नई दिल्ली। संसद में जारी राजनीतिक तनातनी के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी और केंद्र सरकार के बीच एक नया विवाद सामने आ गया है। विपक्षी नेताओं की विदेशी प्रतिनिधिमंडलों (फॉरेन डेलिगेशन) से मुलाकात को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। राहुल का कहना है कि सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के नेता अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों से मिलें और भारत से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखें। राहुल गांधी ने दावा किया कि यह एक महत्वपूर्ण संसदीय नियम है, लेकिन सरकार इस प्रक्रिया का पालन नहीं कर रही है।

राहुल गांधी के इस बयान ने राजनीतिक गर्माहट बढ़ा दी है, और इसके तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने उन पर पलटवार किया। दुबे ने राहुल गांधी को “सीरियस नहीं” बताते हुए कहा कि वह विदेशी धरती पर हमेशा भारत की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं।
राहुल गांधी का आरोप: ‘सरकार विपक्ष को दबाना चाहती है’
राहुल गांधी ने कहा कि विदेशी प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जहां विपक्ष भी देश के मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रखता है। राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर विपक्ष को इन डेलिगेशन मीटिंग्स से दूर रखती है, ताकि एकतरफा नैरेटिव सामने जाए।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवाद और पारदर्शिता आवश्यक है, लेकिन मौजूदा व्यवस्था में विपक्ष की बात को दबाने की कोशिशें बढ़ती जा रही हैं। राहुल ने यह भी कहा कि अगर सरकार सही मायने में लोकतांत्रिक मूल्य मानती है, तो उसे सभी पार्टियों को समान अवसर देना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा:
“यह एक महत्वपूर्ण संसदीय नियम है, लेकिन सरकार इसे मानने को तैयार नहीं है। विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास लगातार हो रहा है।”
सरकार की ओर से जवाब: ‘राहुल विदेशों में देश की छवि खराब करते हैं’
राहुल गांधी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी भी गंभीर राजनीति नहीं करते। देश में हों या विदेश में—वे हमेशा नकारात्मक नैरेटिव ही बनाने की कोशिश करते हैं।
दुबे ने कहा:
“राहुल गांधी सीरियस नेता नहीं हैं। वे विदेशों में जाकर देश को कोसते हैं, और भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को विदेशी प्रतिनिधिमंडलों से मिलने का कोई औचित्य नहीं है।”
दुबे ने आगे कहा कि भारत की विदेश नीति मजबूत है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में किसी भी तरह की अस्थिरता या भ्रम पैदा होने नहीं दिया जाएगा।
क्या है विवाद की असल जड़?
वजह यह बताई जा रही है कि हाल के महीनों में कई विदेशी प्रतिनिधिमंडल भारत आए हैं, जिनसे मुलाकात का कार्यक्रम निर्धारित था। विपक्ष का आरोप है कि इन बैठकों में उन्हें शामिल नहीं किया गया।
विपक्ष का कहना है कि यह लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है।
सरकार का तर्क है कि प्रतिनिधिमंडलों की बैठकें प्रोटोकॉल और सुरक्षा नियमों के अनुसार आयोजित की जाती हैं, इसलिए ऐसे आरोप बेबुनियाद हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद 2024 के बाद से बढ़ते हुए राजनीतिक ध्रुवीकरण का परिणाम है, जहां विदेश संबंध भी अब दलगत राजनीति का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
विपक्ष का सवाल—‘क्या सरकार अंतरराष्ट्रीय आवाज से डरती है?’
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यदि सरकार की नीतियां सही हैं, तो विपक्ष के विचारों से उसे डरने की जरूरत क्यों है?
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राय बनाने वाली संस्थाओं और प्रतिनिधियों के सामने विपक्ष की बात नहीं सुनाना चाहती?
पार्टी का ये भी तर्क है कि विदेशी प्रतिनिधिमंडल लोकतंत्र, मानवाधिकार और नीतिगत सुधारों जैसे मुद्दों पर भारत की विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं को समझना चाहते हैं। ऐसे में विपक्ष को बाहर रखना उचित नहीं है।
सरकार का पक्ष—‘राष्ट्रीय हित सर्वोपरि’
सरकारी सूत्र बताते हैं कि मुलाकातों का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होता है, और ऐसे में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करना जरूरी होता है।
वे कहते हैं कि सरकार देश के हितों को प्राथमिकता देती है और प्रतिनिधिमंडलों के सामने अनावश्यक विवाद या भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए।
राजनीतिक संग्राम तेज, माहौल गर्म
राहुल गांधी और सतीश चंद्र दुबे की बयानबाज़ी ने विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच पहले से चल रहे टकराव को और तेज कर दिया है।
यह विवाद आगे भी संसद की कार्यवाही, कमेटियों की बैठकों और मीडिया बहसों में प्रमुख मुद्दा बना रह सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विदेश नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर दोनों पक्षों का सार्वजनिक टकराव देश की छवि के लिहाज़ से अच्छा नहीं माना जाता।
जनता की नजर: कौन सही, कौन गलत?
इस पूरे मामले में जनता दो हिस्सों में बंटी दिखाई दे रही है।
कुछ लोग मानते हैं कि विपक्ष को दबाया जा रहा है।
जबकि कुछ का कहना है कि राहुल गांधी अक्सर विदेशों में देश के खिलाफ बयान देते हैं, इसलिए सरकार का रुख सही है।
आगामी महीनों में यह विवाद और गहराने की संभावना दिख रही है क्योंकि विपक्ष 2025 की राजनीतिक रणनीति में सरकार को घेरने के लिए ऐसे मुद्दों को मजबूती से उठाने की तैयारी कर रहा है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को विदेशी डेलिगेशन से मिलने नहीं देती। केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने जवाब दिया—राहुल विदेशों में देश को कोसते हैं।
