झारखंड की राजधानी रांची में स्थित राजभवन भवन अब आधिकारिक रूप से ‘लोकभवन’ के नाम से जाना जाएगा। यह बदलाव केंद्र सरकार की उस राष्ट्रीय पहल का हिस्सा है, जिसके तहत देशभर में औपनिवेशिक काल से जुड़े नामों को हटाकर भारतीय पहचान के अनुरूप नए नाम दिए जा रहे हैं। रांची का यह महत्वपूर्ण परिसर लगभग 62 एकड़ में फैला है और राज्य के इतिहास, प्रशासन और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। अब इसके नाम में किया गया यह परिवर्तन झारखंड की प्रशासनिक पहचान में एक नया आयाम जोड़ता है।

औपनिवेशिक नामों को हटाने की पहल के तहत बदला नाम
गृह मंत्रालय ने हाल ही में देश के सभी राजभवनों का नाम ‘लोकभवन’ और राज निवास का नाम ‘लोक निवास’ करने का निर्देश जारी किया था। इसी के आधार पर झारखंड राजभवन प्रशासन की ओर से एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें बताया गया कि मंत्रालय से मिले निर्देश और राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार की मंजूरी के बाद रांची स्थित राजभवन का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ कर दिया गया है। यह परिवर्तन औपचारिक रूप से प्रभावी हो चुका है।
राजभवन से लोकभवन: पहचान में आया बड़ा बदलाव
नाम परिवर्तन का उद्देश्य प्रशासनिक इमारतों को अधिक लोकतांत्रिक और भारतीय संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप पहचान देना है। ‘राज’ शब्द की जगह ‘लोक’ शब्द का उपयोग दर्शाता है कि ये इमारतें जनता और संविधान के प्रति जवाबदेह संस्थाओं का प्रतीक हैं।
रांची के राजभवन का इतिहास और महत्व
राजभवन का मुख्य परिसर रांची शहर के मध्य भाग में स्थित है और कुल 52 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। इसके अलावा प्रसिद्ध ऑड्रे हाउस परिसर 10 एकड़ में स्थित है। यह विशाल परिसर न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक एवं औपनिवेशिक इतिहास का भी हिस्सा रहा है।
राजभवन का निर्माण वर्ष 1930 में शुरू हुआ था और मार्च 1931 में मात्र 7 लाख रुपये की लागत से इसे पूरा किया गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान इसका उपयोग प्रशासनिक आवास और राजकीय कार्यक्रमों के लिए होता था। राज्य के गठन के बाद यहां मुख्यमंत्री, राज्यपाल और उच्च स्तरीय अधिकारियों के महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं।
बदलाव से जुड़ी प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी
जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, यह नाम परिवर्तन गृह मंत्रालय के पत्र के आधार पर किया गया है। केंद्र के आदेश के बाद आवश्यक दस्तावेज, पट्टे, प्रशासनिक अभिलेखों और सरकारी पत्राचार में ‘लोकभवन’ नाम का उपयोग शुरू कर दिया गया है। आने वाले दिनों में परिसर से जुड़ी सभी आधिकारिक पट्टिकाओं, साइन बोर्ड और सरकारी वेबसाइटों पर नया नाम दिखाई देगा।
लोकभवन नाम से नए अध्याय की शुरुआत
इस बदलाव को शासकीय पहचान में ‘भारतीयकरण’ का प्रतीक माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस पहल से न केवल नामों में आधुनिकता और लोकतांत्रिक भावनाओं का समावेश होगा बल्कि सरकारी संस्थानों की पहचान में जनता-केन्द्रित सोच को भी मजबूती मिलेगी।
यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय के निर्देश, झारखंड राजभवन द्वारा जारी नोटिफिकेशन और उपलब्ध आधिकारिक स्रोतों पर आधारित है। भविष्य में प्रशासनिक दस्तावेजों के अपडेट के अनुसार विवरण में परिवर्तन संभव है।
