झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मंगलवार की शाम एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। चांडिल थाना क्षेत्र के रांची-जमशेदपुर मुख्य मार्ग (एनएच) स्थित भादुडीह के पास 10 वर्षीय मासूम बच्चे विष्णु गोराई की एक भारी वाहन की चपेट में आकर दर्दनाक मौत हो गई। बच्चा ट्यूशन पढ़कर अपने घर लौट रहा था। मात्र एक पल की लापरवाही ने परिवार की खुशियों पर जैसे कहर बरपा दिया। ग्रामीणों की आंखों के सामने हुए इस हादसे ने पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश दोनों को जन्म दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, घटना शाम लगभग 4 बजे की है। 5वीं कक्षा का विद्यार्थी विष्णु सड़क पार कर रहा था। इसी दौरान सामने से गिट्टी से लदी एक तेज रफ्तार जीप-ट्रक जैसी भारी गाड़ी आई और देखते ही देखते बच्चे को कुचलते हुए निकल गई। हादसा इतना भीषण था कि विष्णु ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटनास्थल पर मौजूद लोग और आसपास के घरों के लोग चीख पड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल, गांव में मातम…
हादसे की खबर मिलते ही विष्णु के माता-पिता और परिजन दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे। मासूम का निर्जीव शरीर देख परिवार बेसुध हो गया। मां का रो-रोकर बुरा हाल था, जबकि पिता बेटे को अपनी गोद में उठाकर बार-बार यही कह रहे थे कि “हमारे विष्णु ने किसी का क्या बिगाड़ा था?” ग्रामीणों ने परिवार को संभालने की कोशिश की, लेकिन इलाके का माहौल बेहद भावुक हो चुका था।
भादुडीह गांव और आसपास के इलाकों में एक 10 वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत से माहौल गमगीन है। कई लोग इस घटना को ‘प्रशासनिक लापरवाही’ का नतीजा करार दे रहे हैं।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा: भारी वाहनों पर काबू क्यों नहीं?
ग्रामीणों ने बताया कि रांची-जमशेदपुर मुख्य मार्ग पर दिनभर गिट्टी, बालू और पत्थर से लदे भारी वाहन तेजी से दौड़ते रहते हैं। इनमें से कई वाहन बिना किसी नियंत्रण के, अनियंत्रित गति से चलते हैं।
स्थानीय लोगो ने कहा:
“इस सड़क पर पैदल चलना खतरे से खाली नहीं। खासकर बच्चे सबसे ज्यादा जोखिम में रहते हैं। न पुलिस की नियमित जांच दिखती है, न ही स्पीड कंट्रोल पर कोई सख्ती।”
लोगों का यह भी कहना है कि हाईवे पर पैदल यात्रियों, खासकर स्कूली बच्चों के लिए किसी तरह का सुरक्षित क्रॉसिंग, स्पीड ब्रेकर या चेतावनी बोर्ड तक नहीं है। बड़े वाहन चालक अक्सर तेज रफ्तार में अन्य छोटे वाहनों और पैदल चलने वालों को नजरअंदाज कर देते हैं।
हादसे के बाद सड़क जाम, ग्रामीणों ने की कड़ी कार्रवाई की मांग
दुर्घटना के बाद ग्रामीणों ने सड़क पर जाम लगा दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों की मुख्य मांग थी—
भारी वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित किया जाए
स्कूल टाइम में गाड़ियों की स्पीड कम करने के लिए सख्ती हो
हाईवे किनारे पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षा प्रबंध किए जाएँ
गिट्टी-बालू लदे वाहनों की नियमित जांच और स्पीड मॉनिटरिंग की जाए
ग्रामीणों के अनुसार जब तक प्रशासन कड़े कदम नहीं उठाएगा, तब तक ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल है।
ड्राइवर की पहचान नहीं, वाहन फरार — पुलिस जांच तेज
घटना के तुरंत बाद पुलिस और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुँचा। लेकिन वाहन का चालक दुर्घटना के बाद वाहन लेकर फरार हो गया। पुलिस आसपास के CCTV फुटेज और चेकपोस्ट की मदद से वाहन का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
चांडिल थाना प्रभारी ने बताया कि—
“मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेजी से की जा रही है। वाहन और चालक की पहचान जल्द सामने लाई जाएगी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। वहीं ग्रामीणों की बड़ी संख्या थाने पहुंचकर आरोपी चालक को जल्द गिरफ्तार करने की मांग कर रही है।
क्यों बढ़ रही हैं ऐसी दुर्घटनाएँ? विशेषज्ञों ने बताए कारण
रांची-जमशेदपुर हाईवे राज्य के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है। इस क्षेत्र में स्टोन क्रशर, मिनी खदान और कंस्ट्रक्शन के काम बड़ी संख्या में चल रहे हैं। इसी वजह से गिट्टी-बालू से लदे वाहनों की संख्या बहुत अधिक है।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि हादसों के पीछे कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं—
भारी वाहनों की अनियंत्रित स्पीड
बिना जांच फिटनेस वाले वाहन
असुरक्षित सड़क पार करने की व्यवस्था
स्कूल टाइम में ट्रैफिक नियंत्रण की कमी
ओवरलोडेड गाड़ियों का दबाव और गलत तरीके से ड्राइविंग
यदि सड़क सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू न किया जाए तो आने वाले समय में यह क्षेत्र ‘दुर्घटना जोन’ बन सकता है।
परिवार मांग रहा इंसाफ, ग्रामीणों की अपील—बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
मासूम विष्णु के परिवार का कहना है कि उन्हें केवल न्याय नहीं चाहिए, बल्कि ऐसी व्यवस्था चाहिए, जिससे किसी और परिवार को यह दर्द न सहना पड़े।
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल—
स्पीड ब्रेकर लगाने,
ट्रैफिक पुलिस की तैनाती बढ़ाने,
भारी वाहनों की जांच करने,
और स्कूल टाइम के दौरान वाहनों की आवाजाही सीमित करने
की मांग की है।
10 साल के मासूम विष्णु की मौत सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं है, बल्कि लगातार हो रही उन घटनाओं पर बड़ा सवाल है, जिनका समाधान वर्षों से लंबित है। यदि प्रशासन, पुलिस और सड़क सुरक्षा विभाग मिलकर ठोस कदम उठाएं, तो न केवल ऐसी दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी, बल्कि बच्चों और आम लोगों की जान भी सुरक्षित रह सकेगी।
