्षा बैठक
आज 21 नवंबर 2025 को पूर्वाह्न 11:30 बजे यज्ञ स्थल पर यज्ञ समिति ने एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। इसमें समिति के पदाधिकारी, सदस्य, महिला समिति, युवा समिति और विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए। बैठक में अब तक की तैयारियों की समीक्षा की गई तथा कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सभी संबंधित टीमों को आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए।
बैठक में विशेष रूप से निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई:
यज्ञ स्थल पर पंडाल निर्माण की अंतिम स्थिति
सुरक्षा व्यवस्था एवं भक्तों का प्रवेश मार्ग
पार्किंग व्यवस्था एवं वाहनों का नियंत्रण
भोजन वितरण, प्रसाद व्यवस्था
शोभायात्रा एवं कलश यात्रा की तैयारियां
साधु-संतों के आवास एवं स्वागत प्रबंध
चिकित्सा टीम एवं प्राथमिक उपचार केंद्र की व्यवस्था
समिति ने निर्णय लिया कि कार्यक्रम को भव्यता और गरिमा के साथ संपन्न करने के लिए सभी विभाग समन्वित रूप से कार्य करेंगे।
महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण सूचना
कलश यात्रा में भाग लेने की इच्छुक महिलाओं को महिला समिति अध्यक्ष श्रीमती सरला अग्रवाल ने संपर्क करने का आग्रह किया है। उनके अनुसार कलश वितरण, वस्त्र-आलंकरण और यात्रा अनुशासन से संबंधित दिशा-निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।
108 कुंडीय अतिरूद्र महायज्ञ—क्या है विशेष?
अतिरूद्र महायज्ञ का आयोजन अत्यंत शुभ और दुर्लभ माना जाता है। 108 कुंडों में एकसाथ होने वाला यह यज्ञ वातावरण शुद्धि, मन-शांति और विश्व कल्याण की कामना से संपन्न होगा। वैदिक ब्राह्मणों द्वारा दस दिनों तक निरंतर मंत्रोच्चार, हवन, रुद्राभिषेक और अनुष्ठान किए जाएंगे।
इसके साथ ही प्रतिदिन शाम को श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया जाएगा, जिसमें प्रख्यात कथा-वाचक भक्तों को भागवत के दिव्य संदेशों से अवगत कराएंगे।
देवघर में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई ऊंचाई
इस भव्य आयोजन से देवघर में धार्मिक पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा। आसपास के जिलों और राज्यों से हजारों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। स्थानीय व्यवसाय, होटल, परिवहन और दुकानदारों में भी उत्साह देखा जा रहा है।
नगर प्रशासन ने भी स्वच्छता, यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष टीम गठित की है।
स्थानीय लोगों में उत्साह
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजन देवघर की पहचान को और मजबूत करते हैं। मंदिर प्रांगण से लेकर यज्ञ स्थल तक भक्ति संगीत, मंत्र ध्वनि और सजावट से पूरा क्षेत्र दिव्य वातावरण से भर गया है।
सभी के मन में केवल एक ही भावना—
“बाबा बैद्यनाथ की नगरी में आध्यात्मिक ऊर्जा का नया अध्याय शुरू होने वाला है।”
