दिल्ली में हुई कथित मुलाकातों के बाद Bharatiya Janata Party (BJP) और Jharkhand Mukti Morcha (JMM) के बीच संभावित समीकरण पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि कल्पना सोरेन के साथ JMM प्रमुख हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी की BJP के शीर्ष नेताओं से बातचीत केवल औपचारिक नहीं थी, बल्कि आगे साझेदारी की दिशा में शुरुआती सहमति भी बनाई गई है — जिससे झारखंड के सियासी मानचित्र पर बड़ा फेरबदल होने की आशंका है।

पिछली विधानसभा चुनाव (2024) में JMM-आधारित गठबंधन ने 56 सीटों के साथ राज्य में वापसी की थी, जबकि NDA को 24 सीटों पर ही सफलता मिली थी।
JMM ने अपनी लोक-कल्याणकारी योजनाओं — जैसे Maiyan Samman Yojna, कर्ज माफी, बिजली बिल माफी, पेंशन योजना आदि — के दम पर जनाधार बनाए रखा।
हालांकि, 2025 में JMM ने अपने गठबंधन साथियों के साथ मतभेद बताते हुए Indian National Congress व Rashtriya Janata Dal (RJD) के साथ बिहार चुनाव नहीं लड़ा।
इन हालातों ने JMM की राजनीतिक दिशा व उसके गठबंधन की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या बनी मुलाकात से NDA की राह साफ?
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में हुई मुलाकात में राजनैतिक समीकरण बदलने की संभावनाएं तलाशी गईं। BJP के लिए यह मौका रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है — राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने और आदिवासी-जनजातीय वोट बैंक की रणनीति को फिर से सक्रिय करने के लिए। वहीं, हेमंत सोरेन के लिए NDA के साथ जुड़ाव — यदि हुआ — तो यह JMM की आज़ादी और गठबंधन राजनीति से दूरी की शुरुआत हो सकती है।
संभावित कारण जब H NDA सम्भव हो सकती है
1. JMM-गठबंधन में दरार: हाल ही में JMM ने कांग्रेस और RJD से दूरी बनाते हुए बिहार चुनाव से खुद को अलग किया।
2. भाजपा की रणनीति और दबाव: BJP झारखंड में अपनी पिछली हार को भूलकर, गठबंधन आधारित सरकारों को तोड़ने और मजबूत सरकार बनाने की कोशिश कर रही है।
3. Hemant Soren की राजनीतिक जरूरत व जोखिम: अदालतियों और जांच एजेंसियों के मामलों के बीच, नए गठबंधन से ओवरऑल राजनीतिक सुरक्षा और अगली चुनावी चुनौतियों का सामना करना आसान हो सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ
वोट बैंक की नई शक्ल: अगर Hemant-Kalpana जोड़ी NDA में शामिल होती है, तो भाजपा को आदिवासी–जनजातीय परिवारों का समर्थन मिलने की संभावना है।
JMM की पहचान पर असर: JMM, जो हमेशा आदिवासी अधिकारों व जनकल्याण की आवाज रही है, अगर BJP के साथ हो जाती है, तो उसकी पुरानी जनसमर्थक पहचान पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
स्थिरता बनाम बदलाव: NDA में जुड़ने का अर्थ हो सकता है कि झारखंड में केंद्र और राज्य में समान राजनीतिक विचारधारा — इससे निर्णय प्रक्रिया और नीतिगत काम में तालमेल हो सकता है। लेकिन एक बड़े राजनीतिक फेरबदल की संभावना राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और दल‐विवादों को भी जन्म दे सकती है।
फिलहाल क्या कहना मुश्किल — लेकिन राजनीतिक गलियारों में तेज चर्चा
जहाँ एक ओर इस मुलाकात की जानकारी से राजनीतिक हवाहवाई तेज हो चुकी है, वहीं इस बात की पुष्टि अभी नहीं हुई है कि Hemant-Kalpana जोड़ी सचमुच NDA में शामिल होगी या नहीं।
JMM या BJP की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
मुख्यमंत्री Hemant Soren और उनके परिवार की तरफ से भी कोई खुला इशारा नहीं मिला है कि गठबंधन बदलने की तैयारी है।
ऐसे में यह कहना जल्दबाज़ी हो सकता है कि झारखंड की सियासत में अभी बदलाव की हवा है — लेकिन दिशा निश्चित नहीं।
झारखंड में राजनीतिक पटल पर जो हलचल मची है, वह सिर्फ एक मुलाकात या अफवाह नहीं है — यह संकेत है कि राज्य की सियासत 2025–26 में नए गठबंधन, नए समीकरण और नए वोट बैंक रणनीति की ओर बढ़ सकती है। अगर Hemant Soren सचमुच NDA में आते हैं, तो यह झारखंड की राजनीति के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ होगा। लेकिन फिलहाल — जैसे ठोस बयान न आए हों — इसे रणनीतिक राजनीति की संभावना ही माना जाना चाहिए।
