देवघर। शहर का सबसे बड़ा और घनी आबादी वाला मोहल्ला बावन बीघा इन दिनों एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है। यहां स्थित मुख्य नाले पर बने बड़े पुल का डिवाइडर वर्षों से टूटा पड़ा है, जो अब स्थानीय लोगों और खासकर बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। इस रास्ते से प्रतिदिन गुजरने वाले लोगों की संख्या हजारों में है, लेकिन हालात यह हैं कि न तो नगर निगम और न ही जिला प्रशासन की नजर इस जर्जर पुल पर पड़ी है। बढ़ते खतरे और आने वाली दुर्घटना की आशंका को देखते हुए लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?

बावन बीघा मोहल्ला सिर्फ सामान्य रिहायशी क्षेत्र नहीं है, बल्कि देवघर का एक शैक्षणिक हब भी है। यहां चार बड़े-छोटे स्कूल मौजूद हैं और सभी स्कूलों की छुट्टी एक समान समय पर होती है। इस कारण रोजाना हजारों बच्चे इसी पुल से होकर अपने घर वापस जाते हैं, जिनमें पैदल, साइकिल, स्कूटर और वैन से आने-जाने वाले बच्चे शामिल हैं। ऐसे समय में पुल पर भारी भीड़ रहती है, और टूटे डिवाइडर के कारण जरा सा भी संतुलन बिगड़ने पर बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
पुल का टूटा डिवाइडर – एक बड़ा हादसा होने की आशंका
स्थानीय लोगों के अनुसार यह पुल कई सालों से क्षतिग्रस्त है। बीच का डिवाइडर टूटकर गायब हो चुका है, जिससे न सिर्फ सड़क संकरी महसूस होती है, बल्कि वाहनों के अनियंत्रित होकर नीचे गिरने का खतरा भी बना रहता है। खासकर बच्चे, जिनकी ऊंचाई कम होती है और जो अक्सर भीड़ में धक्का-मुक्की के बीच निकलते हैं, उनके फिसलने या अनियंत्रित वाहन की चपेट में आने का खतरा अधिक है।
मोहल्ले के निवासी रेखा देवी, बिमला देवी और सतेंद्र विश्वकर्मा बताते हैं,
“यह देवघर का सबसे बड़ा मोहल्ला है और यहां तकरीबन चार स्कूल संचालित हो रहे हैं। रोज सुबह और दोपहर में हजारों बच्चे इसी पुल से गुजरते हैं। कई बार बच्चे एक-दूसरे को धक्का दे देते हैं और टूटे डिवाइडर के कारण गिरने का डर बना रहता है।”
उनका कहना है कि पुल की स्थिति इतनी खराब है कि यह किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकता है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई है।
बावन बीघा को जोड़ता है सीधे बायपास रोड से
यह पुल सिर्फ मोहल्ले की जरूरत नहीं है, बल्कि बायपास रोड को जोड़ने वाला मुख्य लिंक है। कई लोग और वाहन इस रास्ते से रोजाना गुजरते हैं। भारी वाहनों की आवाजाही भी होती है, जिससे पुल पर दबाव और बढ़ जाता है। भारी वाहन जब पुल पर आते हैं, तो टूटे हिस्से से गुजरने पर वाहन के डगमगाने की संभावना रहती है। इससे आने-जाने वाले बच्चों और स्थानीय लोगों में भय बना रहता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने इस समस्या को लेकर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रेखा देवी बताती हैं:
“नगर निगम के कर्मचारी केवल साफ-सफाई देखने आते हैं, लेकिन पुल की मरम्मत को लेकर कभी किसी अधिकारी ने कदम नहीं उठाया। क्या प्रशासन चाहता है कि पहले कोई हादसा हो, तब काम शुरू किया जाए?”
स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
चार स्कूलों की एक साथ छुट्टी होने के कारण सड़क पर भारी भीड़ एकदम अचानक बढ़ जाती है। बच्चों के हाथ में भारी स्कूल बैग, उनके साथ गार्डियन, स्कूल वैन, ऑटो और बाइक—सभी एक साथ पुल पर पहुंचते हैं। इस दौरान सड़क पूरी भर जाती है, और बिना डिवाइडर के यह भीड़ एक-दूसरे से टकराते हुए आगे बढ़ती है।
यह स्थिति किसी भी पल स्टाम्पीड (Stampede) जैसी घटना को जन्म दे सकती है।
विशेषकर बरसात के मौसम में टूटे हिस्से फिसलन भरे हो जाते हैं, जिससे बच्चों के गिरने का खतरा और बढ़ जाता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि:
अगर कोई बच्चा पुल के किनारे फिसल गया तो सीधे नाले में गिर सकता है।
वाहनों का संतुलन बिगड़ने पर वह सीधे दूसरी दिशा में जा सकता है।
रात में स्ट्रीट लाइट की कमी से टूटे हिस्से नजर भी नहीं आते।
इस पूरी स्थिति ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि देवघर जैसे धार्मिक और पर्यटन शहर में जहां करोड़ों रुपये की योजनाएं लागू की जाती हैं, वहां एक टूटे हुए पुल की मरम्मत के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
स्थानीय लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि:
क्या जिला प्रशासन को हजारों बच्चों की जान की फिक्र नहीं?
क्या नगर निगम के अधिकारी इस रूट से कभी नहीं गुजरते?
क्या बिना हादसे के मरम्मती कार्य शुरू नहीं होता?
क्या बच्चों की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं?
इन सवालों के जवाब लोग अब प्रशासन से मांग रहे हैं।
स्थानीय निवासियों ने रखी मांग – जल्द हो मरम्मत
निवासियों ने प्रशासन से साफ मांग की है कि:
पुल के टूटे डिवाइडर की तुरंत मरम्मत की जाए
स्कूल क्षेत्र होने के कारण यहां अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था हो
पुल पर चेतावनी बोर्ड और स्पीड कंट्रोल उपाय लगाए जाएं
भीड़ के समय यातायात पुलिस की तैनाती की जाए
सतेंद्र विश्वकर्मा कहते हैं,
“पिछले कई वर्षों से पुल इसी हालत में है। अगर अब भी प्रशासन ध्यान नहीं देगा तो कभी भी बड़ी घटना हो सकती है। हम नहीं चाहते कि कोई बच्चा या मोहल्ले का व्यक्ति इस लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकाए।”
डिस्कवर पर ट्रेंडिंग क्यों बन रहा है यह मुद्दा?
यह खबर इसलिए तेजी से ट्रेंड कर रही है क्योंकि:
मामला सीधे बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा है
चार स्कूलों का एक साथ भीड़ होना बड़ी चिंता का विषय है
देवघर जैसे प्रमुख शहर में प्रशासनिक उदासीनता सवाल खड़े कर रही है
सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं
हादसे की आशंका के कारण लोग तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं
यह मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड़ा है और यही इसे ट्रेंडिंग बना रहा है।
बावन बीघा का यह जर्जर नाला पुल अब सिर्फ एक पुल नहीं रहा, बल्कि हजारों बच्चों के लिए रोजमर्रा का संघर्ष बन चुका है। टूटे डिवाइडर की वजह से यहां किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह जल्द से जल्द इसकी मरम्मत करे और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। स्थानीय निवासी सिर्फ एक ही बात कह रहे हैं—हादसा होने से पहले कार्रवाई हो।
