दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। राजधानी की हवा लगातार 14वें दिन ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई है। बवाना, आनंद विहार, रोहिणी, वसंत कुंज और पटपड़गंज जैसे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 से 400 के बीच दर्ज हुआ है, जो गंभीर श्रेणी की ओर संकेत करता है। बवाना में तो AQI 400 के पार चला गया, जिसने इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का सबसे प्रदूषित इलाका बना दिया है।

दूषित हवा का प्रभाव अब सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगा है। अस्पतालों में सांस लेने में दिक्कत, खांसी, आंखों में जलन और अस्थमा बढ़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक ऐसी हवा में रहने से फेफड़ों की क्षमता घट सकती है और हृदय संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।
क्यों बढ़ा प्रदूषण? मौसम और मानव गतिविधियों का डबल इम्पैक्ट
मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में हवा की गति बेहद धीमी होने से प्रदूषक कण ऊपर उठ नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा तापमान में गिरावट और नमी बढ़ने से धूल और धुएं के कण वातावरण में अटके रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में हवा भारी हो जाती है और प्रदूषण जमीन के पास जमा होने लगता है।
इस बीच मानव गतिविधियों ने भी प्रदूषण को बढ़ाया है। रोजाना लाखों वाहन सड़कों पर धुआं छोड़ रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में अभी भी नियमों के उल्लंघन की शिकायतें मिल रही हैं। जगह-जगह कूड़ा जलाने के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे हवा में जहरीले PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है।
हालांकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में कमी जरूर दर्ज की गई है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह कमी दिल्ली की हवा को अभी राहत देने के लिए पर्याप्त नहीं है।
लोगों की मुश्किलें बढ़ीं — जहरीली हवा से सांस लेना हुआ कठिन
राजधानी में रहने वाले लाखों लोगों के लिए यह संकट किसी आपदा से कम नहीं है। सुबह की सैर करने वाले लोगों ने बताया कि बाहर निकलते ही आंखों में जलन शुरू हो जाती है। कई लोग मास्क पहनने को मजबूर हैं, जबकि बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर रहने की सलाह दी जा रही है।
अस्पतालों में प्रदूषण से संबंधित रोगों में लगभग 25% तक वृद्धि देखी जा रही है। डॉक्टरों ने कहा कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हार्ट डिजीज, माइग्रेन और एलर्जी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।
एम्स दिल्ली के श्वसन रोग विशेषज्ञों का कहना है कि PM2.5 कण फेफड़ों और रक्तधारा में जल्दी घुस जाते हैं। लगातार ऐसे प्रदूषण में रहने वाले लोगों में फेफड़ों की उम्र 10 साल तक बढ़ सकती है और भविष्य में गंभीर बीमारी का खतरा भी दोगुना हो सकता है।
सरकार की तैयारी — GRAP के चरण लागू, लेकिन राहत दूर
दिल्ली सरकार और केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से लागू ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (GRAP) के तहत कई नियम लागू किए गए हैं। इनमें निर्माण कार्य पर रोक, पानी का छिड़काव, डीजल जेनरेटर बंद, सड़क की सफाई और औद्योगिक उत्सर्जन पर निगरानी बढ़ाना शामिल है।
फिर भी स्थिति में सुधार के संकेत फिलहाल नहीं दिख रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि GRAP तभी प्रभावी होता है जब हवा की गति सामान्य बनी रहे और प्रदूषण कम करने के लिए कड़ाई से पालन किया जाए।
दिल्ली सरकार ने स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाने और बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू करने पर भी विचार किया है। स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें।
हवा कब सुधरेगी? मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले तीन से चार दिनों तक दिल्ली की हवा में बड़ा सुधार होने की संभावना कम है। हवा की गति कम रहने और तापमान और गिरने से प्रदूषण और बढ़ सकता है।
हालांकि सप्ताहांत में हल्की तेज हवाएं चलने की उम्मीद है, जिससे हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार आ सकता है।
विशेषज्ञों की राय है कि जब तक व्यापक स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त फैसले नहीं लिए जाएंगे, दिल्ली-NCR की हवा हर सर्दी में ऐसी ही जहरीली बनी रहेगी।
दिल्लीवासियों के लिए जरूरी हेल्थ एडवाइजरी
स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों ने निवासियों के लिए कुछ सावधानियां जारी की हैं—
बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनें
सुबह-शाम बाहर टहलने से बचें
खिड़की-दरवाजे बंद रखें
एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
गुनगुना पानी पिएं और भाप लें
बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखने की जरूरत
जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-NCR की मौजूदा हवा सामान्य लोगों के लिए भी जोखिमभरी है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए।
