झारखंड में कड़कड़ाती सर्दी अब जानलेवा साबित होने लगी है। चक्रधरपुर शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां ठंड की चपेट में आने से एक खानाबदोश पति-पत्नी की मौत हो गई। Prabhat Khabar की रिपोर्ट के अनुसार, दंपत्ति पिछले कई दिनों से सड़क किनारे प्लास्टिक की चादर डालकर गुजर–बसर कर रहे थे। ठंड तेज होने के बावजूद उन्हें राहत के लिए किसी तरह की व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसके कारण दोनों ने अपनी जान गंवा दी।
प्लास्टिक के नीचे रातें गुजार रहे थे दंपत्ति
मृतक दंपत्ति चक्रधरपुर के बाजार क्षेत्र के आसपास एक प्लास्टिक के तंबूनुमा ढांचे में सोते थे। गुरुवार की रात तापमान बेहद नीचे चला गया। कड़ाके की ठंड के कारण दोनों की सेहत बिगड़ने लगी, लेकिन उनके पास ना गर्म कपड़े थे और ना ही कोई सुरक्षित जगह। सुबह लोगों ने देखा कि दंपत्ति कई घंटों से बाहर नहीं निकले थे। जब उन्हें उठाने की कोशिश की गई, तो दोनों मृत पाए गए।
स्थानीय पार्षद ने कराया अंतिम संस्कार
सूचना मिलते ही स्थानीय वार्ड पार्षद मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि दंपत्ति बेहद गरीब और खानाबदोश थे, जिनकी कोई स्थायी पहचान भी नहीं थी। पार्षद ने स्वयं पहल करते हुए दोनों का अंतिम संस्कार कराया। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि हर साल ठंड से बचाव के लिए अलाव, कंबल वितरण और आश्रय की व्यवस्था का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया जाता।
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय लोगों ने भी आरोप लगाया कि नगर प्रशासन द्वारा इस बार अभी तक सड़कों पर अलाव नहीं जलाए गए हैं और ना ही जरूरतमंदों को कंबल बांटे गए हैं। लोग कह रहे हैं कि यदि समय रहते राहत उपलब्ध कराई जाती, तो दंपत्ति की जान बच सकती थी।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी मांग की है कि प्रशासन बेघर और गरीब लोगों के लिए तत्काल रात्रि आश्रय गृह, कंबल वितरण और अलाव जैसी व्यवस्थाओं को तेज करे।
शहर में ठंड का कहर, तापमान तेजी से गिरा
पिछले कुछ दिनों से चक्रधरपुर में तापमान लगातार गिर रहा है। रात के समय पारा अचानक नीचे चला जाता है, जिससे खासकर खुले में रहने वाले लोग ठंड की चपेट में अधिक आते हैं। मौसम विभाग ने भी आने वाले दिनों में तापमान और गिरने की चेतावनी दी है, जिससे हालात और चिंताजनक हो सकते हैं।
बेघरों के लिए सुरक्षा व्यवस्था फिर सवालों के घेरे में
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या शहरों में बेघरों और खानाबदोश लोगों के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं। सरकार और प्रशासन हर साल योजनाएं बनाते हैं, लेकिन जमीन पर उनकी स्थिति बेहद कमजोर दिखाई देती है। दंपत्ति की मौत ने व्यवस्था की बड़ी खामियों को उजागर किया है।

