25 नवंबर 2025 को विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ‘धर्म ध्वज’ फहराया जाएगा। यह ध्वजारोहण केवल एक पारंपरिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि मंदिर निर्माण की पूर्णता, दिव्य ऊर्जा के स्वागत और धार्मिक चेतना के जागरण का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है। हिंदू शास्त्रों में मंदिर पर फहराया जाने वाला ध्वज भगवान की उपस्थिति, सुरक्षा, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संकेत माना गया है। इसीलिए राम मंदिर पर धर्म ध्वज फहराने का यह अवसर भक्तों के लिए अत्यंत पावन और ऐतिहासिक बन गया है।

धर्म ध्वज फहराने का आध्यात्मिक महत्व
धर्म ध्वज को हिंदू धर्म में पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जब मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया जाता है, तो वह ईश्वर की कृपा और शक्ति का प्रसार करता है। माना जाता है कि ध्वज की ऊंचाई और उसकी सतत गति ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करती है, जो मंदिर परिसर और भक्तों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करती है।
ध्वजारोहण मंदिर की पूर्णता का संकेत
मंदिर के निर्माण में ध्वज फहराना अंतिम और अत्यंत शुभ चरण माना जाता है। यह बताता है कि मंदिर अब पूर्णतः तैयार है और भगवान की दिव्य उपस्थिति के लिए पवित्र किया जा चुका है। राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराना इस ऐतिहासिक निर्माण यात्रा की आध्यात्मिक पूर्णता को दर्शाता है।
शास्त्रीय दृष्टि से ध्वज का महत्व
पुराणों और ग्रंथों में ध्वज को मंदिर का रक्षक बताया गया है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर रखता है और परिसर को सुरक्षित बनाए रखता है।
विष्णु पुराण में ध्वज को धर्म, विजय और सुरक्षा का प्रतीक माना गया है।
स्कंद पुराण में उल्लेख है कि जहां ध्वज स्थापित होता है, वहां देवत्व की ऊर्जा स्थिर रहती है।
इस कारण मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण एक अनिवार्य और पवित्र प्रक्रिया होती है।
विवाह पंचमी पर ध्वजारोहण का विशेष महत्व
विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के पावन विवाह दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन राम मंदिर में धर्म ध्वज फहराना अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि यह दिव्य दंपति के मिलन, सौभाग्य, सद्भाव और समृद्धि का प्रतीक बन जाता है। इस तिथि को ध्वजारोहण से मंदिर में उत्सव और आध्यात्मिक ऊर्जा का विशेष संचार होता है।
भक्तों के लिए इसका क्या संदेश है
धर्म ध्वज यह संदेश देता है कि धर्म की विजय हमेशा सुनिश्चित रहती है। राम मंदिर पर ध्वज फहरना आस्था, एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह भक्तों को यह एहसास कराता है कि भगवान की कृपा सदैव उनके साथ है और मंदिर परिसर दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण है।
यह लेख धार्मिक शास्त्रों और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित सामान्य जानकारी प्रस्तुत करता है। इसमें दिए गए विचार किसी भी प्रकार के अंतिम धार्मिक निर्णय नहीं हैं। पाठक इसे एक सामान्य आध्यात्मिक संदर्भ के रूप में समझें।
